9/11 आतंकी हमले की बरसी पर शपथ ग्रहण समारोह नहीं करेगा तालिबान

Taliban will not hold oath-taking ceremony on 11th anniversary of terrorist attack

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में तालिबानियों का लगभग संपूर्ण कब्जा हो चुका है। कब्जा करने के बाद तालिबान अपने सबसे बड़े दुश्मन अमेरिका के सबसे बड़े जख्म को कुरेदने की फिराक में था। कहा जा रहा है कि तालिबान अमेरिका के 9/11 आतंकी हमले की बरसी के अवसर पर शपथ-ग्रहण समारोह आयोजित करने वाला था लेकिन सहयोगियों के दबाव के बाद इसे रद्द कर दिया है।

अफगानिस्तान सरकार के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य इनामुल्ला समांगानी ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए बताया कि नई अफगान सरकार का शपथ ग्रहण समारोह कुछ दिन पहले ही रद्द कर दिया गया था। लोगों को और भ्रमित न करने के लिए हमने नई सरकार गठन का फैसला लिया था और यह अब काम करना शुरू कर दिया है।

मालूम हो कि सहयोगी देश रूस ने शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने से साफ इनकार कर दिया था। तालिबान ने उद्घाटन समारोह में रूस, ईरान, चीन, कतर और पाकिस्तान को आमंत्रित किया था। हालांकि रूस ने कथित तौर पर कतर को सूचित कर दिया है कि अगर यह 9/11 की बरसी पर आयोजित होता है तो वह उद्घाटन समारोह में भाग नहीं लेगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी कतर सरकार पर तालिबान को उद्घाटन समारोह पूरी तरह से आयोजित करने के खिलाफ सलाह देने के लिए दबाव डाल रहे थे क्योंकि इस दिन को चुनना एक अमानवीय कदम के रूप में सामने आएगा।

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तालिबान की 33 मंत्रियों की सरकार में 14 आतंकी हैं। कई उपमंत्री और गवर्नर भी इनमें इनमें शामिल हैं। प्रधानमंत्री मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद, उसके दोनों उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और मौलवी अब्दुल सलाम हनफी जैसे कई नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की काली सूची में शामिल है। अमेरिका ने भी इनके नाम अपनी काली सूची में डाल रखे हैं। रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब, विदेश मंत्री मुल्ला अमीर खान मुत्तकी और डिप्टी शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई भी आतंकियों में हैं।

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