बर्मिंघम: भारत की स्टार शटलर पीवी सिंधु (PV Sindhu) ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने आज विमेन्स सिंगल्स के फाइनल में कनाडा की मिशेल ली को हरा दिया। सिंधु ने यह मुकाबला 21-15, 21-13 से अपने नाम किया। वह पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में एकल स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतने में सफल रहीं। इससे पहले साल 2018 गोल्ड कोस्ट में उन्हें मिक्स्ड टीम स्पर्धा में स्वर्ण जीता था।
राष्ट्रमंडल खेलों में महिला एकल में भारत का यह दूसरा गोल्ड है। सिंधु से पहले 2010 और 2018 में साइना नेहवाल स्वर्ण जीती थीं। बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का बैडमिंटन में यह पहला स्वर्ण पदक हैं। देश को अब तक 20 गोल्ड, 15 सिल्वर और 22 ब्रॉन्ज मिल चुके हैं। भारत अंक तालिका में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। बैडमिंटन में सिंधु के बाद लक्ष्य सेन ने भी मेन्स सिंगल्स में देश को गोल्ड दिलाया है।
PM Modi ने सिंधु को दी बधाई
प्रधानमंत्री मोदी ने पीवी सिंधु को अभूतपूर्व चैंपियन बताया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- ‘अभूतपूर्व पीवी सिंधु चैंपियंस की चैंपियन हैं। वह लगातार बताती रही हैं कि उत्कृष्टता क्या होती है। उनका समर्पण और प्रतिबद्धता दूसरों के लिए प्रेरणा है। कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने पर बधाई। भविष्य के लिए शुभकामनाएं।’
पीवी सिंधु से जुड़ी कुछ खास बातें-
पीवी सिन्धु का जन्म एक तेलगु परिवार में 5 जुलाई, 1995 को हुआ। उनकी शिक्षा गुंटुर में हुई है। उनके पिता का नाम पी.वी. रमण और माता का नाम पी. विजया था– दोनों ही वॉलीबॉल खिलाड़ी थे। साल 2000 में रमण को अपने खेल के लिये अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। जब सिन्धु के माता-पिता प्रोफेशनल वॉलीबॉल खेल रहे थे तभी सिन्धु ने बैडमिंटन खेलने का निर्णय लिया और अपनी सफलता की प्रेरणा सिन्धु ने साल 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन में पी गोपीचंद से ली।
गौरतलब है कि सिन्धु ने 8 साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। पी. वी. सिन्धु ने पहले महबूब अली के प्रशिक्षण में इस खेल की बारिकियों को समझा और सिकंदराबाद के भारतीय रेल्वे के इंस्टिट्यूट में ही उन्होंने अपने प्रशिक्षण की शुरुवात की। इसके फौरन बाद सिन्धु गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में शामिल हो गई। सिन्धु जब अपना करियर को बना रही थी तभी ‘द हिन्दू’ अखबार के एक लेखक ने लिखा था की- P V Sindhu के घर से उनके प्रशिक्षण लेने की जगह तक़रीबन 56 किलोमीटर दूर थी, लेकिन यह उनकी अपार इच्छा और जीतने की चाह ही थी जिसके लिये उन्होंने कठिन परिश्रम किया।
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गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में प्रशिक्षण हासिल करने के बाद सिंधु ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा-
• 10 अगस्त, 2013 में सिंधु ऐसी पहली भारतीय महिला बनीं जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में मेडल जीता था।
• 2015 में सिंधु को भारत के चौथे उच्चतम नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
• 2012 में पी सिंधु ने बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन की टॉप 20 रैंकिंग में जगह बनाई।
अर्जुन अवार्ड के अलावा साल 2015 में ‘द यूथ हाईएस्ट सिविलियन अवार्ड ऑफ़ इंडिया’ , FICCI ब्रेकथ्रू स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ़ द ईयर 2014।
गोपीचंद ने पी सिंधु की तारीफ करते हुए कहा कि उनके खेल की खास बात उनका एटीट्यूड और कभी न खत्म होने वाला जज्बा है।
सिंधु एक बहुत ही कठिन परिश्रमी एथलीट है। वह कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम का पालन करती हैं, वह हर सुबह 4.15 बजे बैडमिंटन का अभ्यास शुरू कर देती हैं।
इस तरह सिंधु ने कड़े मेहनत के बदौलत विभिन्न प्रतियोगिताएं जीतकर खुद तो सफलता हासिल की ही हैं, साथ ही देश का नाम भी विश्व में रोशन किया हैं।