नए साल के पहले दिन का आगाज फिल्म जगत के लिए झटके की खबर से हुआ हैं। साल की सबसे महंगी फिल्म ‘आरआरआर’ (‘RRR’) की रिलीज डेट पोस्टपोन हो गई हैं। हालांकि ट्रेड एनालिस्ट राज बंसल का मानना हैं कि फरवरी से सिनेमाघरों (cinemas hall) की रौनक वापस लौट आएगी। क्योंकि तब तक कोविड के नए वैरिएंट का असर खत्म हो जाएगा। यही वजह हैं, फरवरी महीने में रिलीज होने वाली फिल्मों की रिलीज डेट आगे नहीं खिसकी हैं। खुद ‘बधाई दो’ के डायरेक्टर हर्षवर्धन कुलकर्णी ने कहा कि उनकी फिल्म 4 फरवरी को ही सिनेमाघरों में आएगी। हम उसे डायरेक्ट ओटीटीटी पर रिलीज नहीं करेंगे।
फरवरी में तापसी पन्नू की ‘शाबाश मिथु’, अदिवि शेष की ‘मेजर’, आलिया भट्ट की ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ और रणवीर सिंह की ‘जयेशभाई जोरदार’ आनी हैं। मार्च में भी ‘बच्चन पांडे’, ‘शमशेरा’, ‘भूल भुलैया-2’ और ‘अनेक’ जैसी बड़े स्टार्स की बिग बजट फिल्में हैं। उनके मेकर्स भी थिएट्रिकल रिलीज पर कायम हैं।
‘आरआरआर’ ‘ RRR ‘ का टलना निराशाजनक:
राज बंसल कहते हैं, ‘एक जनवरी को यकीनन ‘आरआरआर’ के टलने की खबर निराशाजनक थी, पर वहीं उसी तारीख को तीन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर 18 करोड़ का कलेक्शन किया। ’83’ ने जहां 7 करोड़ 25 लाख कलेक्ट किए। वहीं ‘पुष्पा’ का बिजनेस हिंदी में छह करोड़ और स्पाइडरमैन का चार करोड़ 75 लाख का रहा। ऐसे में सिनेमाघरों में ऑडिएंस की आमद तो हैं। वो अच्छी फिल्में देखने सिनेमाघरों में आ रहें हैं।’
जर्सी के मेकर्स गुणाभाग कर रहे:
‘जर्सी’ से जुड़े सूत्रों ने बताया, ‘मेकर्स यकीनन इसकी रिलीज सिनेमाघरों में ही बरकरार रखने के स्टेटमेंट जारी कर रहें हैं, पर वो ’83’ को बतौर केस स्टडी गौर फरमा रहे हैं। ’83’ पर पिछले साल ही नेटफ्लिक्स 150 करोड़ देने को सहमत था, पर निर्माता इसे सिनेमाघरों में ही लाने को अड़े रहे। अब ओटीटी ने रेट आधे कर दिए हैं, क्योंकि सिनेमाघरों में कलेक्शन बहुत मजबूत नहीं हुआ हैं। मेकर्स को उम्मीद थी कि रिलीज के महज एक वीक में इंडिया के सिनेमाघरों से ’83’ को 120 करोड़ आएंगे, पर आंकड़ा 80 करोड़ भी पार न कर सका। लिहाजा ‘जर्सी’ के मेकर्स ओटीटी से 70 करोड़ से लेकर 85 करोड़ के ऑफर पर गुणाभाग कर रहे हैं।’
‘आरआरआर’ की मजबूरी हैं थिएटर:
‘आरआरआर’ को ओटीटी पर लाने की हिम्मत नहीं की जा रही हैं। ट्रेड पंडितों के मुताबिक, ‘ऐसा इसलिए हैं कि इस फिल्म की लागत ही 550 करोड़ हैं, जो राजामौली भी ऑनरिकॉर्ड बोलते रहे हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म की रणनीति उस बजट में एक के बजाय आधा दर्जन प्रोजेक्टों को खरीदने की रही हैं। लिहाजा ‘आरआरआर’ के मेकर्स की चुनौती और मजबूरी सिनेमाघरों में ही आने की हैं।
इस वक्त कुछ नहीं कहा जा सकता:
‘आरआरआर’ किस महीने में आएगी, इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया हैं। ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श बताते हैं, ‘इस वक्त कुछ नहीं कहा जा सकता। सब कुछ कोविड केसेस के मंद्देनजर डिसाइड होगा। फरवरी में यकीनन कम बजट वाली फिल्में ज्यादा हैं। तब ‘आरआरआर’ को लाने की गुंजाइश हैं। अगर वो आगे मार्च या अप्रैल की तारीख चुनते हैं तो उनकी ‘बच्चन पांडे’, ‘शमशेरा’, ‘भूल भुलैया-2’, ‘अनेक’ व बाकी अन्य फिल्मों से क्लैश तय हैं। ‘आरआरआर’ के अलावा ‘राधे श्याम’ और ‘पृथ्वीराज’ के भी आगे खिसकने के प्रबल आसार हैं। ऐसे में उन दोनों के भी क्लैश की संभावना बन रही हैं।
‘आरआरआर’ के मेकर्स का फैसला दिलचस्प होगा:
तरण के अलावा बाकी ट्रेड पंडितों की राय हैं कि ‘आरआरआर’ जैसी बड़े बजट की फिल्म को अब सितंबर महीने में लाना फायदेमंद होगा। वह इसलिए क्योंकि उस महीने में महज दो फिल्में ‘ब्रह्मास्त्र’ और ‘विक्रम वेदा’ ही आएंगी। तब तीनों को ओपन रन मिल जाएगा। देखना दिलचस्प होगा कि ‘आरआरआर’ के मेकर्स क्या डिसीजन लेते हैं।