नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी को 24 साल बाद नया अध्यक्ष मिल गया हैं। पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने शशि थरूर को करीब सात हजार वोट से हरा दिया हैं। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, खड़गे को 07 हजार, 897 वोट मिले। वहीं, शशि थरूर को एक हजार 72 वोट ही मिल सके। 416 वोट रिजेक्ट कर दिए गए। हालांकि, वोटों की गिनती के बीच ही राहुल गांधी ने बता दिया था कि पार्टी का नया अध्यक्ष कौन होगा।
भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल ने बुधवार को आंध्र में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस दौरान जब मीडिया ने कांग्रेस में उनके भावी रोल पर सवाल किया तो राहुल ने जवाब दिया- खड़गेजी से पूछो, वही तय करेंगे मेरा रोल। हालांकि, इस बयान के कुछ मिनटों बाद ही कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर खड़गे के अध्यक्ष बनने का ऐलान कर दिया। थरूर ने भी ट्वीट कर खड़गे को बधाई दी और अपना साथ देने वालों को धन्यवाद कहा।
खड़गे कांग्रेस के 65वें अध्यक्ष, इस पद पर दूसरे दलित
इस चुनाव में जीत के साथ ही खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाला 65वें नेता बन गए हैं। वे कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले दूसरे दलित नेता हैं। बाबू जगजीवनराम कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले पहले दलित नेता थे। आजादी के बाद 75 साल में से 42 साल तक पार्टी की कमान गांधी परिवार के पास रही। वहीं, 33 साल पार्टी अध्यक्ष की बागडोर गांधी परिवार से अलग नेताओं के पास रही।
आखिरी बार 1998 में वोटिंग से हुआ था चुनाव
कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए आखिरी बार साल 1998 में वोटिंग हुई थी। तब सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद थे। सोनिया गांधी को करीब 7,448 वोट मिले, जबकि जितेंद्र प्रसाद 94 वोटों पर ही सिमट गए। सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद से गांधी परिवार को कभी कोई चुनौती नहीं मिली। इस बार राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से इनकार करने के बाद पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराने का फैसला लिया गया था।
थरूर का ट्वीट- इतिहास याद रखेगा, हम खामोश नहीं थे
वोटिंग से पहले राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों में शशि थरूर को पोलिंग एजेंट्स नहीं मिले। कांग्रेस ने इसके बाद नियमों में बदलाव किया और उन्हें पोलिंग एजेंट्स उपलब्ध कराए गए। कांग्रेस संविधान के मुताबिक वोट डालने वाले डेलिगेट्स ही पोलिंग एजेंट होते हैं। इसी बीच, शशि थरूर ने एक ट्वीट में लिखा- कुछ लड़ाइयां हम इसलिए भी लड़ते हैं कि इतिहास याद रख सके कि वर्तमान खामोश नहीं था।