नई दिल्ली: एशिया के सबसे अमीर शख्स और दिग्गज भारतीय बिजनेसमैन गौतम अडानी टेलीकॉम सेक्टर में प्रवेश कर सकते हैं। अडानी ग्रुप (Adani Group) की अडानी डेटा नेटवर्क्स , रिलायंस जियो, भारतीय एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने 5जी नीलामी में हिस्सा लेने के लिए आवेदन किया है। यह खुलासा दूससंचार विभाग द्वारा मंगलवार को जारी लिस्ट में हुआ। अडानी ग्रुप के इस नीलामी में हिस्सा लेने को लेकर मार्केट एक्सपर्ट्स ने हैरानी जताई है और उनका मानना है और उनका मानना है कि इससे स्पेक्ट्रम की कीमतों का अनुमान लगाना कठिन हो गया है।
अगली पीढ़ी के स्पेक्ट्रम की नीलामी 26 जुलाई से शुरू होगी। आवेदकों के पास अपना आवेदन वापस लेने के लिए 19 जुलाई तक का समय है। इसके लिए शुक्रवार तक आवेदन मंगाए गए थे और शनिवार को मीडिया में सूत्रों के हवाले से अडानी ग्रुप के भी आवेदन की जानकारी हासिल हुई थी जिसकी आज पुष्टि हो गई है।
अडानी ग्रुप ने निजी प्रयोग की बात कही
स्पेक्ट्रम नीलामी में हिस्सा लेने को लेकर अडाणी ग्रुप का कहना है कि वह इसका इस्तेमाल हवाई अड्डों से लेकर अपने व्यवसायों के लिए एक निजी नेटवर्क के रूप में करेगी। बोफा सिक्युरिटीज अडानी ग्रुप के इस कदम को मौजूदा टेलीकॉम कंपनियों के लिए निगेटिव मान रही है और इससे नीलामी के साथ-साथ लंबे समय में भी कंपटीशन बढ़ेगा। वैश्विक फर्म गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक यदि अडानी समूह स्पेक्ट्रम खरीदने में सफल रहती है तो 5जी में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और कंपनी कंज्यूमर मोबाइल सर्विस बिजनेस में भी उतर सकती है।
ब्रोकरेज फर्मों ने जताई हैरानी
स्पेक्ट्रम नीलामी में हिस्सा लेने को लेकर ब्रोकरेज कंपनी CLC ने हैरानी जताई है कि अडानी समूह सीधे स्पेक्ट्रम के आवंटन की प्रतीक्षा किये बिना नीलामी में बोली क्यों लगाएगा। CLC ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अडानी समूह के बोली लगाने के चलते स्पेक्ट्रम की कीमतों को लेकर अनिश्चितता पैदा होगी। इससे पहले माना जा रहा था कि भारती एयरटेल और रिलायंस जियो के बीच नीलामी में तगड़ी प्रतिस्पर्धा होगी पर अब अडानी के आने से सब बदल गया है।
क्रेडिट सुइस ने उठाए सवाल
क्रेडिट सुइस ने भी अडानी समूह द्वारा 5जी स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाने की योजना पर सवाल उठाया है। क्रेडिट सुइस के मुताबिक केंद्र सरकार निजी कंपनियों को बिना किसी लाइसेंस शुल्क के बेहतर कम लागत पर स्पेक्ट्रम हासिल करके निजी इस्तेमाल के लिए नेटवर्क स्थापित करने की मंजूरी दे चुकी है तो ऐसे में अडानी समूह द्वारा स्पेक्ट्रम नीलामी में हिस्सा लेने के पीछे कोई तार्किक कारण नजर नहीं आता।