18 फरवरी को वरुण गांधी ने ट्वीट किया। ट्वीट कर्ज लेकर विदेश भाग रहे उद्योगपति और देश में हर रोज हो रही आत्महत्या से जुड़ा था। अपनी सरकार के लिए उन्होंने ‘मजबूत सरकार’ और ‘मजबूत कार्यवाही’ जैसा शब्द लिखा। वरुण अपनी ही पार्टी के फैसलों की आलोचना कर रहे हैं। पार्टी के प्रचार में सक्रिय नहीं हैं। अपने जिले में आयोजित CM योगी Yogi की रैली से भी दूर रहते हैं। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी का खुला विरोध कर रहे हैं। 14 फरवरी को उन्होंने गोल्ड लोन नहीं चुकाने पर लोगों के गहनों की नीलामी को पोस्ट करते हुए पूछा था कि क्या यही नए भारत के निर्माण की परिकल्पना हैं?
वरुण गांधी ने बीते पांच साल में कभी योगी के साथ फोटो पोस्ट नहीं की। आखिर इसकी वजह क्या हैं, भाजपा वरुण के तंज से तंग क्यों नहीं हो रही? आइए बारी-बारी से सब बताएंगे। पहले वरुण की राजनीतिक एंट्री के बारे में जान लीजिए।
कट्टर हिन्दूवादी नेता के तौर पर वरुण की एंट्री:
2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वरुण पीलीभीत में भाषण दे रहे थे। कह रहे थे, “अगर कोई हिंदुओं की तरफ हाथ बढ़ाता हैं या सोचता हैं कि हिंदू नेतृत्व विहीन हैं, तो मैं गीता की कसम खाकर कहता हूं कि मैं उस हाथ को काट डालूंगा।”
इसी रैली में वह महात्मा गांधी की अहिंसावादी टिप्पणी को गलत बताते हुए कहते हैं, “मैं इसे बेवकूफी मानता हूं कि कोई अगर आपके गाल पर एक चांटा मारे, तो आप दूसरा गाल आगे कर दें। उसके हाथ काट दो, ताकि वो किसी दूसरे पर भी हाथ न उठा सके।” इस बयान के बाद दो काम हुए। पहला- वरुण लोकप्रिय हो गए। दूसरा, चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर दिया।
पॉपुलरिटी बढ़ी, पर आलाकमान नाराज:
वरुण अपने बयानों के चलते पश्चिमी UP, रुहेलखंड समेत पूरे उत्तर प्रदेश में पॉपुलर हो रहे थे। इस बीच पार्टी ने उन्हें बंगाल का प्रभारी बना दिया। 2014 में 1.78 लाख वोट से चुनाव जीतकर सुल्तानपुर के सांसद बन गए। विवादित बयानों से साथ नहीं छूटा। आगे हम कुछ बताएं, उसके पहले इनके कुछ बयान देख लें..
कोलकाता में PM की सफल रैली हुई लेकिन वरुण ने अगले दिन कहा, रैली विफल रही।
2014 में मंच से नीचे मोदी-मोदी के नारे लगने पर वरुण ने डांटते हुए कहा, ये मोदी-मोदी क्या हैं?
दूसरे दलों की तुलना में भाजपा में युवाओं को आने का मौका कम मिलता है। (फरवरी 2015)
भाजपा अल्पसंख्यकों का विकास करने में फेल हो गई, देश में कर्ज वसूली में भेदभाव किया जा रहा। (2017)
रोहित वेमुला का सुसाइड नोट पढ़कर मुझे रोना आ गया, आरोपियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। (2017)
2017 में योगी CM बने और वरुण विद्रोही:
9 जनवरी 2017 को वरुण ने फेसबुक पर एक फोटो पोस्ट की। 48 हजार लाइक मिले। 271 कमेंट आए। 80% कमेंट में वरुण को नेक्स्ट CM बताया जा रहा था। 11 मार्च 2017 को काउंटिंग हुई। 19 मार्च को योगी आदित्यनाथ CM बनाए गए।
पांच साल बीत गए, पर वरुण गांधी और योगी में एक भी मुलाकात नहीं हुई। 30 दिसंबर 2021 को योगी एक रैली में शामिल होने पीलीभीत पहुंचे। बरेली और शाहजहांपुर के सांसद आए, पर स्थानीय सांसद वरुण गांधी नहीं आए।
पांच साल में सिर्फ छह पोस्टर में नजर आए योगी-वरुण:
9 दिसंबर 2017 को वरुण गांधी ने सुल्तानपुर में कंबल बांटे। यहां जो पोस्टर लगे थे उसमें योगी आदित्यनाथ की फोटो थी। सरकार बनने के बाद ये पहला मौका था, जब वरुण और योगी एक पोस्टर में साथ नजर आए।
इसके बाद वरुण ने 30 अप्रैल 2018 को एक फोटो डाली, जिसमें वह माइक पर बोल रहे थे और पीछे लगे पोस्टर में योगी आदित्यनाथ की फोटो थी। अगली फोटो 12 अप्रैल 2019 को पोस्ट की, जिसमें योगी मौजूद थे। पिछली फोटो 27 जुलाई 2021 को पोस्ट की थी, जिसमें CM योगी की फोटो थी।
पार्टी ने हिदायत दी पर वरुण पर फर्क नहीं पड़ा:
2014 में वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी चुनाव जीती। मेनका को मंत्री बनाया। वरुण को पार्टी महासचिव के पद से हटा दिया। 2019 में सरकार बनी तो न वरुण मंत्री बने न मेनका गांधी। पार्टी ने वरुण और मेनका को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से भी हटा दिया। इस बार स्टार प्रचारकों की सूची से नाम हटा दिया गया। इसके बावजूद वरुण गांधी पार्टी में बने रहे और पार्टी के कामकाज और फैसलों की खुलेआम आलोचना करते रहे।
वरुण बोले, मुझे बाबा होना चाहिए था:
30 मार्च 2018 को वरुण गांधी सुल्तानपुर जिले की जयसिंह विधानसभा के सेमरी बाजार में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, “जीवन गंगाजी की तरह हैं, जितना आप उसके अंदर जाएंगे, उतना पाक-साफ और पवित्र होते जाएंगे। जितना आप लोगों के सीने में घुसोगे, उतना ही आपको लगेगा कि हां भाई हमारी भी कमाई हुई हैं इस संसार में, मुझे तो लगता हैं कि मुझे बाबा होना चाहिए था”।
इस बयान को लेकर स्वतंत्र पत्रकार एसके यादव कहते हैं कि वरुण खुद को CM पद का दावेदार मानते थे। उन्हें CM देखने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ी थी। योगी आदित्यनाथ को CM बनाए जाने से वह पार्टी नेताओं से नाराज हो गए। नतीजा ये रहा कि वह गाहे-बगाहे योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते रहते हैं।
सपा प्रत्याशी को जिताने की अपील:
1 फरवरी 2022 को वरुण का एक ऑडियो वायरल हुआ। वह बरखेड़ा विधानसभा के किसी व्यक्ति से बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने भाजपा प्रत्याशी जयद्रथ उर्फ स्वामी प्रवक्तानंद पर बिकने का आरोप लगाते हुए सपा प्रत्याशी हेमराज वर्मा के पक्ष में वोट करने की बात कही।
पिछले 2 महीने के ट्वीट पार्टी के खिलाफ:
2022 में वरुण गांधी की टाइमलाइन पर 16 ट्वीट नजर आते हैं। इसमें 11 ट्वीट और 5 रीट्वीट। खुद के कोरोना पॉजिटिव होने की सूचना को छोड़ दें, तो सारे ट्वीट के जरिए सरकार की आलोचना की। पार्टी के प्रचार का एक ट्वीट भी नहीं किया।
केंद्रीय मंत्री के खिलाफ सीधे हल्ला बोल:
दैनिक भास्कर ने फरवरी के पहले हफ्ते में वरुण का इंटरव्यू किया। वरुण ने किसान आंदोलन और लखीमपुर कांड की बात करते हुए कहा, “केंद्रीय गृह राज्य मंत्री (अजय मिश्रा टेनी) का इस्तीफा आज तक नहीं हुआ हैं, उन्हें संरक्षण देकर केंद्र सरकार क्या साबित करना चाहती हैं। यदि सरकार ने किसानों की बात फिर से अनसुनी की, तो आंदोलन फिर से शुरू हो जाएगा।”
अगले कुछ सालों में वरुण कहां होंगे:
5 जनवरी 2022 को पत्रकार नरेंद्र नाथ मिश्रा ने वरुण का एक इंटरव्यू किया, पूछा, आप खुद को अगले कुछ सालों में किस रूप में देखना चाहते हैं, वरुण ने जवाब दिया, “जैसे जनता चाहेगी।”