नई दिल्ली: PM Modi ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रांची में बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान और सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का वर्चुअली लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि एक बड़े पेड़ को मजबूती से खड़े रहने के लिए अपनी जड़ों से मजबूत होना पड़ता है और आत्मनिर्भर भारत अपनी जड़ों से जुड़ने और मजबूत बनने का ही संकल्प है। आगे उन्होंने कहा- भगवान बिरसा मुंडा के आशीर्वाद से देश अपने अमृत संकल्पों को पूरा करेगा और विश्व को भी दिशा देगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने अस्तित्व, अस्मिता और आत्मनिर्भरता का सपना देखा था। देश भी इसी संकल्प को लेकर आगे बढ़ रहा।
जिस क्रांति का आगाज बिरसा मुंडा ने किया उसकी धमक आज भी है
मालूम हो कि “15 नवंबर 1875” को झारखंड के उलिहातू की धरती पर अंग्रेजों के विरुद्ध उलगुलान क्रांति का बिगुल फूंकने वाले बिरसा मुंडा का जन्म हुआ था। जनमानस में धरती आबा के रूप में विराजमान भगवान बिरसा मुंडा ने अल्पायु में ही ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ जिस क्रांति का आगाज किया उसकी धमक आज भी सुनाई पड़ती है। पीएम मोदी ने संकल्प लिया कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इन स्मृतियों को संजोना आवश्यक है।
पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से किया अपना वादा किया पूरा
इस संबंध में पीएम मोदी ने एक बार लाल किले की प्राचीर से कहा था कि “शायद कोई आदिवासी जिला ऐसा नहीं होगा कि 1857 से लेकर आजादी आने तक वहां के आदिवासियों ने जंग न की हो बलिदान न दिया हो। आजादी क्या होती है, गुलामी के खिलाफ जंग क्या होती है, उन्होंने अपने बलिदान से बता दिया था लेकिन हमारी आने वाली पीढ़ियों को इस इतिहास से उतना परिचय नहीं है। उनके पूरे इतिहास को समाहित करते हुए अलग-अलग राज्यों में म्यूजियम बनाने की दिशा में सरकार काम करेगी ताकि आने वाली पीढ़ियों को हमारे देश के लिए मर मिटने में आदिवासी कितने आगे थे उसका लाभ मिल सके।
15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला
पीएम मोदी के इसी संकल्प का परिणाम है कि भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को हर साल “जनजातीय गौरव दिवस” के रूप में मनाने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया। हमारे जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के शौर्य, त्याग और बलिदान को कृतज्ञ राष्ट्र कभी भूल नहीं सकता। आजादी के अमृत महोत्सव में इस दिवस की घोषणा ऐसे सभी आजादी के पुरोधाओं का सम्मान है। हमारे आदिवासी समुदायों की विशिष्ट जीवन शैली के लिए यह विशेष दिन एक पर्व के रूम में मनाया जाएगा। यह दिवस गौरवशाली जनजातीय संस्कृति और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान का उत्सव होगा। जिस तरह हम गांधी जयंती और पटेल जयंती मनाते हैं ठीक वैसे ही 15 नवंबर को हर साल भगवान बिरसा मुंडा की जयंती मनाई जाएगी। इस वर्ष जनजातीय स्वाधीनता सेनानियों के योगदान को याद करने के उद्देश्य से 15 से 22 नवंबर तक देश भर में समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार के अथक प्रयासों से देश भर में 10 जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों की स्थापना की जा रही है। यह संग्रहालय झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना, मिजोरम, मणिपुर और गोवा में राज्य सरकारों के सहयोग से तैयार किए जा रहे हैं।
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पहला जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय देशवासियों को समर्पित
देश का पहला संग्रहालय भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय अब रांची में बनकर तैयार हो चुका है। 30 एकड़ में फैले इस संग्रहालय का निर्माण रांची के उसी जेल परिसर में किया गया है, जहां भगवान बिरसा मुंडा ने स्वतंत्रता संघर्ष के पथ पर अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। संग्रहालय के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही उसके पहले प्रांगण में झारखंड के जनजातीय समुदायों की कला, संस्कृति, जीवन शैली, त्योहार एवं हाट बाजारों को खूबसूरती से दर्शाया गया है। संग्रहालय परिसर के बाहर भगवान बिरसा मुंडा की 25 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है। इसे पूरे परिसर में लेजर और लाइट शो एवं चित्रपट के माध्यम से जनजातीय क्रांति एवं झारखंड के वीर स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी एवं संघर्षों को प्रदर्शित किया गया है। आज पीएम मोदी ने रांची के भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान एवं सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय राष्ट्र को समर्पित किया है।