ऊना: माता चिंतपूर्णी देवी जी (Mata Chintpurni) का मंदिर भारत का प्राचीन मंदिर है जो कि ऊना जिले में स्थित है। चिंतपूर्णी का मंदिर छिन्नमस्ता के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में जाने वाले सभी श्रद्धालुओं की चिंता को माता हर लेती है। अगर इस मंदिर की रहस्यों की बात करें तो चिंतपूर्णी माता का प्रसाद ज्वाला जी मंदिर से आगे नहीं ले जाया जा सकता। यदि कोई ले जाता है तो उसके साथ अनहोनी घटना घट जाती है। साथ ही नवरात्र के महीनों में माता यहां पर ज्योति के रूप में दर्शन देती है, जिसे कई श्रद्धाओं ने देखा है।
माता चिंतपूर्णी देवी जी का मंदिर 51 सिद्ध पीठों में से एक है और 07 में से एक है। चिंतपूर्णी माता के दर्शनों के लिए भक्त पूरे देश से यहां आते हैं। सावन के महीने के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए मां के मंदिर में आते हैं।
बता दें कि चिंतपूर्णी माता को मां छिन्नमस्तिका भी कहा जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार माता छिन्नमस्तिका के निवास के लिए उस स्थान का चारों दिशाओं में रुद्र महादेव का संरक्षण होना आवश्यक है। बता दें कि मां चिंतपूर्णी के दरबार में हर वर्ष 20 से 25 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं।
चिंतपूर्णी मंदिर के चारों ओर शिव मंदिर है, मंदिर से उनकी दूरी भी एक समान है। चिंतपूर्णी मंदिर के पूर्व में कालेश्वर महादेव, दक्षिण में शिवबाड़ी मंदिर गगरेट, उत्तर मुचकुंद महादेव और पश्चिम में नरयाणा महादेव स्थित हैं। माता चिंतपूर्णी देवी जी का दरबार दस महाविद्याओं में से एक है।