Shortness Of Breath: सांस लेने में आती हैं कठिनाई, कहीं इस समस्या से ग्रस्त तो नहीं हैं आप?

Shortness Of Breath: Difficulty in breathing, are you suffering from this problem?

नई दिल्ली: सांस लेने में दिक्कत (Shortness Of Breath) महसूस करना या कठिन प्रयास के बाद सांस ले पाना गंभीर समस्या भी हो सकती हैं। जो लोग कुछ समय पहले कोरोना के शिकार होकर स्वस्थ हुए हैं, उनमें भी यह समस्या आम हैं। लेकिन इसके अलावा और भी कई स्थितियां हैं जो आपकी सांसों की लय को बिगाड़ सकती हैं। सांसों की लय का सही बना रहना स्वस्थ रहने की सबसे बड़ी निशानी हैं। इसलिए अगर चलने, उठने-बैठने या थोड़ा भी काम करते समय सांस लेने में दिक्कत आये तो हो सकता हैं आपके शरीर में कोई बड़ी उथल-पुथल चल रही हो। ऐसे में तुरंत सतर्क होकर डॉक्टर से परामर्श लें।

हमारा पूरा शरीर ऑक्सीजन की लय पर चलता हैं। ऑक्सीजन का पर्याप्त मात्रा में शरीर के भीतर पहुंचना पूरे शरीर से लेकर दिमाग तक के कार्य संचालन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। यह ऑक्सीजन ही हैं जो आपके दिल और दिमाग को चुस्त-दुरुस्त बनाये रखती हैं। इसलिए ही डॉक्टर्स भी आपको डीप ब्रीद करने की सलाह देते हैं। जहाँ सांस लेने में दिक्कत आई, शरीर में ऑक्सीजन का पहुंचना भी चुनौती बनने लगता हैं और यहीं से शुरू होती हैं मुसीबत।

सामान्य कारण:

ठीक तरह से सांस न ले पाने के पीछे कई बार बहुत सामान्य कारण भी हो सकते हैं। इनमें सामान्य सर्दी-जुकाम के कारण नाक के बंद हो जाने या भरा हुआ होने, बहुत रो लेने या किसी अचानक होने वाली स्थिति से हड़बड़ा जाने या अचानक तेज दौड़ने, एरोबिक्स या अन्य एक्सरसाइज करने से सांसों का असंतुलित होना आदि भी शामिल हो सकता हैं। ऐसे अधिकांश मामलों में सामान्य उपायों से सांस फिर सामान्य स्तर पर लौट आती हैं। कई बार तो कुछ देर में स्थिति सामान्य होते ही सांसें भी अपनी लय पर लौट आती हैं, लेकिन यदि बार-बार या लगातार सांस उखड़ने लगती हैं या बहुत ही सामान्य स्थिति में भी साँसें अनियमित होने लगती हैं तो यह कुछ गंभीर समस्याओं की ओर इशारा हो सकता हैं। इससे शरीर को नुकसान पहुँच सकता हैं।

जब शरीर को नहीं मिलती ऑक्सीजन:

सांस ठीक से न ले पाने की स्थिति में शरीर के भीतर ऑक्सीजन ठीक तरह से नहीं पहुँच पाती। इसकी वजह से शरीर कई स्तरों पर तकलीफ महसूस करने लगता हैं। कुछ लोगों को दम घुटने जैसा एहसास होता हैं, कुछ उलटी आने जैसी स्थिति महसूस करते हैं, कुछ के सीने या शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द हो सकता हैं, कभी थकान महसूस हो सकती हैं, तो कुछ को चक्कर आ सकते हैं। असल में ऑक्सीजन का काम केवल सांस लेने तक ही सीमित नहीं होता। फेफड़ों तक पहुंचने के बाद यह पूरे शरीर में रक्त संचरण को सुचारू बनाने, इम्युनिटी बढ़ाने, भोजन को ऊर्जा में बदलने, दिमाग के कामों को सही तरीके से संचालित करने और कोशिकाओं के कार्यों को सुचारू रखने, जैसे हर काम में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। इसलिए जब ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में शरीर में नहीं पहुंचती, तो हर अंग पर इसका प्रभाव पड़ने लगता हैं।

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ये समस्याएं हो सकती हैं:

सांस लेने में दिक्कत से जुडी गंभीर समस्याएं भी विभिन्न अंगों से जुड़ी हो सकती हैं। इनमें मुख्यतः फेफड़े व ह्रदय शामिल हैं। इन समस्याओं में शामिल हो सकती हैं-

लंग्स या फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं:

अस्थमा

निमोनिया

क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज़ (सीओपीडी)

पल्मोनरी एम्बोलिज्म

पल्मोनरी हायपरटेंशन

इपीग्लॉटिस, आदि

हार्ट से जुडी समस्याएं:

कोरोनरी आर्टरी डिसीज

कंजेनिटल हार्ट डिसीज़

अरिदमिया

कंजेस्टिव हार्ट फेलियर, आदि

अन्य समस्याएं :

फेफड़ों व ह्रदय के अलावा जिन अन्य समस्याओं या स्थितियों की वजह से सांस लेने में मुश्किल हो सकती हैं, उनमें से कुछ हैं-

किसी प्रकार की एलर्जी

स्ट्रेस या एंग्जायटी

हायटल हार्निया

कैमिकल या धुएंयुक्त जगह पर लम्बे समय तक काम करने या रहने से, धूम्रपान से आदि

ये समस्याएं किसी भी उम्र या वर्ग के व्यक्ति को हो सकती हैं। ये धीरे-धीरे भी सामने आ सकती हैं और अचानक भी। यदि बार-बार सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़े या अचानक सांस रूकती सी लगे तो जरूरी हैं कि तुरंत डॉक्टर की सलाह ली जाए। क्योंकि सांस न ले पाने की स्थिति में शरीर को जितनी देर ऑक्सीजन नहीं मिलती उतनी देर में अंदरूनी स्तर पर शरीर को नुकसान पहुंच सकता हैं।

ये हो सकते हैं लक्षण:

सांस न ले पाने की स्थिति में समस्या के हिसाब से लक्षण भी भिन्न हो सकते हैं। उदाहरण के लिए फेफड़ों संबंधी परेशानी में अगर खांसी, सर्दी, नाक का बंद होना, ठंड लगना, सीने में जकड़न महसूस होना आदि लक्षण सामने आ सकते हैं तो हार्निया जैसी समस्या में निगलने में परेशानी, सीने में दर्द या एसिडिटी जैसे लक्षण भी उभर सकते हैं। इसके अलावा अन्य लक्षणों में मांसपेशियों में दर्द, थकान, बुखार, तेज पसीना आना, पैरों में सूजन, धड़कनों का असंतुलित होना, चक्कर आना, शरीर पर नीलापन आना, ठीक से सोच-समझ न पाना, गले में दर्द, लार आना, सांस लेते समय तेज आवाज़ आना, आदि शामिल हैं। यहां एक बात ध्यान रखना जरूरी हैं कि ऐसे लक्षण कई सामान्य स्थितियों जैसे सामान्य थकान, किसी दिन अधिक एक्सरसाइज कर लेने या दौड़भाग कर लेने, सामान्य सर्दी-जुकाम, किसी ऊंचाई वाली जगह पर जाने आदि में भी सामने आ सकते हैं लेकिन इसपर ध्यान देना जरूरी हैं। यदि कोई गंभीर समस्या हो तो समय रहते इलाज मिलने से बचाव में आसानी होती हैं।

इन लोगों को होती हैं अधिक मुश्किल:

यूं सांस लेने में परेशानी का शिकार कोई भी व्यक्ति हो सकता हैं। यहां तक कि नवजात शिशुओं में भी यह दिक्कत किसी जन्मगत परेशानी की वजह से हो सकती हैं। लेकिन कुछ लोग इसके आसान शिकार होते हैं। ऐसे लोग जिन्हें सांस संबंधी समस्या आसानी से हो सकती हैं उनमें मोटापे से ग्रसित, लगातार स्ट्रेस, तनाव आदि की स्थिति में रहने वाले (इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्हें तनाव या स्ट्रेस दफ्तर या घर के काम या निजी किसी स्थिति की वजह से मिलता हैं और वे लोग भी शामिल हैं जिन्हें किसी ऐसी जगह पर काम करने से शारीरिक स्ट्रेस या तनाव मिलता हैं जहाँ पर्याप्त ऑक्सीजन या स्वच्छ हवा मिलना मुश्किल होता हो), किसी प्रकार की एलर्जी से ग्रसित लोग, जीवनशैली संबंधी या अन्य किसी बीमारी से गुजर रहे लोग, आदि शामिल होते हैं। इन लोगों को सांस लेने संबंधी समस्या बार-बार भी हो सकती हैं और अचानक एक दिन सामने भी आ सकती हैं।

ये हो सकते हैं उपाय:

सामान्य स्थितियों में जहां सामान्य उपाय भी काम कर जाते हैं, गंभीर स्थितियों के लिए दवाइयों, काउंसिलिंग से लेकर सर्जरी तक की आवश्यकता हो सकती हैं। यह स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता हैं। लक्षणों के आधार पर डॉक्टर आपकी शारीरिक जांच करते हैं। जरूरत पड़ने पर एक्सरे, सीटी स्कैन, ईसीजी, ब्लड टेस्ट या पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट आदि किये जा सकते हैं। इनके आधार पर डॉक्टर दवाइयां आदि लेने की सलाह देते हैं। कुछ मामलों में जीवनशैली में थोड़ा सा बदलाव जैसे पौष्टिक भोजन, समय पर सोना-जागना, नियमित व्यायाम, डीप ब्रीदिंग, मेडिटेशन आदि से भी समस्या में राहत मिल सकती हैं। स्ट्रेस, तनाव और यहां तक कि हर्निया के माइल्ड केसेस में भी इससे फर्क पड़ सकता हैं। इसलिए जरूरी हैं कि समय रहते इलाज लिया जाए।

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