कीव/मॉस्को: फ्रांस में 75वें कान्स फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत हो चुकी हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इस फिल्म फेस्टिवल को वर्चुअली संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने Russia राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन पर निशाने साधते हुए कहा कि इंसानों में नफरत खत्म हो जाएगी और तानाशाह मर जाएंगे।
यूक्रेनी राष्ट्रपति ने फिल्म निर्माताओं से फासीवाद पर कॉमेडी फिल्म बनाने की अपील की। जेलेंस्की ने चार्ली चैपलिन के एडॉल्फ हिटलर वाले रोल की तारीफ करते हुए कहा- हमें एक नए चैपलिन की जरूरत हैं जो यह बता सके कि हमारे वक्त का सिनेमा चुप नहीं हैं।
Russia-यूक्रेन जंग अपडेट्स:
17 मई यानी बीते रोज इजरायली दूतावास राजधानी कीव लौट आया।
रूसी हैकर्स ने यूक्रेन का सपोर्ट करने पर कोस्टा रिका पर साइबर अटैक किया।
जर्मन सरकार ने रूस पर अपनी उर्जा निर्भरता करने की तैयारी शुरू कर दी हैं।
अब तक यूक्रेन के हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 226 से ज्यादा हमले:
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) का कहना हैं कि युद्ध शुरू होने के बाद से रूस ने यूक्रेन के हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 226 से ज्यादा हमले किए हैं। यानी हर दिन यूक्रेन की मेडिकल सेवाओं पर तीन हमले किए गए हैं। WHO के रीजनल डायरेक्टर का कहना हैं कि इन हमलों में 75 लोग मारे गए और 59 अन्य घायल हुए।
फिनलैंड की संसद में नाटो में शामिल होने को मंजूरी:
फिनलैंड की संसद ने सरकार को नाटो में शामिल होने को मंजूरी दे दी हैं। इसे लेकर की गई वोटिंग के दौरान 200 में से 188 सांसदों ने फैसले का सपोर्ट किया। दूसरी तरफ व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव का कहना हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन 19 मई को फिनिश और स्वीडिश प्रधानमंत्री के साथ नाटो आवेदनों पर बातचीत करेंगे।
कनाडा में पुतिन की एंट्री बैन करने की तैयारी:
कनाडाई सरकार पुतिन समेत रूसी सरकार के 1000 सदस्यों की देश में एंट्री बैन करने की तैयारी कर रही हैं। कनाडाई सीनेट में इसे लेकर एक बिल भी पेश किया गया हैं। दूसरी तरफ, जर्मनी ने यूक्रेन को 15 करोड़ यूरो का कर्ज देने का वादा किया हैं।
यूक्रेनी सैनिकों पर चल सकता हैं मुकदमा:
दूसरी तरफ यूक्रेन के उप रक्षा मंत्री ने कहना हैं कि मारियुपोल स्टील प्लांट से निकाले गए घायल यूक्रेनी सैनिकों को रूस के कब्जे वाले इलाके में ले जाया गया हैं। इन्हें रूसी सैनिकों के साथ अदला-बदली किया जाएगा। हालांकि, कुछ रूसी अधिकारियों का दावा हैं कि इन सैनिकों पर मुकदमा चलाया जा सकता हैं या उन्हें मौत की सजा हो सकती हैं।