हिंद महासागर में गरजेगा स्वदेशी विमान वाहक INS Vikrant, बढ़ेगी नौसेना की ताकत

Indigenous aircraft carrier INS Vikrant will roar in the Indian Ocean, the strength of the Navy will increase

नई दिल्ली: तीन समुद्री क्षेत्रों के बीच घिरे भारत के पास लंबी तटीय सीमा है। ऐसे में तटीय सीमा की सुरक्षा आर्थिक और सामरिक दोनों रूप से काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। देश के समुद्री क्षेत्रों की निगरानी और उसकी सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना हमेशा तत्पर रहती है। इतनी बड़ी तटीय सीमा की सुरक्षा के लिए आज तक हम दूसरे देशों से आयातित उपकरणों पर निर्भर रहते थे लेकिन बीते 08 साल में केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना से रक्षा क्षेत्र में भी स्वदेशीकरण को काफी मजबूती मिली है। आज के समय मे भारत अपने उपयोग के रक्षा उपकरणों का निर्माण युद्धस्तर पर स्वदेशी रूप से कर रहा है।

रक्षा क्षेत्र के स्वदेशीकरण की कड़ी में भारतीय नौसेना के लिए पोत निर्माता कंपनी कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) ने देश का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत INS ‘विक्रांत’ गुरुवार को भारतीय नौसेना को सौंप दिया। स्वदेशी विमान वाहक को जल्द ही भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा, जो हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की स्थिति और नौसेना को बढ़ावा देगा। विक्रांत की डिलीवरी के साथ भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन और विमान वाहक पोत बनाने की विशिष्ट क्षमता है।

नौसेना की बढ़ेगी ताकत

आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर राष्ट्र को मिलने वाला देश का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत INS ‘विक्रांत’ के भारतीय नौसेना में शामिल होने से नौसेना की ताकत में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिलेगी। देश के पहले 40 हजार टन वजनी स्वदेशी विमान वाहक INS विक्रांत ने चारों समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। दिसम्बर, 2020 में CSL की तरफ से किए बेसिन ट्रायल में विमानवाहक पोत पूरी तरह खरा उतरा था। पहला परीक्षण पिछले साल यानी अगस्त 2021 को, दूसरा अक्टूबर 2021 को और तीसरा इसी साल जनवरी 2022 को पूरा किया जा चुका है। ‘विक्रांत’ का आखिरी और चौथा समुद्री परीक्षण मई में शुरू किया था जो इसी माह की शुरुआत में सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।

भारतीय नौसेना दुनिया की शीर्ष तीन नौसेनाओं में शामिल

INS Vikrant

इसके भारतीय बेड़े में शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना आने वाले वर्षों में दुनिया की शीर्ष तीन नौसेनाओं में से एक बन जाएगी। यह स्वदेशी विमान वाहक ‘आत्मनिर्भर भारत’ की एक शानदार मिसाल है। इसके निर्माण में 20 हजार करोड़ रुपए की लागत आई है। इस परियोजना को रक्षा मंत्रालय और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के बीच अनुबंध के तीन चरणों में आगे बढ़ाया गया है, जो क्रमशः मई 2007, दिसंबर 2014 और अक्टूबर 2019 में हुआ। नौसेना डिजाइन निदेशालय ने इसका डिजाइन 3डी वर्चुअल रियलिटी मॉडल और उन्नत इंजीनियरिंग सॉफ्टवेयर के उपयोग से तैयार किया है।

पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता करेगा प्रदान

इस आधुनिक विमान वाहक पोत के निर्माण के दौरान डिजाइन बदलकर वजन 37 हजार 500 टन से बढ़ाकर 40 हजार टन से अधिक कर दिया गया है। इसी तरह जहाज की लंबाई 252 मीटर से बढ़ाकर 262 मीटर की गई। यह 60 मीटर चौड़ा है। यह जहाज कुल 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइन से संचालित है और इसकी अधिकतम गति 28 समुद्री मील है। इस पर लगभग तीस विमान एक साथ ले जाए जा सकते हैं, जिसमें स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के अलावा मिग-29के लड़ाकू जेट, कामोव-31, एमएच-60आर हेलीकॉप्टर होंगे। इसमें कामोव का-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग लगाया गया है, जिससे यह स्वदेशी जहाज नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा।

जारी रखा गया INS विक्रांत का नाम

INS विक्रांत नाम के पोत ने साल 1971 के भारत-पाक युद्ध में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) की नौसैनिक घेराबंदी करने में अहम भूमिका निभाई थी। इसलिए INS विक्रांत का नाम जारी रखने के लिए इसी नाम से दूसरा युद्धपोत स्वदेशी तौर पर बनाया गया है। INS विक्रांत को नौसेना को सौंपे जाने के साथ ही भारत ऐसे देशों के चुनिंदा समूह में शामिल हो गया है जिनके पास स्वदेशी रूप से विमान वाहक डिजाइन और निर्माण करने की विशिष्ट क्षमता मौजूद है। इस स्वदेशी विमान वाहक को जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा जो हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की स्थिति और समुद्र में नौसेना की कार्य क्षमता को बढ़ावा देगा।

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