अंडर-19 (Under-19) एशिया कप में बांग्लादेश के खिलाफ 90 रन की पारी खेलकर शेख रशीद Sheikh Rashid ने टीम इंडिया को फाइनल में पहुंचाया। रशीद आंध्र प्रदेश के गुंटूर के रहने वाले हैं। रशीद को क्रिकेटर बनाने में पिता ( Father) शेख बलीशा ने बहुत बड़ा किरदार निभाया और कई कुर्बानियां भी दीं। रशीद को बल्लेबाजी की प्रैक्टिस कराने के लिए उन्होंने बैंक की नौकरी को छोड़ दी। बलीशा अब बेटे की पारी से बेहत खुश हैं।
बलीशा ने बताया कि वे प्राइवेट बैंक में जॉब करते थे। उन्होंने देखा कि रशीद को प्रैक्टिस करने में दिक्कत आ रही हैं। तब वे नौकरी छोड़ कर रशीद को प्रैक्टिस कराने लगे। बलीशा अब भी कोई जॉब नहीं कर रहे हैं। घर का खर्च पहले की सेविंग से चलता हैं।
अंडर-14 और 16 में खराब प्रदर्शन के बाद डिप्रेशन में चले गए:
बलीशा ने बताया कि रशीद का चयन पहले आंध्र प्रदेश की अंडर-14 टीम और बाद में अंडर-16 टीम के लिए हुआ। रशीद दोनों वर्गों में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए, जिसके बाद वह डिप्रेशन में चले गए थे। उन्होंने क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया। लेकिन पिता के समझाने के बाद वे फिर से ट्रेनिंग करने लगे और आंध्र प्रदेश की टीम में जगह बनाई। इसके बाद उनके करियर का ग्राफ ऊपर चढ़ता गया और वे देश की अंडर-19 टीम में चुन लिए गए।
8 साल की उम्र में लक्ष्मण से मिले:
रशीद की मुलाकात 8 साल की उम्र में टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज लक्ष्मण से हुई थी। रशीद के पिता ने बताया कि एक घरेलू टूर्नामेंट के फाइनल में लक्ष्मण मुख्य अतिथि थे। उस समय वो टीम इंडिया के लिए खेलते थे। रशीद ने उस टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया था और लक्ष्मण ने उन्हें पुरस्कार प्रदान किया था। जिसके बाद रशीद उनसे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना लक्ष्य टीम इंडिया के लिए खेलने के लिए बना दिया।
पड़ोसियों की खिलड़ियों के कांच तोड़ते थे शेख रशीद:
बलीशा ने बताया कि गुंटूर में जब वह रहते थे तो रशीद कॉलोनी में ही अन्य बच्चों के साथ क्रिकेट खेलते थे। वे शुरू से ही बल्लेबाजी करना पसंद करते थे। कई बार वे इतनी जोर से शॉट मारते थे कि लोगों के घरों दरवाजों और खिड़कियों के कांच टूट जाते थे। लोग इसकी शिकायत उनसे किया करते थे। तब फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न उसे क्रिकेट की ट्रेनिंग कराई जाए। फिर रशीद को आंध्र प्रदेश क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन कराने के लिए तैयारी करवाई। बाद में रशीद का सिलेक्शन हैदराबाद में आंध्र प्रदेश की क्रिकेट एकेडमी में हो गया। जिसके बाद पूरा परिवार ही हैदराबाद शिफ्ट हो गया।
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पिता चाहते हैं बेटा उनका सपना पूरा करे:
बलीशा ने कहा कि वह भी क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका। इसलिए वह चाहते थे कि उनके दो बेटों में से कोई उनके सपने को पूरा करे। बड़ा बेटा पढ़ाई में अच्छा था। जबकि छोटा रशीद को क्रिकेट खेलना पसंद था। इसलिए उन्होंने रशीद को क्रिकेटर बनाने की ठानी। अब वह चाहते हैं कि रशीद देश के लिए खेलकर उनका सपना पूरा करें।
विराट कोहली हैं रशीद के फेवरेट क्रिकेटर:
रशीद के पिता ने बताया कि रशीद कोहली को अपना आदर्श मानते हैं। वह उन्हीं की तरह बल्लेबाजी करना चाहते हैं। वह उनके स्टाइल को भी फॉलो करते हैं।