नई दिल्ली: भारतीय नौसेना की अब समुन्द्र में ताकत और बढ़ने वाली है। लगभग एक साल तक मरम्मत के बाद विमानवाहक पोत INS विक्रमादित्य का समुद्री परीक्षण शुरू हो गया है। जल्द ही परीक्षण पूरा होने के बाद विमानवाहक पोत को ऑपरेशनल भूमिका में उतारे जाने की उम्मीद है।
कब होगा नौसेना में शामिल INS विक्रमादित्य?
INS विक्रमादित्य का अभी समुद्री परीक्षण किया जा रहा है। INS विक्रमादित्य को 31 मार्च तक आधिकारिक तौर पर भारतीय नौसेना को सौंप दिया जाएगा और अप्रैल में MIG-29के का संचालन शुरू होगा। भारतीय नौसेना इस एयरक्राफ्ट कैरियर से MIG-29 के फाइटर जेट्स ऑपरेट करती है।
साल 2021 में मरम्मत के लिए भेजा गया
भारत का पहला विमानवाहक पोत INS विक्रमादित्य को दिसंबर 2021 में मरम्मत के लिए कारवार नौसेना बेस में भेजा गया था। लगभग 45 हजार टन वजनी विमानवाहक पोत की मरम्मत पूरी होने के बाद अब इसका समुद्री परीक्षण शुरू किया गया है। इस दौरान पोत अपने स्वयं के इंजनों के तहत कारवार नौसेना बेस के बाहरी लंगर में जाएगा। 15 महीने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसे 31 मार्च तक आधिकारिक तौर पर भारतीय नौसेना को सौंप दिया जाएगा। इसके बाद पोत से मिग-29के का संचालन अप्रैल में शुरू होगा। यह परीक्षण मार्च में गोवा और आईएनएस कदंबा के बीच अप्रैल में शुरू होने वाले हवाई संचालन के साथ शुरू होगा।
INS विक्रमादित्य का खास है इतिहास
विक्रमादित्य युद्धपोत रूस में बना है। भारत ने इसे कुछ बदलाव के साथ रूस से खरीदा था। साल 2004 में भारत ने इसे 2.35 बिलियन डॉलर की कीमत पर खरीदा था। भारत ने इसका नाम बदलकर महान सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में INS विक्रमादित्य रखा। इसके बाद इसमें बदलाव का काम शुरू हुआ और साल 2013 में जाकर ये पूरी तरह से तैयार हो गया। 16 नवंबर 2013 को रूस में रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इसे कमीशन किया था। 2014 को पीएम मोदी ने औपचारिक रूप से INS विक्रमादित्य को इंडियन नेवी में शामिल किया।
नौसेना की ताकत में होगा इजाफा
INS विक्रमादित्य युद्धपोत में अधिकतम 36 विमान ले जाने की क्षमता है, जिसमें 26 मिग-29के लड़ाकू विमान और 10 कामोव का-31 अग्रिम इलेक्ट्रॉनिक चेतावनी (AEW) और KA-28 पनडुब्बी रोधी युद्धक (ASW) हेलीकॉप्टर शामिल हैं। INS विक्रमादित्य संचालन के लिए तैयार होने के बाद भारत के पास दो विमानवाहक पोत होंगे। पहला तो INS विक्रमादित्य और दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत है, जिसका पहले से ही पश्चिमी समुद्र तट पर परीक्षण चल रहा है। विक्रांत को भारत के पूर्वी समुद्री तट पर विशाखापत्तनम में और पूर्व रूसी वाहक आईएनएस विक्रमादित्य को पश्चिमी तट पर तैनात किये जाने की योजना है। इससे इंडो-पैसिफिक इलाके में नेवी की ताकत में बढ़ोतरी होगी।