रांची: दुमका की अंकिता (Ankita) अपने दोषी शाहरुख के लिए मौत की सजा चाहती थी। मौत से पहले दिए बयान में उसने कहा- जिस तरह उसके कारण मैं मर रही हूं, उसे भी वही सजा होनी चाहिए। रिपोर्टर के पूछने पर- क्या आप ऐसा चाहती हैं, उसने कहा था- हां।
अंकिता ने कैमरे के सामने वारदात की पूरी कहानी बताई थी। रात 10 बजे उसने अपने पापा को शाहरुख की धमकी वाली बात बताई थी। पापा ने बोला कि सुबह देखते हैं। सुबह होने से पहले ही अंकिता को जिंदा जला दिया गया। तड़के करीब 04 बजे खिड़की से शाहरुख ने पेट्रोल डाला और उसे जला दिया। अंकिता ने बताया था कि उसने खिड़की खोल कर भी देखा था, शाहरुख के साथ एक और लड़का छोटू भी था।
अंकिता को इंसाफ दिलाने के लिए लोग सड़क पर उतर रहे हैं, इधर अंकिता की मौत के बाद सरकार एक्शन में नजर आ रही हैं। एडीजी मुरारी लाल मीणा ने दुमका जाकर सोमवार की देर शाम अंकिता सिंह के घर का मुआयना किया और परिजन से मुलाकात की। विपक्ष इस मामले में सरकार को घेरने की कोशिश में हैं। गवर्नर रमेश बैस ने लोकल पुलिस की भूमिका की जांच के आदेश दिए हैं।
अंकिता को शाहरुख दो साल से परेशान कर रहा था। उससे दोस्ती करने का दबाव बनाता था। मना करने पर उसने पेट्रोल डालकर अंकिता को जिंदा जला दिया। जिसकी इलाज के दौरान बीते शनिवार को रांची के रिम्स में मौत हो गई। सीएम हेमंत सोरेन ने अंकिता के परिवार को 10 लाख रुपए और गवर्नर ने 2 लाख रुपए की सहायता दी हैं।
बाबूलाल ने SDPO की भूमिका पर उठाए सवाल
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने अंकिता सिंह की हत्या के केस में दुमका के एसडीपीओ नूर मुस्तफा की भूमिका की जांच की भी मांग की हैं। उन्होंने दोषियों के खिलाफ 302 के तहत हत्या का केस दर्ज करने की मांग की हैं।
मरांडी ने कहा कि नूर मुस्तफा के खिलाफ 120 बी के तहत जांच होनी चाहिए। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और उन्हें भी जेल भेजा जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि इस पूरी साजिश में उनकी भूमिका भी संदेहास्पद हैं। मरांडी ने कहा कि अंकिता के इलाज में भी लापरवाही बरती गई एक तरफ वह रिम्स में वह अपने कष्ट से जूझती रही, वहीं दूसरी तरफ पूरी सरकार लतरातू में पिकनिक मना रही थी।
मौत के बाद हुआ कई जिलों में प्रदर्शन
अंकिता सिंह की मौत के बाद न केवल दुमका बल्कि रांची और गिरिडीह समेत राज्य के अन्य जिलों में भी प्रदर्शन हुआ। दुमका में बजरंग दल, बीजेपी समेत कई सामाजिक संगठनों ने विरोध स्वरूप सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया। वहीं, रांची के फिरायालाल चौक और मोराबादी स्थित बापू वाटिका के सामने भी सामाजिक संगठनों ने प्रदर्शन किया। गिरिडीह में भी इस घटना का आक्रोश देखा गया।
आईपीएस बनना चाहती थी अंकिता
बता दें कि अंकिता सिंह तीन भाई-बहनों में मंझली बेटी थी। बड़ी बहन की शादी हो चुकी हैं जबकि 12 साल का छोटा भाई फिलहाल पढ़ रहा हैं। वो पढ़-लिखकर आईपीएस बनना चाहती थी। उसके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और पिता एक बिस्कुट कंपनी में सेल्समैन का काम करते हैं। परिवार में दादा-दादी हैं। उसकी मां की मौत पिछले साल हो चुकी हैं।