लंदन/नई दिल्ली: Boris Johnson ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। मीडिया खबरों के मुताबिक पिछले कई दिनों से उन पर इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। उनकी कंजर्वेटिव पार्टी के मंत्रियों ने भी उनका साथ छोड़ना शुरू कर दिया था। आखिरकार दबाव बढ़ने के बाद आज उन्होंने प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ने का फैसला कर लिया।
बोरिस जॉनसन के खिलाफ बगावत यहां तक बढ़ गई थी कि दो दिन के भीतर 40 से ज्यादा इस्तीफे हो गए थे। उनके खिलाफ 41 मंत्रियों ने बगावत कर दी थी। ये पूरा विवाद क्रिस पिंचर की नियुक्ति से जुड़ा हुआ है। इसी साल फरवरी में जॉनसन ने क्रिस पिंचर को कंजर्वेटिव पार्टी का डिप्टी चीफ व्हिप नियुक्त किया था।
30 जून को ब्रिटिश अखबार ‘द सन’ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि क्रिस पिंचर ने लंदन के एक क्लब में दो युवकों को आपत्तिजनक तरीके से छुआ था। पिंचर पर इससे पहले भी यौन दुराचार के आरोप लगते रहे हैं।
‘द सन’ की रिपोर्ट आने के बाद क्रिस पिंचर ने डिप्टी चीफ व्हिप के पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, उनकी ही पार्टी के सांसदों का कहना था कि जॉनसन को उनके ऊपर लगे आरोपों की जानकारी थी, उसके बाद भी उन्हें नियुक्त किया गया। वहीं, 1 जुलाई को सरकार के प्रवक्ता ने कहा था कि प्रधानमंत्री जॉनसन को इन आरोपों की जानकारी नहीं थी।
इसके बाद 04 जुलाई को फिर सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि जॉनसन को पिंचर पर लगे आरोपों की जानकारी थी पर इसके लिए नियुक्ति ना करना सही नहीं समझा, क्योंकि आरोप अभी तक साबित नहीं हुए थे।
सबसे पहले 05 जुलाई को वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने इस्तीफा दिया था। उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा था कि लोगों को उम्मीद होती है कि सरकार ठीक तरह से काम करे। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने अपने इस्तीफे में लिखा था कि सरकार राष्ट्र हित में काम नहीं कर रही है। इन दोनों के अलावा 02 कैबिनेट मंत्रियों ने भी इस्तीफा दे दिया था।