हैप्पी बर्थडे राज कपूर: आज भी हलचल मचा देते हैं ‘शोमैन’ के किस्से

Happy Birthday Raj Kapoor showman stir today

मुंबई: बॉलीवुड के शोमैन कहे जाने वाले राज कपूर (Raj Kapoor) आज 98वीं बर्थ एनिवर्सरी हैं। राज कपूर, पृथ्वीराज कपूर और रामसरणी मेहरा के 06 बच्चों में सबसे बड़े थे। राज, फिल्मी परिवार से ताल्लुक रखते थे, जिससे अभिनय उनके खून में था। महज 10 साल की उम्र में राज कपूर पहली बार इंकलाब फिल्म में नजर आए। वहीं इनका पहला लीड रोल साल 1947 की नील कमल में रहा। महज 24 साल की उम्र में राज कपूर ने आरके स्टूडियो शुरू कर बड़ी मिसाल कायम की। ये अपने जमाने के सबसे यंग डायरेक्टर थे।

बॉलीवुड के आंगन में कब खिला यह फूल?

यह वह दौर था, जब बॉलीवुड में दिग्गज अभिनेता पृथ्वीराज कपूर की जलवाफरोशी थी। हर कोई उनकी अदाकारी का कायल था। बस उन्हीं पृथ्वीराज कपूर के घर 14 दिसंबर 1924 के दिन एक फूल खिला, जिसने पूरे बॉलीवुड को महका दिया। इसी दिन राज कपूर का जन्म हुआ, जो बाद में बॉलीवुड के शोमैन कहलाए।

राज कपूर और नरगिस का ‘वो’ रिश्ता

श्री 420 का गाना ‘प्यार हुआ इकरार हुआ हैं, प्यार से फिर क्यों डरता हैं दिल? कहता हैं दिल रस्ता मुश्किल, मालूम नहीं हैं कहां मंजिल’ आज भी बेहद मशहूर हैं। इस गाने जैसी ही प्रेम कहानी रही राज कपूर और नरगिस की। दरअसल, यह वह दौर था, जब राज कपूर ने अपने करियर की शुरुआत की थी। इस किस्से का जिक्र राज कपूर के बेटे ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा ‘खुल्लम खुल्ला’ में किया था।

उन्होंने इस आत्मकथा में अपने पिता राज कपूर के कथित अफेयर्स का भी जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने राज कपूर और नरगिस के बारे में भी जानकारी दी थी। हालांकि, नरगिस का नाम नहीं लिखा था। उन्होंने लिखा था, ‘मेरे पिता राज कपूर जब 28 साल के थे, उस वक्त वह किसी से बेपनाह मोहब्बत करते थे। अफसोस की बात यह है कि वह महिला मेरी मां नहीं थी। उनकी प्रेमिका कोई और नहीं, बल्कि उस वक्त की सुपरहिट फिल्मों ‘आग’ (1948), ‘बरसात’ (1949) और ‘आवारा’ (1951) की नायिका थी।’ गौर करने वाली बात यह है कि ऋषि कपूर ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन जिन फिल्मों का जिक्र उन्होंने किया, उनकी नायिका नरगिस थीं।

शादी में छलक आए थे राज कपूर के आंसू

कहा तो यह भी जाता है कि राज कपूर नरगिस से बेइंतहा मोहब्बत करते थे, लेकिन उनके लिए अपनी पत्नी कृष्णा कपूर और बच्चों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए। दरअसल, नरगिस तो शादीशुदा राज कपूर के साथ भी रिश्ते में बंधने के लिए तैयार थीं, लेकिन राज कपूर इसके लिए तैयार नहीं थे। इसके बाद दोनों की राहें एकदम अलग हो गईं और नरगिस ने सुनील दत्त के साथ शादी कर ली। जानकार बताते हैं कि जब नरगिस और सुनील दत्त के फेरे हो रहे थे, उस वक्त राज कपूर की आंखें छलछला गई थीं। यह भी बताया जाता है कि अपना रिश्ता टूटने के बाद नरगिस और राज कपूर ने कभी साथ काम नहीं किया। वहीं, नरगिस ने 1956 में ‘जागते रहो’ की शूटिंग खत्म करने के बाद आरके स्टूडियो में कभी कदम नहीं रखा।

हालांकि, इसके 24 साल बाद वह ऋषि कपूर की शादी में शामिल होने पहुंची थीं। उस वक्त नरगिस बेहद नर्वस थीं। ऐसे में कृष्णा कपूर ने उन्हें ढांढस बंधाया था। उन्होंने कहा था, ‘मेरे पति बेहद खूबसूरत हैं। वह रोमांटिक भी हैं। मैं आकर्षण समझ सकती हूं। मैं जानती हूं कि आप क्या सोच रही हैं, लेकिन अतीत को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप मेरे घर में खुशी के मौके पर आई हैं और आज हम एक-दूसरे के दोस्त हैं।’ इस किस्से का जिक्र भी ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा में किया था।

वैजयंती माला संग मोहब्बत का अधूरा सफर

नरगिस के बाद अगर किसी दूसरी अभिनेत्री से राज कपूर का नाम जुड़ा तो वह वैजयंती माला थीं। वैजयंती माला उन दिनों की मशहूर अभिनेत्रियों में शामिल थीं और उन्होंने राज कपूर के साथ सुपरहिट फिल्म ‘संगम’ में काम किया था। ऋषि कपूर ने अपनी किताब में लिखा था, ‘मुझे याद है कि जब पापा का अफेयर वैजयंती माला के साथ था, उस वक्त मैं अपनी मां के साथ मरीन ड्राइव स्थित नटराज होटल में रहने लगा था। होटल से हम चित्रकूट स्थित अपने घर में शिफ्ट हो गए थे। यह वही घर था, जो पापा ने हमारे लिए खरीदा था। उन्होंने मां को वापस लाने की हर कोशिश की, लेकिन मां तब तक नहीं मानीं, जब तक पापा ने अपनी जिंदगी के उस किस्से को खत्म नहीं कर दिया।’

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गौर करने वाली बात यह है कि वैजयंती माला ने राज कपूर और अपने रिश्ते की अफवाहों को सिरे से नकार दिया था। इस किस्से का जिक्र भी ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा में किया था। उन्होंने लिखा था, ‘वैजयंती माला ने दावा किया था कि मेरे पिता ने पब्लिसिटी के लिए रोमांस की कहानी गढ़ी। मैं नहीं जानता कि वह इतना कैसे गिर सकती हैं। कैसे यह बात कह सकती हैं कि उनका अफेयर नहीं था। उन्हें बातों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का कोई अधिकार नहीं था, क्योंकि हकीकत बयां करने के लिए मेरे पिता जीवित नहीं थे।’

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