नई दिल्ली: आज आठ नवंबर है, 05 साल पहले आज ही के दिन साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात 08 बजे देश को संबोधित किया था और 500 व 1,000 रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर दिया था। बता दें कि नोटबंदी के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था में नकदी का बोलबाला अब भी कायम है। नोटबंदी के पांच वर्ष बाद डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी के बावजूद चलन में नोटों की संख्या लगातार वृद्धि हो रही है। हालांकि इस वृद्धि की रफ्तार धीमी हुई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकडों के मुताबिक मूल्य के हिसाब से 04 नवंबर, 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे, जो 29 अक्टूबर, 2021 को बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपये हो गए। आरबीआई के मुताबिक 30 अक्टूबर 2020 तक चलन में नोटों का मूल्य 26.88 लाख करोड़ रुपये था। वहीं, 29 अक्टूबर, 2021 तक इसमें 2,28,963 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ।
वहीं, सलाना आधार पर 30 अक्टूबर, 2020 को इसमें 4,57,059 करोड़ रुपये और इससे एक साल पहले एक नवंबर, 2019 को 2,84,451 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई थी। अलावा इसके चलन में बैंक नोटों के मूल्य और मात्रा में 2020-21 के दौरान क्रमश: 16.8 फीसदी और 7.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी, जबकि 2019-20 के दौरान इसमें क्रमश: 14.7 प्रतिशत और 6.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी।
दरअसल, COVID-19 महामारी के दौरान लोगों ने एहतियात के रूप में नकदी रखना बेहतर समझा। इसी वजह से चलन में बैंक नोट पिछले वित्त वर्ष के दौरान बढ़ गए।
इन 05 साल में नोटबंदी के कारण देश की अर्थव्यवस्था में क्या बदलाव आया। इन बदलाव को कैसे नोटबंदी से ही जोड़ा जाता है?
उल्लेखनीय है कि नोटबंदी की डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के रूप में प्रचारित किया गया लेकिन मूल नीति में लक्ष्य एकदम अलग थे। नोटबंदी के दौरान सबसे बड़ा वादा सिस्टम में मौजूद बेहिसाब नगदी पर रोक लगाने का किया गया था और यह पैसा सीधे बैंक में जमा कराने के निर्देश दिए गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में योजना का जिक्र करते हुए कहा था कि करोड़ों रुपये सरकारी अधिकारियों के बिस्तरों या बैगों में भरे होने की खबरों से कौन-सा ईमानदार नागरिक दुखी नहीं होगा? जिन लोगों के पास बेहिसाब पैसा है, उन्हें मजबूरी में इसे घोषित करना पड़ेगा, जिससे गैर-कानूनी लेन-देन से छुटकारा मिल जाएगा। उस दौरान ज्यादा लोगों ने नोटबंदी के इस फैसले को भ्रष्टाचार पर सर्जिकल स्ट्राइक भी कहा था।