रांची : झारखंड उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को धनबाद न्यायाधीश की मौत के मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच उसी स्थान पर है जहां वह पहले था। झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सीबीआई ने एक बार फिर निराश किया है। जांच की गति उसी जगह पर है जहां पहले थी।”
अदालत ने यह कहते असंतोष व्यक्त किया कि एजेंसी ने “प्रक्रिया की निगरानी करने वाले मुख्य न्यायाधीश की पीठ के बावजूद आरोप पत्र दाखिल करने से पहले उच्च न्यायालय को सूचित नहीं किया”। अदालत ने सीबीआई निदेशक को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अगली सुनवाई में उपस्थित रहने को भी कहा है। मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने बुधवार को धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद के मौत के मामले में झारखंड की एक विशेष अदालत में आरोप पत्र दायर किया, न्यायाधीश उत्तम आनंद की कथित तौर पर एक ऑटोरिक्शा से कुचल कर मौत हो गई थी। मामला धारा 302, 201 (अपराध के सबूतों को गायब करना), और 34 (सामान्य इरादा) के तहत दर्ज किया गया है। आगे की जांच जारी है।
उत्तम आनंद झारखंड के धनबाद जिले में तैनात एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश थे, जिनकी इस साल जुलाई में एक ऑटोरिक्शा द्वारा कथित तौर पर कुचलने के बाद हत्या कर दी गई थी। कथित हत्या में शामिल दो लोगों को झारखंड पुलिस ने गिरफ्तार किया और अपराध के लिए इस्तेमाल किए गए वाहन को जब्त कर लिया गया। 19 अगस्त को सीबीआई ने झारखंड उच्च न्यायालय में एक सीलबंद लिफाफे में धनबाद के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत की जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश की गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी एएसजी आनंद की कथित हत्या का खुद संज्ञान लिया था।