1 ट्रिलियन डॉलर की Digital Economy बनेगा भारत, लगाई बड़ी छलांग

India will become a $1 trillion digital economy

नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के संगठन जी-20 की अध्यक्षता संभालने बाद अब भारत ग्लोबल पार्टनरशिप ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) की अध्यक्षता करने जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने 21 नवंबर, 2022 को इस संबंध में बताया कि यह भारत को वर्ष 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल इकोनॉमी (Digital Economy) का लक्ष्य हासिल करने और भारतीय अर्थव्यवस्था को इसके लिए सक्षम बनाने हेतु ‘फोर्स मल्टिप्लायर’ (force multiplier) का काम करेगा।

बता दें, 22 नवंबर को फ्रांस से प्रतीकात्मक अधिग्रहण के लिए टोक्यो में होने वाली GPAI की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर करेंगे जो निवर्तमान परिषद अध्यक्ष है। एआई टेक लैंडस्केप को बड़ा और मजबूत बना रहा है और मानवीय संभावनाओं के दायरे को आगे बढ़ा रहा है।

मानवीय संभावनाओं का दायरा बढ़ रहा आगे

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत के प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम के विकास के लिए एक ‘काइनेटिक इनेबलर’ है और 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर डिजिटल इकोनॉमी का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एक अहम कारक है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) लैंडस्केप को बड़ा और मजबूत बना रहा है और मानवीय संभावनाओं के दायरे को आगे बढ़ा रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र में और अधिक लाभ की उम्मीद की जा रही है।

साल 2035 तक $967 बिलियन जुटाने की उम्मीद

India will become a $1 trillion digital economy

एक अनुमान के मुताबिक साल 2025 तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से भारत की जीडीपी में $450-500 बिलियन और 2035 तक $967 बिलियन जुटाने की उम्मीद है, जो देश के $5 ट्रिलियन जीडीपी लक्ष्य का कुल 10 फीसदी होगा। इस प्रकार आगामी दिनों में AI भारत के प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए एक गतिज प्रवर्तक साबित होगा और वर्ष 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ‘फोर्स मल्टिप्लायर’ का काम करेगा।

जीपीएआई (GPAI) क्या है ?

जीपीएआई यानि ग्लोबल पार्टनरशिप ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI के इस्तेमाल से जिम्मेदार और मानव-केंद्रित विकास और उपयोग का समर्थन करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पहल है। यह यूएस, यूके, ईयू, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य और सिंगापुर सहित 25 सदस्य देशों की एक मंडली है। भारत 2020 में संस्थापक सदस्य के रूप में इस समूह में शामिल हुआ था।

यह अपने प्रकार का पहला, ग्लोबल पार्टनरशिप ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) है जो भागीदार देशों के अनुभव और विविधता का उपयोग करके AI की चुनौतियों और अवसरों की बेहतर समझ विकसित करने के लिए काम करता है। इस गठबंधन का उद्देश्य एआई (AI) से संबंधित प्राथमिकताओं पर उन्नत अनुसंधान और अनुप्रयुक्त गतिविधियों का समर्थन कर सिद्धांत और व्यवहार के बीच की खाई को पाटना है।

दुनिया में भारत बना एक विश्वसनीय प्रौद्योगिकी भागीदार

दुनिया में भारत एक विश्वसनीय प्रौद्योगिकी भागीदार बन गया है। जी हां, भारत को GPAI की अध्यक्षता मिलना इस बात को दर्शाता है कि दुनिया आज भारत को एक विश्वसनीय प्रौद्योगिकी भागीदार के रूप में देखती है। भारत ने हमेशा नागरिकों के जीवन को बदलने के लिए प्रौद्योगिकी के नैतिक उपयोग की वकालत की है।

ग्लोबल पार्टनरशिप ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) भागीदारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, उद्योग, नागरिक समाज, सरकारों और शिक्षा जगत के प्रमुख विशेषज्ञों के सहयोग से एआई के जिम्मेदार विकास को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करता है और मानव अधिकारों, समावेश, विविधता, नवाचार और आर्थिक विकास पर आधारित एआई (AI) के जिम्मेदार विकास और उपयोग के लिए मार्गदर्शन करता है। आइए अब जान लेते हैं कि AI क्या है और भारत में इसे लेकर क्या काम हो रहा है ?

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) क्या है?

इसके जरिए कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिनके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है। सरल शब्दों में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक मशीन में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना है। विभिन्न परिस्थितियों में बेहतर ढंग से सोच-समझकर कार्य करने की क्षमता एक मशीन को देना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहलाता है।

AI की मदद से 2047 तक विकसित राष्ट्र बनेगा भारत

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि कृत्रिम बुद्धिमत्ता भारत की विकास यात्रा में सहायक के रूप में कार्य करेगी और 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी। भारत सरकार एआई का उपयोग अपने काम करने के तरीके को फिर से परिभाषित करने के लिए करना चाहती है। इसलिए AI तकनीक ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ जोड़ दिया गया है। अब इस दिशा में भारत में तेजी से काम भी शुरू हो गया है और आगे चलकर यही AI तकनीक भारत को विश्व की फैक्ट्री बनने में भी सक्षम बनाएगी।

भारत सरकार इसे और अधिक विस्तार देने के क्रम में युवाओं से समाज को सशक्त बनाने की दिशा में AI प्रौद्योगिकियों के दोहन के नए तरीकों का पता लगाने के लिए आग्रह कर रही है। भारत लगातार इस संबंध में रूपरेखा तैयार करने में जुटा है कि आखिर किस प्रकार AI इकोसिस्टम तथा स्टार्टअप्स का उपयोग समाज के लाभ के लिए किया जा सकता है। यही कारण है कि सरकार की साझेदारी में रक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, स्मार्ट सिटी, गतिशीलता तथा शिक्षा के क्षेत्रों पर AI के प्रयोग को लेकर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

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