कोलंबो: श्रीलंका से भागे Ex-President गोटबाया राजपक्षे दो दिन से मालदीव में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने सिंगापुर जाने के लिए मालदीव सरकार से प्राइवेट जेट की मांग की हैं। इस बीच यह भी खबर आ रही हैं कि वे यहां से दुबई भी जा सकते हैं लेकिन अभी तक स्थिति साफ नहीं हो पाई हैं।
इस बीच राजपक्षे बुधवार देर रात मालदीव के वेलाना इंटरनेशनल हवाईअड्डे से सिंगापुर जाने की तैयारी में थे लेकिन यहां हो रहे प्रदर्शन के डर से फ्लाइट छोड़ दी। मालदीव में रहने वाले श्रीलंकाई नागरिकों ने राजपक्षे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और उन्हें वापस श्रीलंका भेजने की मांग की।
गोटबाया मंगलवार रात कोलंबो से मालदीव पहुंचे थे। उनके साथ पत्नी और दो बॉडीगार्ड हैं। राजपक्षे के भाई बासिल राजपक्षे भी अमेरिका भाग गए हैं। उधर, स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने कहा कि अब तक गोटबाया का इस्तीफा नहीं मिला हैं।
श्रीलंका में प्रदर्शनों में एक की मौत, 75 जख्मी
राजपक्षे के देश छोड़ने से श्रीलंकाइयों का गुस्सा भड़क गया। राजधानी कोलंबो की सड़कों पर प्रदर्शनकारी जमकर उत्पात कर रहे हैं। लोगों के उग्र विरोध को देखते हुए सेना ने अपने नागरिकों के सामने हथियार नीचे कर दिए हैं। काबू करने के लिए वे सिर्फ आंसू गैस के गोले छोड़ रहे हैं या हल्का बल प्रयोग कर रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई और 75 से ज्यादा लोग जख्मी हैं।
पिछले 24 घंटे में क्या हुआ: इमरजेंसी लगी, सर्वदलीय बैठक हुई
बुधवार को इस्तीफा देने का वादा करने वाले 73 साल के गोटबाया ने देश छोड़कर जाने के कुछ घंटे बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। अब वहां नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। प्रधानमंत्री आवास अभी भी प्रदर्शनकारियों के कब्जे में हैं।
श्रीलंका में उग्र प्रदर्शनों को देखते हुए इमरजेंसी लगा दी गई हैं। प्रधानमंक्षी रानिल विक्रमसिंघे ने सेना से शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक्शन लेने की अपील की। हालांकि, PM के आदेश का पूर्व फील्ड मार्शल और सांसद सरथ फोंसेका ने विरोध किया हैं।
कोलंबो में गुरुवार सुबह 05 बजे तक कर्फ्यू लगाया गया, लेकिन अब इसे हटा लिया गया हैं।
मालदीव में बुधवार शाम से श्रीलंकाई नागरिक वेलना इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास डटे हैं। वे राजपक्षे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस बीच, एक बुधवार को सर्वदलीय बैठक भी हुई। इसमें सरकार में शामिल दलों के नेताओं को छोड़कर अन्य सभी नेता शरीक हुए। इसमें विक्रमसिंघे से इस्तीफा देने की मांग की गई। नेता प्रतिपक्ष साजिथ प्रेमदासा ने कहा- एक सांसद वाले नेता को पहले प्रधानमंत्री बनाया जाता हैं और फिर उसे ही कार्यवाहक राष्ट्रपति। ये डेमोक्रेसी का राजपक्षे स्टाइल हैं। क्या तमाशा हैं? क्या त्रासदी हैं?
प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा, ‘हम अपने संविधान को नहीं फाड़ सकते। हम फासीवादियों को सत्ता संभालने की अनुमति नहीं दे सकते। हमें लोकतंत्र के लिए इस फासीवादी खतरे को खत्म करना चाहिए।
अगला राष्ट्रपति चुनने में राजपक्षे परिवार अहम, दौड़ में प्रेमदासा आगे
भले ही राजपक्षे परिवार का सदस्य सत्ता में न हों, इसके बावजूद पूर्व PM महिंदा राजपक्षे की पार्टी श्रीलंका पोडुजाना पेरमुना (SLPP) का संसद में बहुमत हैं। इसके चलते नया राष्ट्रपति चुनने में उसकी अहम भूमिका होगी। 225 सदस्यीय सदन में SLPP के 116 सदस्य हैं। विपक्ष के 108 सदस्य हैं।
SLPP के कई सदस्य पूर्व मीडिया मंत्री दुल्लास अलहप्परुमा के पक्ष में हैं। राष्ट्रपति पद की दौड़ में रानिल विक्रमसिंघे, जनता विमुक्ति पेरमुना पार्टी के अनुरा कुमारा दिसानायके, दुल्लास अलहप्परुमा और नेता प्रतिपक्ष प्रेमदासा हैं।
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राष्ट्रपति वही बनेगा जिसे SLPP का समर्थन मिलेगा। ऐसे में महिंदा की भूमिका अहम हो सकती हैं। राष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद PM 30 दिन के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति बनेंगे। प्रधानमंत्री इस्तीफा देते हैं, तो स्पीकर कार्यवाहक राष्ट्रपति बनेंगे। 30 दिन में राष्ट्रपति चुनाव कराना होगा। महिंदा राजपक्षे को छोड़कर संसद के बाकी सदस्य नामांकन के पात्र होंगे। महिंदा राष्ट्रपति नहीं बन सकते, क्योंकि संविधान उन्हें तीसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति बनने से रोकता हैं।