नई दिल्ली: मानव जीवन के लिए स्वच्छ वातावरण मूलभूत जरूरतों में से एक है। ऐसे में बढ़ता प्रदूषण देश के लिए बड़ी समस्या बनकर उभरा है। प्रदूषण जनित समस्या का प्रभाव व्यक्तियों के जीवन के साथ-साथ विकास से जुड़े पहलुओं पर भी व्यापक पड़ता है। दरअसल, जब यह बात राष्ट्रीय राजधानी और उसके आस-पास के क्षेत्रों से जुड़ी हो तो और प्रतिकूल प्रभाव देखा जाता है। एनसीआर लगातार वायु प्रदूषण की समस्या से जूझता रहा है। क्षेत्र की इसी समस्या से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एक व्यापक नीति तैयार की है।
क्या है नई नीति ?
एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता बढ़ाकर वायु प्रदूषण के खतरे को कम करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक व्यापक नीति तैयार की है। नई नीति में वाहनों के विद्युतीकरण, पैदल चलने और साइकिल चलाने के बुनियादी ढांचे के निर्माण और व्यक्तिगत वाहन के उपयोग को कम करने पर जोर दिया गया है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार सीएक्यूएम द्वारा बनाई गई नीति में ताप बिजली संयंत्रों (TPP), स्वच्छ ईंधनों और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, सार्वजनिक परिवहन, सड़क यातायात प्रबंधन, डीजल जनरेटरों (DG), पटाखे फोड़ने से निपटना तथा हरियाली और वृक्षारोपण के माध्यम से वायु प्रदूषण को कम करना शामिल हैं।
वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त निर्देश
प्रदूषण जनित समस्याओं से निपटने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। सरकार लगातार कई पहलों के माध्यम से प्रदूषण रोकथाम के प्रयास करती रही है। उसी पहल को आगे बढ़ाते हुए जारी नई नीति में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त निर्देश दिया गया है। इस नीति में उद्योगों, वाहनों एवं परिवहन, निर्माण और विध्वंस (सीएंडडी), सड़कों और खुले क्षेत्रों से धूल, नगरपालिका के ठोस कचरे को जलाने, फसलों की पराली जलाने सहित NCR में वायु प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने के उपायों को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और NCR के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB), केन्द्र सरकार, एनसीआर राज्य सरकारों, GNCTD की एजेंसियों और विभागों के लिए क्षेत्रवार सिफारिशें शामिल की गई हैं।
दिल्ली और NCR मुख्य रूप से शामिल
CAQM द्वारा इस व्यापक योजना का दायरा मुख्य रूप से दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करना है। दिल्ली के पास एनसीआर जिलों में गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, झज्जर, रोहतक, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और बागपत शामिल हैं। एनसीआर के उप-क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और प्रणालियों में कमी के कारण, आधारभूत कार्यों में व्यापक बदलाव और शहरीकरण के विभिन्न स्तरों के कारण, विभिन्न उप-क्षेत्रों के लिए एक अलग दृष्टिकोण और समय-सीमा का सुझाव दिया गया है। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, आयोग ने 7 जनवरी के आदेश में एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है।
बेहतर निगरानी से होगा अनुपालन
नीति में प्रदूषण नियंत्रण संबंधित उपायों की व्यापक रूप से निगरानी के साथ लागू किया जाएगा। इन उपायों में बड़े पैमाने पर हरियाली और वृक्षारोपण के माध्यम से वायु प्रदूषण को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। आयोग पहले ही इस नीति को केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों, एनसीआर राज्य सरकारों, जीएनसीटीडी और विभिन्न एजेंसियों के साथ इस नीति को साझा कर चुका है ताकि एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए नीति पर व्यापक कार्य किया जा सके। नीति संबंधी दस्तावेज आयोग की वेबसाइट cqm.nic.in पर देखी जा सकती है।