Terrorism के मुद्दे पर दुनिया का नेतृत्व कर रहा भारत, फैसला लेने की क्षमता का दिखा असर

India is leading the world on the issue of terrorism

नई दिल्ली: दिल्ली में काउंटर-टेररिज्म फाइनेंसिंग पर ‘नो मनी फॉर टेरर’ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन चल रहा है। आतंकवाद (Terrorism) के मुद्दे पर आयोजित इस सम्मेलन में भारत दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। आतंकवाद को अपना हथियार मानने वाले देश भी जानते हैं कि भारत न तो किसी देश को भड़काता है, वहीं जो इसकी एकता एवं अखंडता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है उसको बख्शता भी नहीं।

आज के समय में भारत की त्वरित निर्णय लेने की क्षमता के कारण देश को दुनिया में एक अलग पहचान मिली है, जिससे यह जाहीर होता है कि दुनिया में भारत का कद बढ़ा है और दुनिया के बड़े मंचों पर आज भारत की बातें ध्यान से सुनी जाती हैं। यह बातें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दो अलग-अलग कार्यक्रमों में कही।

आतंकवाद पर भारत कर रहा दुनिया का नेतृत्व

आतंकवाद के मुद्दे पर भारत दुनिया का नेतृत्व करके अपने पक्ष में समर्थन जुटाने में सफल रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद को अपना हथियार मानने वाले देशों को आज अच्छी तरह मालूम है कि भारत किसी देश को बेवजह छेड़ता नहीं है और छेड़ने वालों को वह मुंहतोड़ जवाब देना जानता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर्नाटक में मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज देश आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया का नेतृत्व करने के साथ-साथ युद्ध की तैयारी के लिए त्वरित और पारदर्शी निर्णय ले रहा है, जिसका व्यापक असर सरकार की नीतियों में देखने को मिल रही है।

युद्ध की तैयारी के लिए त्वरित और पारदर्शी निर्णय

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि युद्ध की तैयारी के लिए न केवल पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की जरूरत होती है, बल्कि इसके लिए त्वरित और पारदर्शी निर्णय लेना भी महत्वपूर्ण है। निर्णय लेने में देरी से समय के साथ-साथ धन की भी हानि होती है। इसके अलावा देरी से लिए गए निर्णयों का देश की युद्ध तैयारी पर भी प्रतिकूल प्रभाव होता है। इसे सुनिश्चित करने में रक्षा लेखा विभाग बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

रक्षा बजट के लिए आवंटित हुआ 5.25 लाख करोड़

रक्षा लेखा विभाग से समय पर निर्णय लेने का आह्वान करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि इस वर्ष रक्षा बजट के लिए 5.25 लाख करोड़ आवंटित किए गए हैं, जिसका उचित खर्च सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी रक्षा लेखा विभाग की है। उन्होंने कहा कि रक्षा लेखा विभाग को अपने अंदर सुधारों की एक प्रक्रिया चलाने की भी जरूरत है। अपनी आईटी क्षमताओं को विकसित करने के साथ ही वित्तीय जानकारी बढ़ानी चाहिए, ताकि हम और अधिक क्षमता के साथ ऑडिट इत्यादि का काम कर सकें।

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सही निर्णय देश के विकास को दे रहे गति

रक्षा मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि रक्षा लेखा विभाग अपनी वित्तीय सलाह से सरकारी खर्च में बचत करने का प्रयास करें, ताकि उस धन को देश के स्वास्थ्य, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर या अन्य विकास कार्यों में लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि आज गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एडोब और आईबीएम जैसी अनेक कंपनियां भारतीय शिक्षण संस्थानों में पढ़कर निकलने वाले भारतीयों के हाथ में हैं।

कृषि से लेकर इंजीनियरिंग, मेडिकल और आईटी सेक्टर में हमारे विश्वविद्यालयों ने कई बड़े मुकाम हासिल किए हैं। पहले देश में कोई स्टार्टअप इकोसिस्टम नहीं था, लेकिन पिछले 7-8 सालों में तस्वीर काफी बदली है। साल 2014 से पहले देश में कुछ सौ स्टार्ट-अप थे। आज देश में स्टार्टअप की संख्या 70 हजार को पार कर गई है। यह सफलता की कहानियां आप जैसे युवाओं ने लिखी हैं।

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