जलवायु परिवर्तन के संबंध में विकासशील और पिछड़े देशों को मिले दुनिया से मदद: PM Modi

Developing and backward countries should get help from the world regarding climate change: PM Modi

ग्लासगो: प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने कहा है कि विकासशील देशों की प्राथमिकताओं को ध्यान रखते हुए जलवायु परिवर्तन के संबंध में तालमेल की नीति अपनाई जानी चाहिए। ग्लासगो में पर्यावरण संकट पर आयोजित कॉप-26 बैठक को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर होने वाली चर्चा में तालमेल को उतना महत्व नहीं मिला है जितना निवारण उपायों को मिला है। उन्होंने कहा कि यह नीति उन विकासशील देशों के लिए अन्याय है जो जलवायु परिवर्तन से अधिक प्रभावित हो रहे हैं। किसानों के लिए जलवायु एक बड़ी चुनौती कॉप-26 शिखर सम्मेलन में कार्रवाई और एकजुटता एक महत्वपूर्ण दशक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन के कारण किसानों और खेती पर पड़ने वाले दुष्परिणाम का जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि भारत सहित अधिकतर विकासशील देशों के किसानों के लिए जलवायु एक बड़ी चुनौती है। फसल चक्र संबंधी बदलाव आ रहे हैं। बेमौसम वर्षा और बाढ़ अथवा लगातार आ रहे तूफानों से फसलें तबाह हो रही हैं। इस चुनौती का सामना करने के लिए पेयजल से लेकर सस्ती आवास व्यवस्था तक सभी क्षेत्रों में ऐसे आधारभूत ढांचे की जरूरत है जो जलवायु परिवर्तन में टिके रह सके। इन तीन बिन्दुओं पर पीएम मोदी ने जोर दिया पीएम मोदी ने सम्मेलन में तीन बिन्दुओं पर जोर दिया।

उन्होंने पहले बिंदु के रूप में समायोजन या तालमेल को विकास नीतियों और परियोजनाओं का मुख्य अंग बनाने की जरूरत बताई। अपनी सरकार की इस संबंध में शुरू की गई परियोजनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ‘नल से जल’, स्वच्छ भारत और स्वच्छ ईंधन संबंधी उज्जवला योजना के जरिए जरूरतमंद नागरिकों को लाभ पहुंचा है। सामंजस्य संबंधी इन उपायों के जीवन स्तर पर सुधार आया है। उन्होंने कहा कि परंपरागत समुदायों में प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहने का ज्ञान है। पीएम मोदी ने कहा कि समाज के परंपरागत तौर-तरीकों को सामंजस्य संबंधी नीतियों में उचित महत्व मिलना चाहिए। ज्ञान का यह प्रवाह नई पीढ़ी तक भी जाए इसके लिए स्कूलों के पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया जाना चाहिए।

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पीएम ने कहा कि स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप जीवन शैली को कायम रखना भी सामंजस्य नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हो सकता है। तीसरे बिंदु के रूप में प्रधानमंत्री ने अपेक्षाकृत पिछड़े देशों को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी द्वारा समर्थन दिए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सामंजस्य नीति भले ही स्थानीय स्तर पर हो लेकिन उसे विश्व स्तर पर समर्थन मिलना चाहिए। सभी देशों से सीडीआरआई के साथ जुड़ने का अनुरोध किया अपने संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने भारत की आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) पहल का जिक्र किया। उन्होंने दुनिया के सभी देशों से भारत की पहल के साथ जुड़ने का अनुरोध किया।

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