नई दिल्ली: ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत में सबसे महत्वपूर्ण है सौर ऊर्जा, जो प्राकृतिक रूप से उपलब्ध है। लगातार यह प्रयास किया जा रहा है कि हर क्षेत्र में ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग किया जाए। कारण यह है कि एक तो यह हमेशा के लिए उपलब्ध है बार बार प्रयोग किया जा सकता है और पर्यावरण को भी किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। इसी मकसद से शुरू किए गए सौर पैनल आज पूरे देश में स्थापित किए जा रहे हैं। छोटे बड़े हर स्तर पर सौर पैनल उद्योग कार्यरत हैं लेकिन इन सौर पैनल को ज्यादा समय तक रखने के लिए कैसे उनकी देखभाल और रखरखाव करना है ये जरूरी है। सौर पैनल की दक्षता बढ़ाने के लिए IIT जोधपुर ने खास तकनीक विकसित की है।
धूल का जमना, सौर पैनल के लिए हानि
सौर पैनल बनाने वाले उद्योगों का दावा होता है कि आमतौर पर ये पैनल 20 से 25 वर्षों तक अपनी 80 से 90 फीसदी दक्षता पर काम करते हैं। हालांकि हम सब जानते हैं सौर पैनलों पर धूल और रेत जमा होने से यह दक्षता उतनी नहीं रहती है। सौर ऊर्जा संयंत्र के स्थान और जलवायु विविधता के आधार पर अलग-अलग प्रभाव देखा जा रहा है। लगातार धूल जमा होती रहने से तो कुछ महीनों में ही सौर पैनल 10 से 40 प्रतिशत तक अपनी दक्षता खो सकते हैं।
आईआईटी जोधपुर ने विकसित की नई प्रौद्योगिकी
बिजली की बढ़ती मांग और जलवायु परिवर्तन की चुनौतिओं को देखते हुए सौर ऊर्जा का उपयोग और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। लेकिन, सौर पैनल का रखरखाव में अभाव हो तो ऊर्जा आपूर्ति बाधित हो सकती है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर के शोधकर्ताओं ने ऐसी सेल्फ-क्लीनिंग कोटिंग प्रौद्योगिकी विकसित की है, जो सौर पैनल्स को साफ रखने में उपयोगी है।
सेल्फ-क्लीनिंग कोटिंग प्रौद्योगिकी
यह कोटिंग पारदर्शी, टिकाऊ और सुपर हाइड्रोफोबिक है। यह सौर पैनलों पर धूल जमने को कम करती है और बहुत कम पानी के साथ खुद से सफाई करने में सक्षम है। सौर पैनल निर्माण संयंत्रों के साथ इस कोटिंग को आसानी से लगाया जा सकता है। यह तकनीक पेटेंट के लिए भेजी गई है।
क्यों पड़ी आवश्यकता?
सौर पैनल को साफ करने के लिए वर्तमान में मैथड महंगे और अकुशल हैं। इनके निरंतर उपयोग में समस्याएं आती हैं और सफाई के दौरान सौर पैनल को क्षति पहुंचने का खतरा रहता है। इसलिए, आईआईटी जोधपुर के शोधकर्ताओं ने सुपर हाइड्रोफोबिक सामग्री का उपयोग करके यह सेल्फ-क्लीनिंग कोटिंग विकसित की है।
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कोटिंग की विशेषता
विकसित सुपर हाइड्रोफोबिक कोटिंग सेल्फ-क्लीनिंग करती है और इससे पारगम्यता या बिजली रूपांतरण से दक्षता में कोई नुकसान नहीं है। परीक्षण के दौरान इस कोटिंग में पर्याप्त यांत्रिक और पर्यावरणीय स्थायित्व देखा गया है। आसानी से छिड़काव और वाइप तकनीकों से बनी यह कोटिंग प्रौद्योगिकी मौजूदा फोटोवोल्टिक बिजली उत्पादन में प्रभावी पायी गई है। सुपर हाइड्रोफोबिक कोटिंग्स के उपयोग से सेल्फ-क्लीनिंग में अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। इसके उपयोग से कम लागत में सौर पैनलों का प्रभावी रखरखाव किया जा सकता है। पानी की कमी वाले क्षेत्रों में यह प्रौद्योगिकी विशेष रूप से उपयोगी हो सकती है।