नई दिल्ली: रिलायंस जियो (Reliance Jio) के बहुप्रतीक्षित जियोफोन नेक्स्ट (JioPhone Next) की बिक्री कुछ ही दिनों में शुरू होने वाली है। इसे दुनिया का सबसे सस्ता स्मार्टफोन माना जा रहा है। इसकी कीमत 50 डॉलर यानी करीब 3,650 रुपये से कम हो सकती है। हालांकि कंपनी ने अब तक इसकी कीमत का खुलासा नहीं किया है। जियो ने इसे गूगल के साथ मिलकर विकसित किया है। अगर यह फोन हिट होता है तो इससे बैंकों की एक बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है।
देश में अभी 30 करोड़ लोग फीचर फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें से अधिकांश दिहाड़ी मजदूर हैं। अब इतनी बड़ी संख्या में कस्टमर के ऑनलाइन होने से कस्टमर डेटा की मांग में तेजी आएगी। सवाल यह है कि बैंक कस्टमर्स की इतनी बड़ी संख्या को कैसे संभाल पाएंगे। इसका समाधान iSPIRT ने निकाला है जो पॉलिसी इन्फ्यूएंसर्स का एक छोटा ग्रुप है। यह देश के डिजिटल मार्केट्स के लिए चुपचाप टेक्नोलॉजी स्टैंडर्ड्स तय कर रहा है और कंपनियों को ऑनलाइन पेमेंट्स से लेकर हेल्थकेयर तक नए ओपन-नेटवर्क मार्केट्स में आने के लिए लुभा रहा है।
अकाउंट एग्रीगेटर्स
बेंगलूर का यह ग्रुप अकाउंट एग्रीगेटर्स के रूप में नई तरह की कंपनियां खड़ी कर रहा है। इससे ऐसे कस्टमर्स को फायदा होगा जो परंपरागत संस्थानों से कर्ज नहीं ले पा रहे हैं। विकासशील देशों में ऐसे लोगों की संख्या 80 फीसदी है जबकि विकसित देशों में यह संख्या 40 फीसदी है। लेकिन JioPhone Next जैसे इनोवेशन की वजह से इन लोगों को फायदा होगा। वे अपने रेंट, रेट और यूटिलिटी बिल्स अपने स्मार्टफोन से भर सकेंगे और पेमेंट्स भी इसी पर रिसीव कर सकेंगे। अकाउंट एग्रीगेटर्स इन लोगों का डिजिटल डेटा लेकर इसे बैंक लोन एप्लिकेशन के लिए मशीन रीडेबल फॉर्मेट के अनुरूप बनाएंगे।
JioPhone Next ऐेसे लोगों के डेटा देगा जो बैंकिंग सुविधाओं से दूर हैं। एशिया और भारत के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) का 4जी टेलिकॉम नेटवर्क जियो अपने सब्सक्राइबर्स का कुछ डेटा इकट्ठा करेगा। इसी गूगल (Google) को भी यूजर्स लोकेशन और सर्च क्वेरीज के बारे में डेटा मिलेगा। जहां तक रियलटाइम डेटा का सवाल है तो बैंक कभी भी प्लेटफॉर्म्स के प्रभाव का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। लेकिन अकाउंट एग्रीगेटर्स के आंकड़ों से उन्हें मदद मिलेगी।
गरीब परिवारों को भी मिलेगा लोन
इससे उन्हें पता चल पाएगा कि किसी कस्टमर को क्रेडिट देना चाहिए या नहीं। मान लीजिए कोई ग्राहक नियमित रूप से अपने टेलीफोन का बिल जमा करता है तो बैंकों को पता चल जाएगा कि उसे क्रेडिट देने में कम जोखिम है। इस तरह कम आय वाले परिवारों को भी बैंकों से आसानी से लोन मिल सकेगा। एग्रीगेटर्स एक तरह से प्लेटफॉर्म्स के लिए नल के पानी की तरह है। सवाल यह है कि नल पर किसका हक होगा। वॉलमार्ट इंक के फोनपे को एग्रीगेटर बनने के लिए आरबीआई की ओर से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। देश के 8 बैंक इस फ्रेमवर्क का इस्तेमाल करने पर सहमत हो गए हैं।