ब्रिटेन की महारानी तक ऐसे पहुंचा दुनिया का सबसे कीमती हीरा ‘कोहिनूर’

The world's most famous Kohinoor diamond reached the Queen of Britain

लंदन: ब्रिटेन की Queen Elizabeth II का गुरुवार को 96 साल की उम्र में निधन हो गया। एलिजाबेथ II की मौत के साथ ही ब्रिटेन के इतिहास में किसी शासक के सबसे लंबे समय तक किए गऐ शासन का अंत हो गया। उनके 70 साल के शासनकाल में ब्रिटेन में 15 प्रधानमंत्रियों ने अपनी सेवाएं दीं। इनमें विंस्टन चर्चिल से लेकर मारग्रेट थैचर और बोरिस जॉनसन से लेकर लिज ट्रस तक शामिल हैं।

महारानी एलिजाबेथ II की जगह अब प्रिंस चार्ल्स बतौर राजा सिंहासन पर बैठेंगे। हालांकि, महारानी के सिर पर जो कोहिनूर हीरे वाला ताज था, वह उन्हें नहीं मिलेगा। इस साल की शुरुआत में महारानी ने खुद ही घोषणा करके सब कुछ साफ कर दिया था। उन्होंने कहा कि प्रिंस चार्ल्स की पत्नी कैमिला को यह ताज दिया जाएगा। प्रिंस चार्ल्स जब सिंहासन पर बैठेंगे, उस समय कैमिला क्वीन कंसोर्ट बन जाएंगी। इस दौरान कैमिला को महारानी एलिजाबेथ II का प्रसिद्ध कोहिनूर ताज सौंपा जाएगा।

कोहिनूर की कहानी

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कोहिनूर को दुनिया का सबसे मशहूर हीरा कहा जाता हैं। यह मूल रूप से आंध्र प्रदेश के गोलकोंडा खनन क्षेत्र में निकला था। पहले यह 793 कैरेट का था लेकिन अब 105.6 कैरेट का ही रह गया हैं। इसका वजन 21.6 ग्राम हैं। यह कई राजाओं से होता हुआ ब्रिटेन की महारानी तक पहुंचा हैं।

बताते हैं कि कोहिनूर 1304 के आसपास मालवा के राजा महलाक देव की संपत्ति का हिस्सा था। 1526 में पानीपत का युद्ध जीतने के बाद कोहिनूर पर बाबर का कब्जा हो गया। तब 186 कैरेट के रहे हीरे को बाबर हीरा कहा जाने लगा। इसके बाद 1739 में ईरानी शासक नादिर शाह ने दिल्ली के शासक मोहम्मद शाह को हरा दिया। उसने शाही खजाने को लूट लिया, जिसमें बाबर हीरा भी था।

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नादिर शाह के पोते शाह रुख मिर्जा, नादिर शाह के सेनापति अहमद अब्दाली और फिर अब्दाली के वंशज शुजा शाह से पंजाब के सिख राजा महाराजा रणजीत सिंह तक कोहिनूर पहुंचा। रणजीत सिंह कोहिनूर हीरे को अपने ताज में पहनते थे। 1839 में उनकी मौत के बाद हीरा उनके बेटे दिलीप सिंह तक पहुंचा।

1849 में ब्रिटेने से हार के बाद महाराजा को कोहिनूर इंग्लैंड की महारानी को सौंपना पड़ा। 1850 में इसे बकिंघम पैलेस में महारानी विक्टोरिया के सामने पेश किया गया। यहां इसे नया अंदाज दिया। इसका वजन तब 108.93 कैरेट रह गया। यह रानी के ताज का हिस्सा बना। अब कोहिनूर का वजन 105.6 कैरेट हैं। आजादी के बाद भारत ने कोहिनूर की वापसी का प्रयास किया लेकिन इंग्लैंड ने उसे अस्वीकार कर दिया।

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