स्वच्छ सागर सुरक्षित सागर: समुद्री जीवन और अर्थव्यवस्था के लिए अहम

Clean ocean Safe ocean: vital to marine life and economy

नई दिल्ली: जुलाई माह के पहले ही दिन से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाकर पर्यावरण संरक्षण की मुहिम के प्रति प्रतिबद्धता पर सरकार ने अपनी मुहर लगा ही दी। वहीं, 3 जुलाई को इसी मुहिम की दिशा में एक और अभियान ‘स्वच्छ सागर सुरक्षित सागर’ भी जुड़ गया। यह अभियान 17 सितंबर, 2022 तक चलेगा, जो कि अंतरराष्ट्रीय तटीय स्वच्छता का अवसर होगा। इसके तहत पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा 75 दिनों तक सबसे व्यापक समुद्र तटीय स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। भारत की 7,500 किमी लंबी समुद्री तटरेखा की सफाई का यह महाअभियान नागरिकों की व्यापक भागीदारी के साथ संचालित किया जा रहा है।

व्यापक जागरूकता अभियान

स्वतंत्रता के 75 वर्ष में देशभर में 3 जुलाई से 17 सितंबर के दौरान समुद्री स्वच्छता पर जोर दिया जा रहा है। सरकार और जनता की संयुक्त भागीदारी से इस तटीय स्वच्छता के लक्ष्य को प्राप्त करने का उद्देश्य है। भारत जैसे देश में समुद्र एक प्राकृतिक संसाधन के साथ-साथ एक परंपरा की तरह रहा है। हम सभी इस प्राकृतिक संपदा से लाभ लेते रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ हमारी यानि कि मानवीय गतिविधियां, विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट कचरे समुद्रों तक पहुंचते हैं, जो उसके पारिस्थितिकी तंत्र को दूषित करते हैं। यह समुद्र के साथ-साथ हमारे लिए भी खतरे का विषय है।

नागरिकों के सहयोग के लिए ऐप लॉन्च

‘स्वच्छ सागर- सुरक्षित सागर’ अभियान के माध्यम से तटीय जल, तलछट, बायोटा और समुद्र तटों जैसे विभिन्न मैट्रिक्स में समुद्री कचरे पर वैज्ञानिक डेटा और जानकारी एकत्र करने के लिए शोध एवं विकास संबंधी प्रयासों को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। अभियान के बारे में जागरूकता प्रसार और 17 सितंबर, 2022 को समुद्र तट की सफाई गतिविधि से स्वैच्छिक रूप से जुड़ने और इसके लिए पंजीकरण करने के लिए आम लोगों के लिए एक मोबाइल ऐप – “इको मित्रम्” लॉन्च किया गया है।

आंकड़े बने चिंता का विषय

आंकड़ों के अनुसार अगर प्लास्टिक की बोतल और बैग जैसी एकल उपयोग जैसी वस्तुएं समुद्र में फेंकना बंद नहीं हुई, तो साल 2050 तक दुनिया के महासागरों में मछलियों की तुलना में प्लास्टिक ज्यादा होगी। हर साल डेढ़ करोड़ टन से भी अधिक प्लास्टिक कचरा समुद्र में फेंका जाता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र के साथ-साथ समुद्री जीवों को भी हानि पहुंचाता है। व्हेल मछली हो या फिर कोरल सभी की जिंदगी को खतरा है।

यह अभियान समुद्री जीवन और अर्थव्यवस्था की इसी खतरे से निपटने के लिए चलाया जा रहा है। इसमें मुख्य रूप से समुद्री कचरे को कम करने के लिए प्लास्टिक के कम उपयोग , स्रोत स्थान पर कचरे का अलगाव और अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान और सार्वजनिक भागीदारी होगी। आम लोगों की भागीदारी न केवल तटीय क्षेत्रों बल्कि देश के अन्य हिस्सों की समृद्धि के लिए स्वच्छ सागर सुरक्षित सागर का संदेश देगी।

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