रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मर्निभरता की ओर एक कदम है ‘Dunagiri’

'Dunagiri' is a step towards India's self-reliance in the defense sector

नई दिल्ली: भारत रक्षा क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन नए मुकाम हासिल कर रहा है। दरअसल, रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर भारत मुहिम से जोड़ने के पश्चात तेजी और अधिक देखी जा रही है। इसी क्रम में भारत ने एक और सफलता और हासिल कर ली है। कोलकाता में शुक्रवार को गार्डनरीच शिपबिल्डर्स इंजीनियरिंग लिमिटेड (GRSE) द्वारा तैयार किए गए स्वदेशी युद्धपोत दूनागिरी (Dunagiri) की लॉन्चिंग की गई।

भारत की आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम ‘दूनागिरी’

इस अवसर पर केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दूनागिरी रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम है। यह पुराने पुनागिरी जेएसडब्ल्यू फ्रिगेट का नया अवतार है। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य भारतीय सेना को मजबूत बनाना है।

गौरतलब हो 2019 में मोदी सरकार-2 में रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी संभालने के बाद शुक्रवार को पहली बार राजनाथ सिंह कोलकाता पहुंचे थे। उन्होंने आश्वस्त किया कि वह कोलकाता आते रहेंगे और ऐसे ही सैन्य उपकरणों को राष्ट्र को समर्पित करते रहेंगे।

‘दूनागिरी’ की खासियत

'Dunagiri' is a step towards India's self-reliance in the defense sector

नौसेना को इस शिवालिक क्लास फ्रीगेट युद्धपोत को हुगली नदी में लॉन्च किया गया। उत्तराखंड के एक पहाड़ की चोटी के नाम पर रखे गए इस युद्धपोत आईएनएस दूनागिरी की खासियत की बात करें तो यह समुद्र में छिपकर वार करने में सक्षम है। अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होने की वजह से किसी भी राडार की पकड़ में नहीं आने वाला और हर तरह के हथियार लेकर जाने में सक्षम है। भारतीय सेना को मजबूत करना उनका लक्ष्य है।

33 सालों की सेवा पूरी करने के बाद वर्ष 2010 में रिटायर हो गया था पुराना फ्रिगेट

दरअसल, पुराना फ्रिगेट 33 सालों की सेवा पूरा करने के बाद वर्ष 2010 में रिटायर हो गया था। उसी के नाम पर नए फ्रीगेट का नाम रखा गया है। भारतीय नौसेना में यह परंपरा रही है कि रिटायर हो चुके युद्धपोत के नाम पर ही नए जंगी जहाज का नाम रखा जाता है। प्रोजेक्ट 17ए के तहत बने यह युद्धपोत बेहतर स्टेल्थ फीचर, एडवांस वेपन सेंसर और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम से लैस है।

इस मौके पर नौसेना, सेना, वायुसेना व जीआरएसइ के वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद थे। इससे पहले परियोजना 17ए के तहत निर्मित पहले स्टील्थ फ्रिगेट का जलावतरण दिसंबर, 2020 में तत्कालीन प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका रावत ने किया था। समारोह में नौसेना अध्यक्ष एडमिरल हरि कुमार समेत पूर्वी सेना कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग- इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता, पूर्वी नौसेना कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल विश्वजीत दासगुप्ता, जीआरएसइ के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक कमोडोर (रिटायर्ड) पीआर हरि समेत अन्य विशिष्ट लोग मौजूद थे।

नौसेना के बेड़े की क्षमता को और बढ़ाएंगे स्वदेशी हथियार से लैस जहाज

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा है कि प्रोजेक्ट 17ए के तहत बनाए जा रहे उन्नत स्टील्थ विशेषताओं और स्वदेशी हथियार से लैस जहाज हमारे बेड़े की क्षमता को और बढ़ाएंगे। ये जहाज बहुमुखी और शक्तिशाली प्लेटफॉर्म होंगे और व्यापक राष्ट्रीय दृष्टि का समर्थन करेंगे। साथ ही सभी के लिए सुरक्षित और समृद्ध वैश्विक साझाकरण सुनिश्चित करेंगे। अगली पीढ़ी के चौथे जहाज को तीन साल की अवधि के भीतर लॉन्च करने से युद्धपोतों के निर्माण की क्षमता के मामले में भारत की स्थिति मजबूत हुई है।

शक्तिशाली युद्धपोत को ‘दूनागिरी’ नाम विरासत में मिलेगा

इस शक्तिशाली युद्धपोत को जल्द ही ‘दूनागिरी’ नाम विरासत में मिलेगा, जो पूर्ववर्ती लिएंडर क्लास के चौथे जहाज का पुनर्जन्म है। अपने पिछले अवतार में आईएनएस दुनागिरी को मई, 1977 में कमीशन किया गया था और अपनी तैंतीस वर्षों की शानदार सेवा के दौरान उसने कई बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में भाग लिया और कई अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों पर गर्व से तिरंगा लहराया।

‘दूनागिरी’ ने अपने सेवा के अंतिम वर्ष में 154 दिन की यात्रा की और उसे सर्वश्रेष्ठ पोत ट्राफी से सम्मानित किया गया। दूनागिरी नौसेना का वह जहाज था, जिसे मैंने पहली बार 1981 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से नौसेना कैडेट के रूप में रवाना किया था। इसकी कमान कैप्टन आईजेएस खुराना ने संभाली थी, जो बाद में वाइस एडमिरल के रूप में सेवानिवृत्त हुए। 2010 में जहाज की सेवामुक्ति को भारतीय डाक ने जहाज की विशेषता वाले एक विशेष डाक टिकट कवर और जहाज के शिखर की विशेषता वाले एक विशेष रद्दीकरण चिह्न के साथ मनाया था। लगभग पांच दशक बाद नए ‘गिरी’ का शुभारंभ नौसेना के लिए मील का पत्थर है, क्योंकि यह जहाजों के निर्माण में हमारे युग के आने का प्रतीक है।

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