बादलपुर (गौतमबुद्धनगर): यूपी की राजनीति में CM Mayawati मायावती एक अहम किरदार हैं। वजह हैं उनका 4 बार मुख्यमंत्री रहना। यूपी में सबसे ज्यादा 4 बार CM रहने का रिकॉर्ड मायावती के नाम हैं। उन्होंने CM रहते अपने पैतृक गांव बादलपुर के लिए अनेक विकास कार्य कराए। मायावती जैसे ही पद से हटीं, वैसे ही उनका गांव विकास से कोसों दूर होता चला गया।
ताजा हालत यह हैं कि मायावती ने जो काम कराए थे, वह खंडहर हो गए। हालांकि ग्रामीण इसके लिए गांव की बेटी मायावती को जिम्मेदार मानते हैं जिन्होंने पिछले 15 साल से गांव की तरफ झांका तक नहीं।
सड़कों पर कीचड़, मतस्य पालन केंद्र बंद, तालाब सूखा:
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 40 किलोमीटर दूर गाजियाबाद-बुलंदशहर हाईवे पर बादलपुर पूर्व सीएम मायावती का पैतृक गांव हैं। सड़कें सीमेंटेड हैं लेकिन पानी से लबालब हैं। नाली और सड़क कहां हैं, पता नहीं चलता। कीचड़ फैला हुआ हैं। देखने से ऐसा लगता हैं मानो कब से नालियों की सफाई न हुई हो।
गांव में 200 मीटर घुसते ही दाएं हाथ पर मत्स्य पालन एवं प्रशिक्षण केंद्र हैं। 2007 में मायावती सरकार बनने पर यह केंद्र करोड़ों रुपए की लागत से कई बीघा जमीन में बनाया गया। बसपा सरकार के हटते ही इस केंद्र के बुरे दिन शुरू हो गए। बिल्डिंग खंडहर बनती जा रही हैं। मछली पालन के लिए बना तालाब कई साल से सूखा पड़ा हैं। यहां के केयरटेकर जगदीश बताते हैं कि पिछली सरकारों ने इस केंद्र पर कोई ध्यान नहीं दिया। ऐसे में लोगों का मछली पालन को लेकर रुझान कम हो रहा हैं।
पशु अस्पताल पर ज्यादातर वक्त ताला:
मतस्य पालन केंद्र के ठीक बराबर में पशु अस्पताल हैं। इसके मुख्य गेट पर ताला लटका हुआ हैं। अस्पताल के पड़ोस में रहने वाले दिनेश बताते हैं, ‘साहब ज्यादातर दिनों ऐसा ही रहता हैं। कभी डॉक्टर आते हैं और कभी नहीं।’ दिनेश कहते हैं, ‘जब हमारी बुआ (मायावती) मुख्यमंत्री थीं तो कमिश्नर और डीएम भी गांव का दौरा करते थे। सब कुछ अच्छा रहता था, लेकिन आज भगवान भरोसे हैं।’
2007 में आखिर बार बादलपुर आईं थीं मायावती:
भास्कर टीम गांव के बीचोंबीच दलित बस्ती में पहुंची। यहां पूर्व सीएम मायावती का पैतृक गांव हैं जो करीब 40 वर्गमीटर में बना हुआ हैं। हालांकि, यह घर मायावती ने अपने पड़ोसी को दे दिया था। गांव के लोग बताते हैं कि मायावती की सरकार साल-2007 में बनी थी। इसके कुछ दिन बाद ही वह करतार सिंह नागर के बेटे की मृत्यु पर शोक व्यक्त करने के लिए बादलपुर गांव आखिरी बार आई थीं। इस बात को 15 साल हो गए। इसके बाद से मायावती सीएम रहते पूरे पांच साल अपने पैतृक गांव में नहीं आईं।
मायावती की कोठी के चारों तरफ डिवाइडर पर उपले पाथे जा रहे:
गांव के बाएं छोर पर मायावती की आलीशान कोठी और कांशीराम पार्क बना हैं। कोठी के बीचोंबीच बना आलीशान गुंबद दूर से अहसास कराता हैं कि यह अंदर से कितनी खास होगी। करीब 80 से 100 बीघा जमीन पर फैली इस कोठी के तीन बड़े गेट हैं जो लंबे समय से बंद पड़े हुए हैं। लोहे के इन गेट पर जंग लगने लगा हैं। गेट पर पड़ा कचरा यह बताता हैं कि वे लंबे समय से खुले भी नहीं हैं।
कोठी की बाहरी दीवारों पर लाल और काले रंग का पत्थर लगा हैं। कहा तो यह भी जाता हैं कि कोठी के भीतर लगने वाला पत्थर इटली से मंगवाया गया था। कोठी और पार्क के चारों तरफ कई किलोमीटर लंबी सर्विस लेन हैं जो कांशीराम के नाम पर हैं। सर्विस लेन के बराबर में डिवाइडर बने हुए हैं। इन डिवाइडरों पर आजकल उपले सूख रहे हैं। यह डिवाइडर अब सिर्फ उपले पाथने के काम आते हैं, ऐसा वहां देखकर पता चलता हैं।
यूनिपोल की लाइटें अब नहीं जलती:
डिवाइडरों पर लगे यूनिपोल की लाइटें खराब हो चुकी हैं, वह अब नहीं जलती। भास्कर टीम को बादलपुर गांव में बनाए गए हेलीपेड के बाहर भी यही स्थिति देखने को मिली। हेलीपैड स्थल गेट के बाहर के सभी डिवाइडर पर हमें उपले सूखते हुए मिले। मायावती ने सीएम रहते अपनी कोठी के चारों तरफ पांच पार्क विकसित कराए थे। ये पार्क भी आज बदहाल स्थिति में हैं। इनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं हैं।
CM मायावती का सफर:
15 जनवरी 1956 को गौतमबुद्धनगर जिले के गांव बादलपुर में जन्मीं मायावती ने 1975 में डीयू से स्नातक किया। 1976 में मेरठ विश्वविद्यालय से बीएड और 1983 में डीयू से लॉ किया। 1977 में वह कांशीराम के संपर्क में आईं और फिर पूरी तरह राजनीति में उतर गईं। 1984 में बसपा की स्थापना हुई। 1989 में मायावती बिजनौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ीं और पहली बार में जीत दर्ज कराई। 1995 में वह पहली बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद 1997, 2002 और 2007 में मुख्यमंत्री चुनी गईं। यूपी में सबसे ज्यादा चार बार सीएम रहने का रिकॉर्ड मायावती के नाम हैं।
गुर्जर बाहुल्य गांव हैं बादलपुर:
बादलपुर गांव में 85 फीसदी आबादी गुर्जरों की हैं। बाकी 15 में से 10 फीसदी में दलित हैं। यहां की पोलिंग करीब 3470 हैं। गांव में सभी राजनीतिक दलों के झंडे लगे हुए हैं, लेकिन मायावती को लेकर खासे नाराज हैं। उसकी वजह सिर्फ गांव की तरफ नहीं आना हैं। ग्रामीण कहते हैं कि अगर पूर्व सीएम रहते हुए भी मायावती गांव आती रहतीं तो शायद गांव की यह हालत नहीं होती।