यूपी में बुलडोजर एक्शन पर SC में सुनवाई खत्म: यूपी सरकार 3 दिन में दाखिल करेगी हलफनामा

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर SC में सुनवाई खत्म हो गई। कोर्ट ने यूपी सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिए 3 दिन का समय दिया हैं। हलफनामा में इमारतें ढहाने के संबंधित जानकारी मांगी गई हैं। कोर्ट ने कहा कि कानून के हिसाब से कार्रवाई होनी चाहिए। यूपी सरकार तय करे कि इस दौरान कोई अनहोनी न हो। अब 21 जून को सुनवाई होगी। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने याचिका दाखिल की। जमीयत की मांग हैं कि बुलडोजर की कार्रवाई को रोका जाए। इसके अलावा अवैध रूप से घरों में तोड़फोड़ करने वाले अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच जमीयत की याचिका पर सुनवाई की हैं।

दरअसल, प्रयागराज में पुलिस ने 10 जून को हुई हिंसा के मास्टरमाइंड जावेद मोहम्मद उर्फ जावेद पंप नाम के शख्स को बताया था। इसके बाद प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अफसरों ने जावेद के मकान को अवैध बताते हुए ढहा दिया था। जमीयत का आरोप हैं कि अफसरों ने बिना कानूनी प्रक्रिया के मनमाने ढंग से जावेद का घर ढहाया हैं।

जावेद का नहीं मकान, उसकी पत्नी को मिला था गिफ्ट:

याचिका में लिखा गया हैं कि जिस मकान को प्राधिकरण ने ढहाया हैं। उसका मालिक जावेद नहीं, बल्कि उसकी बीवी परवीन फातिमा का हैं। यह घर परवीन को शादी से पहले उनके माता-पिता ने गिफ्ट किया था। चूंकि जावेद का ये मकान नहीं हैं। इसलिए उस मकान को गिराए जाना कानून के खिलाफ हैं।

परिवार ने ध्वस्तीकरण को बताया था असंवैधानिक:

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प्राधिकरण ने दावा किया था कि इमारत को अवैध तरीके से बनाया गया था। मई में नोटिस जारी होने के बाद भी जावेद सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हुआ था। हालांकि, उनके वकीलों ने कहा था कि परिवार को केवल शनिवार की देर रात (मकान गिराए जाने से पहले की रात) को नोटिस की एक कॉपी मिली थी।

SC पूर्व जज और एडवोकेट्स ने भी लिखा था लेटर:

यूपी में जुमे की नमाज के बाद हिंसा और उसके बाद हुई कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 3 जज समेत 12 लोगों ने बीते मंगलवार को चीफ जस्टिस को लेटर लिखा था। इसमें यूपी में प्रदर्शनकारियों को अवैध रूप से हिरासत में लेने, घरों पर बुलडोजर चलाने और पुलिस हिरासत में कथित मारपीट की घटनाओं का स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह किया।

पत्र में कहा गया हैं कि प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का मौका नहीं दिया गया। इसकी बजाय उत्तर प्रदेश के राज्य प्रशासन ने ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई करने की मंजूरी दी हैं। पत्र में यह कहा गया हैं कि यूपी पुलिस ने 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया हैं और विरोध करने वाले नागरिकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की हैं। ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें यह देखा गया हैं कि पुलिस हिरासत में युवकों को लाठियों से पीटा जा रहा हैं। प्रदर्शनकारियों के घरों को बिना सूचना के बुलडोजर से तोड़ा जा रहा हैं।

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जावेद पर पुलिस की ओर से अब तक की गई कार्रवाई:

पुलिस ने मुख्य आरोपी जावेद मोहम्मद को 11 जून को गिरफ्तार करने के बाद जेल भेजा था।

जावेद के घर असलहा मिलने पर पुलिस ने आर्म्स एक्ट का मुकदमा दर्ज किया गया था। हालांकि जावेद को इसमें आरोपी नहीं बनाया गया हैं।

पुलिस ने कहा था कि विवेचना से पता चलेगा कि घर में असलहा और तमंचा किसने रखा था?

मकान गिराने के वक्त मोहम्मद जावेद उर्फ जावेद पंप के मकान की सर्चिंग के दौरान एक आधा फटा हुआ टाइप किया पर्चा मिला था।

पर्चे पर लिखा था- ‘सुनो साथियों, 10 जून को जुमा के दिन अटाला पहुंचना होगा। वहां इकट्ठा होना हैं। जो भी अड़चन बनेगा, उस पर वार करना होगा। हमें अदालत पर भरोसा नहीं हैं।’

इस पर्चे को पुलिस ने सीज कर लिया गया हैं। यह एक अहम सबूत हैं। इस सबूत को तफ्तीश में शामिल किया गया हैं।

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10 जून को प्रयागराज के अटाला में हुआ था बवाल:

प्रयागराज के अटाला में 10 जून को जुमे की नमाज के बाद करीब 2 बजे जमकर बवाल हुआ था। यह इलाका खुल्दाबाद थाना खेत्र में आता हैं। इस दौरान हजारों की संख्या में जुटे उपद्रवियों ने पत्थरबाजी, आगजनी और बमबाजी की थी। इसमें 18 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी और मीडियाकर्मी घायल हुए थे। वहीं PAC के वाहन सहित पुलिस की 6 बाइकों को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया था। इस मामले में पुलिस ने मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर जावेद मोहम्मद गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

जमीयत ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में इमारतें गिराने पर भी याचिका डाली थी:

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इससे पहले दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में इमारतों को गिराने के मुद्दे पर याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने संगठन द्वारा दायर याचिका पर हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके में इमारतों को गिराने के मुद्दे पर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया था। इसमें दावा किया गया था कि मुस्लिम दंगों के आरोपियों की इमारतों को तोड़ा जा रहा हैं।

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