फिल्ममेकर श्याम बेनेगल ने अपनी अपकिंग बायोपिक फिल्म Mujeeb- द मेकिंग ऑफ अ नेशन’ का ट्रेलर रिलीज किया हैं। इसके साथ ही लोग इस ट्रेलर की आलोचना कर रहे हैं। लोगों का कहना हैं कि फिल्म को लेकर ठीक से रिसर्च नहीं की गई हैं। मुजीब को भारत और बांग्लादेश की सरकार ने मिलकर इसे बनाया हैं। हालांकि अभी तक फिल्म की रिलीज डेट डिसाइड नहीं हुई हैं।
कार्टून फिल्म बना दी हैं:
फिल्म फेस्टिवल में भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और बांग्लादेश के मंत्री हसन महमूद ने ट्रेलर को रिलीज किया था। हालांकि ट्रेलर को देखने के बाद लोग सोशल मीडिया पर इसकी जमकर आलोचना कर रहे हैं। इसके साथ ही बहुत से लोगों का कहना हैं कि फिल्म में शेख मुजीब की भूमिका अच्छे से नहीं निभाया गया हैं। इस फिल्म में मुजीब का रोल आरिफिन शुवू ने निभाया हैं, उनका कहना हैं कि आरिफिन की पर्सनैलिटी में वो ऑरा नहीं हैं जैसा बंगबंधु की पर्सनैलिटी थी। कुछ यूजर्स ये भी कह रहे हैं कि फिल्म का VFX भी खराब हैं। उनका कहना हैं कि फिल्म कार्टून जैसी लग रही हैं।
ठीक से रिसर्च नहीं करने का हैं आरोप:
वहीं कुछ लोगों ने इस बात का भी आरोप लगाया कि शेख मुजीब पर अच्छे से रिसर्च नहीं की गई हैं। फिल्म के एक सीन में शेख मुजीब के मशहूर ऐतिहासिक भाषण दिखाया हैं। ये भाषण 7 मार्च का हैं, जबकि यूजर्स का कहना हैं कि मुजीब ने ये भाषण बिना चश्में के दिया था। यह बात रिकॉर्ड में भी दर्ज हैं।
दो साल तक चली शूटिंग:
मुजीब की शूटिंग दो साल तक हुई और इसके पोस्ट प्रोडक्शन का काम पिछले साल दिसंबर में पूरा हुआ था। बांग्लादेशी एक्टर अरिफिन शुवू फिल्म में मुजीब का किरदार निभा रहे हैं। वहीं, फजलुर रहमान बाबू, चंचल चौधरी, नुसरत इमरोज तिशा और नुसरत फारिया भी फिल्म में मुख्य भूमिका में दिखाई देंगी। इस फिल्म का एक्शन डायरेक्शन शाम कौशल ने किया हैं। वहीं इसकी कहानी अतुल तिवारी और शमा जैदी ने लिखी हैं।
कौन थे Mujeeb:
मुजीब ने 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए राजनीतिक नेतृत्व प्रदान किया। अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती दिनों में मुजीब महात्मा गांधी से मिले, जो जनता को सशक्त बनाने के लिए उनके लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत थे। यह बायोपिक मुजीब के जीवन का एक जश्न हैं यह हमें इतिहास के उस दौर में ले जाती हैं जिसे दर्शक फिर से जीवंत होते देखेंगे। फिल्म में उस महान नेता को दिखाया गया हैं जिसकी उपलब्धियां आज भी जिंदा हैं।
मुजीब का जन्म एक प्रतिष्ठित मुस्लिम परिवार में हुआ था और वह एक धार्मिक और सौहाद्रपूर्ण माहौल में पले-बढ़े थे। वह गरीबों के प्रति बहुत दयालु थे और उनके प्रति सहानुभूति रखते थे। उन्होंने पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान के बीच असमानता एवं अभाव और पाकिस्तानी सैन्य शासन के खिलाफ संघर्ष किया। 1947 से 1971 की अवधि में उन्हें लगभग 11 वर्षों के लिए जेल भी गए। उन्होंने एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र “बांग्लादेश” के गठन का प्रयास किया और अपना यह लक्ष्य हासिल किया। इसलिए मुजीब को ‘बंगबंधु’ के रूप में बांग्लादेश का राष्ट्रपिता माना जाता हैं।