सैटेलाइट इमेज से मिलेगी डिफेंस लैंड पर अतिक्रमण की सूचना, AI बेस्ड सॉफ्टवेयर से होगा संभव

Information about encroachment on Defense land will be available from satellite images

नई दिल्ली: देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी सेनाओं के कंधों पर होती है। भारतीय सेना अपनी इस जिम्मेदारी को निष्ठा से पूरी करते हुए देश की सुरक्षा में डटी हुई है। ऐसे में भारत जैसे विशाल देश में सेना को काम करने के लिए बड़े पैमाने पर उपलब्ध इंफ्रास्ट्रक्चर को सुव्यवस्थित और सुरक्षित रखना भी अहम है। दरअसल, इसी बात को ध्यान में रखते हुए देशभर में फैली सैन्य भूमि का सर्वेक्षण पूरा करने के बाद अब रक्षा भूमि पर अतिक्रमण का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) बेस्ड सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है। इस एप के जरिए सैटेलाइट तस्वीरों से अवैध निर्माण या सैन्य भूमि में किए गए बदलावों का आसानी से पता लगाया जा सकेगा। GPS, ड्रोन इमेजरी और सैटेलाइट इमेजरी जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए रक्षा मंत्रालय ने सैन्य भूमि का सर्वेक्षण किया है।

आजादी के बाद पहली बार सर्वेक्षण

रक्षा मंत्रालय के रक्षा सम्पदा महानिदेशालय ने सैन्य संपदा को सुरक्षित और डेटा एकत्रित करने के उद्देश्य से सर्वेक्षण किया। आजादी के बाद पहली बार रक्षा मंत्रालय ने देश भर में फैली सैन्य भूमि का सर्वेक्षण तीन वर्षों के भीतर किया है। देश की 62 सैन्य छावनियों के जमीन का सर्वेक्षण करने में तीन वर्ष लगे हैं। विश्वसनीय सर्वेक्षण प्रक्रिया में जीपीएस, ड्रोन इमेजरी और सैटेलाइट इमेजरी जैसी आधुनिक सर्वेक्षण तकनीकों का उपयोग किया गया। रक्षा मंत्रालय के रक्षा सम्पदा महानिदेशालय ने अक्टूबर, 2018 से रक्षा भूमि का सर्वेक्षण शुरू किया था।

BARC के सहयोग से विकसित

सैटेलाइट और मानव रहित रिमोट व्हीकल इनिशिएटिव पर उत्कृष्टता केंद्र ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित सॉफ्टवेयर विकसित किया है। यह सॉफ्टवेयर सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करके देश भर में फैली डिफेंस लैंड पर अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण का पता लगा सकता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भूमि प्रबंधन और शहरी नियोजन के लिए उपग्रह इमेजरी, ड्रोन इमेजरी और भू-स्थानिक उपकरण का उद्घाटन 16 दिसंबर, 2021 को किया था। इस चेंज डिटेक्शन सॉफ्टवेयर को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC), विशाखापत्तनम के सहयोग से विकसित किया गया है।

AI आधारित सॉफ्टवेयर

एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित सॉफ्टवेयर विकसित किया है जो सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करके एक समय खंड में अनधिकृत निर्माण व अतिक्रमण समेत जमीन पर होने वाले किसी परिवर्तन का स्वचालित रूप से पता लगा सकता है। इससे दुर्गम इलाकों में स्थित डिफेंस लैंड के मैनेजमेंट में सहायता मिलेगी। सीओई-सर्वे ने भूमि प्रबंधन के लिए खाली भूमि विश्लेषण और पहाड़ी छावनियों के 3डी इमेजरी विश्लेषण के लिए उपकरण भी विकसित किए हैं।

कैसे करेगा काम?

रक्षा मंत्रालय के अनुसार यह टूल प्रशिक्षित सॉफ्टवेयर के साथ नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर कार्टोसैट-3 इमेजरी का उपयोग करता है। अलग-अलग समय पर ली गई उपग्रह इमेजरी का विश्लेषण करके अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण का पता लगाया जा सकता है। इस सॉफ्टवेयर से छावनी बोर्डों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) को सैन्य भूमि में किए गए बदलावों को पहचानने में आसानी होगी। परिवर्तनों की पहचान करने के बाद उनके वैध या अवैध होने की जांच की जा सकेगी। सीईओ को यह भी पता चल सकेगा कि क्या अनधिकृत निर्माण या अतिक्रमण के खिलाफ समय पर कार्रवाई की गई है या नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *