नई दिल्ली: भारत सरकार के कौशल विकास, उद्यमिता तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में 29 नवंबर को एक सप्ताह तक चलने वाले आज़ादी का डिजिटल (Digital) महोत्सव का उद्घाटन किया। मंच पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में इलेक्टॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव अजय साहनी और इलेक्टॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में अपर सचिव डॉ. राजेंद्र कुमार, नैस्कॉम की अध्यक्ष देबजानी घोष और माईगोव व एनईजीडी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभिषेक सिंह शामिल थे।
राजीव चंद्रशेखर ने अपने संबोधन में कहा कि 2021 एक महत्वपूर्ण वर्ष है। डिजिटल इंडिया ने डिजिटल बुनियादी ढांचे तथा सेवाओं के लचीलेपन को साबित कर दिया है और भारत महामारी के बाद की दुनिया में अधिक आत्मविश्वास वाला और अधिक आशावादी राष्ट्र बनकर उभरा है। उन्होंने याद करते हुए कहा कि डिजिटल इंडिया ने लोगों के जीवन को बदलने, डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने और देश के लिए रणनीतिक लाभ पैदा करने में काफी योगदान किया है। भविष्य में प्रौद्योगिकी की बढ़ती तीव्रता और नागरिकों की आकांक्षाओं को स्वीकार करते हुए, उन्होंने छह मोर्चों, यानी सभी के लिए कनेक्टिविटी, सरकारी सेवाओं और उत्पादों का स्मार्ट आर्किटेक्चर संचालित डिजिटलीकरण, भारत में ट्रिलियन-डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था, वैश्विक मानक कानून, नेतृत्व प्रौद्योगिकी विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में उन्नत प्रौद्योगिकी का नेतृत्व और 5जी और व्यापक-आधारित कौशल और प्रतिभा पूल पर आवश्यक कार्यों का सार प्रस्तुत किया। उन्होंने भी कहा कि इसका कार्यान्वयन सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का आह्वान करता है।
अजय साहनी ने कहा कि हमने जो उपलब्धि प्राप्त की है उसका जश्न मनाने तथा भविष्य के लिए और नए भारत के निर्माण के लिए कार्य योजना तैयार करने का समय है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में डिजिटल सेवाएं चालू हैं और अब समय आ गया है कि उद्योग के साथ साझेदारी में राष्ट्रव्यापी सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से सामाजिक क्षेत्रों में एकल परियोजनाओं का सामंजस्य स्थापित किया जाए। उन्होंने सेवाओं की पूरी श्रृंखला प्राप्त करने के लिए सिंगल साइन-ऑन, मल्टीपल विंडो पर जोर दिया और सेवा वितरण केंद्रों के सहायता प्राप्त मोड में नागरिकों को वॉक-इन करने की पसंद पर जोर दिया। उन्होंने विशेष रूप से उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके भारत में डिजिटल उत्पाद बनाने पर भी ध्यान दिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, माईगोव और एनईजीडी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभिषेक सिंह ने डिजिटल परिवर्तनकारी पहलों पर प्रकाश डाला, डिजिटल इंडिया बनाने में योगदानकर्ताओं की सराहना करते हुए कहा कि डिजिटल इंडिया का विजन वर्तमान और भविष्य की डिजिटल पहलों तथा सभी प्रयासों के लिए मार्गदर्शक शक्ति है और उसी को साकार करने के लिए सभी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने अगले 7 दिनों तक चलने वाले कार्यक्रम के बारे में संक्षेप में बात की, जिसमें डिजिटल इंडिया-सार्वजनिक मंच और राज्य की पहल, एआई सहित उभरती हुई प्रौद्योगिकियां, एमईआईटी स्टार्टअप हब, इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में भारत को आत्मनिर्भर बनाना, सीएससी, स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसरों और राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन, माईगोव के साथ नागरिक जुड़ाव और डिजिटल भुगतान उत्सव के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाना शामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 50 स्टॉलों वाली एक प्रदर्शनी खोली गई है और सरकारी स्कूलों की शीर्ष 20 टीमें एआई समर्थित समाधान दिखा रही हैं।
डॉ. राजेंद्र कुमार ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत दुनिया के डिजिटल क्षेत्र में अपना स्थान बना लिया है और अब भारत दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल निर्माण देशों में से एक है। उन्होंने अनुप्रयोगों से प्लेटफार्मों पर जाने, इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में आत्मनिर्भर भारत बनाने, उभरती हुई तकनीक-एआई और 5जी पर पैर जमाने, साइबर सुरक्षा में उन्नति करने तथा विशेष रूप से डिजिटल डोमेन में ठोस कानूनी ढांचे को काम में लाने के लिए निरंतर प्रयासों पर जोर दिया।
देबजानी घोष ने समावेशी विकास के लिए प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया को प्रौद्योगिकी का सही अर्थ दिखाया है, यानी समावेशी विकास, सार्वजनिक भलाई के लिए प्रौद्योगिकी एवं पिरामिड के नीचे तक लक्षित प्रौद्योगिकी। उन्होंने टीम इंडिया के एक हिस्से के रूप में सरकार और उद्योग साझेदारी पर भी चर्चा की, जो कि इलेकट्रॉनिक्स, सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा गढ़ा गया शब्द है।
उद्घाटन सत्र में डिजिटल इंडिया के तहत 75 सफलता की कहानियां, डिजिटल इंडिया की उपलब्धियों पर एक फिल्म और 75@75 भारत की एआई यात्रा का शुभारंभ हुआ। सहायता प्राप्त मोड में उमंग सेवाओं के वितरण की नीति की भी घोषणा की गई। उद्घाटन सत्र के बाद सरकार और स्टार्ट-अप की पहल पर आधारित लगभग 50 स्टॉलों वाले प्रदर्शनी हॉल को खोला गया।