चंडीगढ़: पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने बुधवार को कहा कि वह अपनी नैतिकता, नैतिक अधिकार के साथ समझौता नहीं कर सकते हैं और बताया कि वह नहीं चाहते थे कि राज्य में दागी नेताओं और अधिकारियों की व्यवस्था में दोबारा से वापसी हो।
सिद्धू ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि मेरी किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। मेरे 17 साल के राजनीतिक करियर का मकसद कुछ अलग करना, स्टैंड लेना और लोगों के जीवन को बेहतर बनाना है। सिर्फ यही मेरा धर्म है। उन्होंने कहा कि अपनी नैतिकता, नैतिक अधिकार के साथ समझौता नहीं कर सकता। जो मैं देख रहा हूं वह पंजाब में मुद्दों, एजेंडा के साथ समझौता है। मैं आलाकमान को गुमराह नहीं कर सकता और ना ही मैं उन्हें गुमराह होने दूंगा।
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि राज्य में दागी नेताओं और अधिकारियों की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि मैंने पंजाब से जुड़े मुद्दों के लिए लंबे समय तक लड़ाई लड़ी… दागी नेताओं, अधिकारियों की व्यवस्था थी, अब आप उसी प्रणाली को दोबारा नहीं दोहरा सकते… मैं अपने सिद्धांतों पर कायम रहूंगा। उन्होंने मंगलवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए त्याग पत्र के उद्धरण को भी दोहराया और कहा- “एक आदमी के चरित्र का पतन की शुरआत समझौता करने से होता है, मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडे से कभी समझौता नहीं कर सकता।
सिद्धू ने मंगलवार को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। पंजाब में कैबिनेट विस्तार के बाद नौकरशाही व्यवस्था और उनके आदेशों का पालन नहीं किए जाने से सिद्धू कथित तौर पर नाराज हैं। सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीपीसीसी) के अध्यक्ष के रूप में 23 जुलाई को राज्य कांग्रेस इकाई में महीनों की उथल-पुथल के बाद नियुक्त किया गया था। राज्य पार्टी प्रमुख के रूप में सिद्धू के इस्तीफे ने पंजाब कांग्रेस में संकट को तेज कर दिया है और पार्टी में चर्चा और विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। उनके करीबी माने जाने वाले एक मंत्री और तीन कांग्रेस नेताओं ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया।
यह कांग्रेस आलाकमान के लिए एक बड़ा झटका है जो अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब की कांग्रेस इकाई में उथल-पुथल को हल करने की उम्मीद कर रहा था। अगस्त में सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच पंजाब कांग्रेस में तनातनी के बाद, पार्टी ने मुख्यमंत्री की इच्छा के विरुद्ध सिद्धू को कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया था।