किशनगंज(बिहार): कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो होता… तबीयत से बस एक पत्थर तो उछालो यारों..।
जी हां, घूम घूम कर कपड़े बेचनेवाले एक गरीब पिता का सपना तब पूरा हुआ जब उसके बेटे अनिल बोसाक ने सिविल सेवा की परीक्षा में ऑल इंडिया में 45वां रैंक लाकर बिहार के नाम को रोशन कर दिया। गरीब पिता ने महाजन से कर्ज लेकर अपने बच्चे पढ़ाया लिखाया। अपने पिता के सपने को सत्य कर दिखाया है सीमांचल के बेटे अनिल बोसाक ने। बोसाक ने सिविल सर्विसेज-2020 की परीक्षा में 45वां स्थान हासिल किया है।
अनिल ने देश की प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC में सफलता हासिल की है, इन्हें तीसरे प्रयास में यह सफलता मिली है। अनिल ने साल 2019 के यूपीएससी परीक्षा में भी सफलता हासिल करते हुए 616वां रैंक हासिल किया था और उनका चयन राजस्व विभाग में हुआ था। लेकिन उक्त सफलता से संतोष प्राप्त नहीं हुआ, हार नहीं मानते हुए अनिल ने 2020 में फिर परीक्षा दी और इस बार उन्होंने 45वां रैंक हासिल किया है। बोसाक की इस सफलता से पूरे जिले में हर्षोल्लास का माहौल है और बधाई देने वालों का उनके घर पर तांता लगा हुआ है।
अनिल के पिता बिनोद बसाक कपड़े की फेरी लगाकर गांव-गांव में कपड़े बेचते हैं। चार भाइयों में दूसरे नंबर पर अनिल है, अनिल के पिता की माली हालत ऐसी नहीं थी कि देश की प्रतिष्ठित यूपीएससी जैसी परीक्षा में बैठते, बचपन से पढ़ाई-लिखाई में अनिल मेधाबी और स्कॉलरशिप के सहयोग से काफी हद तक आगे की पढ़ाई में सहयोग मिल सका, आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद भी अनिल ने हार नहीं मानी। अनिल ने 8वीं की पढ़ाई ओरिएंटल पब्लिक स्कूल से वर्ष 2011 में अररिया पब्लिक स्कूल से मैट्रिक, 2013 में 12वीं की परीक्षा बालमंदिर सीनियर सेकेंड्री स्कूल से पास की। इसके बाद वर्ष 2014 में आईआईटी दिल्ली में दाखिला मिला।
वर्ष 2014 में आईआईटी दिल्ली में चयन हुआ था। वर्ष 2018 में आईआईटी दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग से आईआईटी पूरा किया। अनिल का पैतृक घर किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड में है। रोजी-रोटी की तलाश में इनके पिता किशनगंज के तांती बस्ती मोहल्ले में आये और साइकिल से गांव-गावं कपड़े की फेरी लगा कर कपड़े बेचकर बेटे का सपना पूरा किया जो अपने आप में एक मिसाल है। अनिल के पिता ने बताया कि शुरुआती दिनीं में काफी संघर्ष कर अपने बच्चों को पढ़ाया और अपने बेटे का अरमान पूरा करने के लिए वो कर्ज के बोझ में दब गये थे लेकिन हिम्मत नही हारी। बिहार के इस लाल अनिल की सफलता से परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं है और सभी उसके मेहनत और लगन की सराहना कर रहे हैं।