नई दिल्ली: दुनिया के नामी उद्योगपति अडानी पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Reports) में सनसनीखेज आरोपों के बाद विपक्ष ने संसद में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सराकर पर आरोप लगाते हुए विपक्ष ने आज भी संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया। विपक्ष गौतम अडानी पर रिपोर्ट को लेकर बड़े पैमाने पर जांच की मांग पर अड़ा है। जिसके बाद सदन की कार्यवाही दोपहर तक के लिए रोक दी गई। लोकसभा की कार्यवाही दो बजे और राज्यसभा की कार्यवाही ढाई बजे तक स्थगित हुई।
शुक्रवार सुबह जब संसद भवन की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्षी सांसदों ने एक बार फिर सदन में हंगामा करना शुरू कर दिया। विपक्षी सांसदों ने मांग की है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने आने के बाद गौतम अडानी की कंपनी को लेकर हाई लेवल जांच होनी चाहिए। विपक्षी सांसदों की मांग है कि मामले में जेपीसी या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए।
जानें क्या है जेपीसी
जेपीसी का अर्थ है- ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी। ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी संसद की वह समिति जिसमें सभी दलों (विपक्षी सांसद भी) को समान भागीदारी मिलती है। जेपीसी के पास यह अधिकार है कि वह किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी उस पक्ष को बुला सकती है जिसको लेकर जेपीसी का गठन हुआ है।
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ये है विपक्ष का आरोप
अडानी कंपनी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि यह अडानी ग्रुप नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का घोटाला है। क्योंकि मोदी जी ने अडानी को बिजली दी, पोत दिया, एयरपोर्ट दिया। सब कुछ दिया पर अब जैसे कि इतने सनसनीखेज घोटाले सामने आए हैं। इस पर सरकार को हाई लेवल जांच करनी चाहिए। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि सदन में यह मामला सबसे अहम है क्योंकि हमारे देश की जनता का पैसा हड़प नहीं सकता। यह जनता से जुड़ा है। इस पर हम चुप नहीं बैठेंगे। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार की शह पर अडानी ग्रुप ने दुनिया के समक्ष देश की साख पर बट्टा लगा दिया है। हम इस मुद्दे पर उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हैं।
इस सबके बीच कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्षी सांसदों के साथ एक बैठक की थी। जिसमें सदन की कार्यवाही के दौरान विपक्ष की योजना पर चर्चा हुई थी।