नई दिल्ली: बढ़ती कीमत ने लोगों की ज़िन्दगी के जरूरियात में बुरी तरह से सेंध लगा दिया है, ज़रूरत की चीज़े उनके पहुंच से बहार हो गई है,ओला ड्राइवर अजय शर्मा को अपना और परिवार का पेट भरने के लिए पंद्रह घंटे काम करना पड़ता है, ज़रूरते ज़िन्दगी की सामान पूरा करते करते पांव के जूते टूट गए, अब चप्पल पहन कर ही गाड़ी चलाते हैं, मोदी को बार मोदी को वोट दिया, अब खुद को ठगा सा महसूस करते हैं।
बढ़ती क़ीमत ने लोगो को अपने राशन और शौक़ कम करने को मजबूर कर दिया, ऑटो चालक गोस्वामी कहते है पहले तो परिवार के साथ बहार निकल कर खाना खाने जाते थे लेकिन अब ये सब शौक़ बंद हो चुके है, कमाई पहले से घट चुकी है, सवारी सड़कों से गायब है, घंटो इंतज़ार और चक्कर लगाने के बाद मिलती है, कोरोना ने तो कमर तोड़ रखी ही थी, बढ़ती मंहगाई ने रही-सही कसर पूरी कर दी।
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ऐसा भी नहीं है सभी लोग महंगाई से परेशान है, दौलतमंद तबकों के लिए पेट्रोल की आसमान छूती क़ीमत अभी भी कोई ख़ास मायने नहीं रखती है, मेहनतकश तबका और माध्यम वर्ग के लिए के लिए अभी भी उनके दिल में सहानुभूति है, इसलीय कहते है की महगाई ऐसे बढ़ना नहीं चाहिए।