ज्ञानवापी के पहले दिन का सर्वे पूरा: 4 तहखानों को खोलकर चप्पे-चप्पे की वीडियोग्राफी हुई, दीवारों की बनावट भी देखी, कल फिर होगा सर्वे

Gyanvapi Survey

वाराणसी: वाराणसी में Gyanvapi परिसर में Survey के पहले दिन का काम खत्म हो चुका हैं। सर्वे सुबह 8 बजे से शुरू हुआ था। एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्र और वादी-प्रतिवादी पक्ष के 52 लोग परिसर के अंदर गए थे। सर्वे टीम में शामिल सभी के मोबाइल बाहर जमा करा दिए गए थे। प्रशासन ने ज्ञानवापी परिसर के चारों तरफ 500 मीटर तक पब्लिक की एंट्री बंद करा दी थी। रविवार यानी कल भी सर्वे इसी समय पर होगा।

अपडेट्स:

टीम ने परिसर में बने दूसरे तहखाने का सर्वे पूरा कर लिया हैं। दोनों की वीडियोग्राफी करवाई गई हैं।

टीम ने एक तहखाने का सर्वे कर लिया हैं। अंदर क्या मिला हैं। इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई हैं।

टीम ने सबसे पहले ग्राउंड फ्लोर पर ग्रिल के पास वीडियोग्राफी की।

परिसर की वीडियोग्राफी के लिए विशेष कैमरा और लाइट की व्यवस्था की गई।

सुबह आठ बजे के करीब गेट नंबर-4 से ज्ञानवापी परिसर में टीम ने एंट्री की।

टीम ने तहखानों और परिसर की दीवारों को देखा और बनावट को कैमरे में कैद किया।

पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने बताया कि कल यानी रविवार को भी सर्वे जारी रहेगा।

Gyanvapi Survey

Survey के दौरान CM योगी भी वाराणसी में:

कोर्ट ने सर्वे में वादी-प्रतिवादी पक्ष, दोनों पक्ष के अधिवक्ता, एडवोकेट कमिश्नर और उनकी टीम, DGC सिविल और उनकी टीम, विश्वनाथ मंदिर की टीम और पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों की टीम शामिल हैं। इस सर्वे के बीच मुख्यमंत्री योगी भी वाराणसी दौरे पर हैं। वे PM मोदी की प्राथमिकता वाले विकास कार्यों की अफसरों के साथ समीक्षा करने पहुंचे हैं।

DM ने हिंदू और मुस्लिम पक्ष के साथ की थी बैठक:

सर्वे को लेकर वाराणसी DM कौशलराज शर्मा ने शुक्रवार को हिंदू और मुस्लिम, दोनों पक्षों के साथ बैठक की थी। उन्होंने सर्वे के दौरान दोनों पक्षों से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की हैं। मुस्लिम पक्ष अंजुमन-ए-इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने कहा हैं कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से कोई फैसला नहीं आ जाता हैं, वह सर्वे में सहयोग करेंगे। दरअसल, कमेटी ने सर्वे रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की हैं, लेकिन चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने फाइल देखे बिना कोई फैसला देने से इनकार कर दिया था।

ज्ञानवापी केस का पूरा मामला समझिए:

आजादी से पहले से अब तक ज्ञानवापी पर विवाद कई बार सुर्खियों में रहा हैं। हिंदू पक्ष का दावा हैं कि ज्ञानवापी परिसर काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का हिस्सा हैं। इसको लेकर कई बार मुकदमे हुए। लेकिन वह किसी रिजल्ट तक नहीं पहुंचे हैं। 1991 में पहली बार यह विवाद राष्ट्रीय सुर्खियों में आया।

तब वाराणसी के पंडित सोमनाथ व्यास समेत 3 ने कोर्ट में केस दायर किया। इसमें इन्होंने ज्ञानवापी को काशी विश्वनाथ परिसर का ही हिस्सा होने की बात कही। याचिका में कोर्ट से अपील की गई थी कि ज्ञानवापी में दर्शन, पूजन और सनातनी धर्म के अन्य कार्यों को नियमित करने की अनुमति दी जाए।

इस मामले में कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को सर्वे करने के आदेश दिए। हालांकि, वाराणसी कोर्ट के इस आदेश पर मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट पहुंच गया। हाईकोर्ट ने सर्वे पर स्टे लगा दिया। तब से यह केस फ्लोर में नहीं आया।

Gyanvapi Survey

12 मई को कोर्ट के आदेश की 5 बड़ी बातें:

सर्वे के दौरान वादी, प्रतिवादी, एडवोकेट, एडवोकेट कमिश्नर, उनके सहायक और सिर्फ सर्वे से संबंधित लोग ही होंगे। ज्ञानवापी परिसर में और कोई नहीं होगा।

कमिश्नर कहीं भी फोटोग्राफी के लिए स्वतंत्र होंगे। चप्पे-चप्पे की वीडियोग्राफी की जाएगी।

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जिला प्रशासन ताले को खुलवाकर या ताले को तुड़वाकर भी सर्वे कराएगा। DGP और चीफ सेक्रेटरी मॉनिटरिंग करें।

सर्वे पूरा कराने की जिम्मेदारी DM, पुलिस कमिश्नर की व्यक्तिगत तौर पर होगी।

जिला प्रशासन कोई भी बहाना बनाकर सर्वे की कार्रवाई को टालने का प्रयास नहीं करेगा।

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