Mahatma Gandhi की विरासत में अब बचा क्या है..

Mahatma Gandhi

Mahatma Gandhi: 2 अक्टूबर, अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस, उन भारतीयों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है जो अपने महान राजनीतिक नेता और शांतिवादी प्रतिरोध के प्रतीक मोहनदास करमचंद गांधी की जयंती मनाते हैं। महात्मा, बापू के रूप में जिनकी पहचान है,जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश को नेतृत्व प्रदान किया, जिनकी क़ुरबानी और योगदान को विशाल भारत की बहुसंख्यक जनता स्वीकार करती है, गांधी को उनके अहिंसा के विचारधारा को प्रधानमंत्री मोदी के मौजूदा सरकार में कुछ अतिदक्षिणपंथी गिरोह आलोचना करता है बल्कि गांधी को गोली मारने वाले नाथूराम गोडसे का जन्म दिन भी खुलेआम मनाना शुरू कर दिया है।

कुछ लोगों ने जाति और पितृसत्ता पर उनके विश्वासों पर भी सवाल उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी के जन्म दिन के मौक़े लोगों से अपील की है कि वो ज़्यादा से ज़्यादा खादी खरीदे और इस दिन को ‘स्वछता दिवस’ के तौर पर मनाया जाए, क्योंकि महात्मा गांधी ने सवच्ता को भारतीय सवतंत्रा संग्राम के साथ जोड़ा था, मई 1925 में, गांधी ने 1919 से संपादित एक साप्ताहिक समाचार पत्र ‘नवजीवन’ के एक संस्करण में शौचालयों को साफ रखने के महत्व के बारे में लिखा था। उन्होंने लिखा “मैंने पश्चिम में 35 साल पहले सीखा था कि एक शौचालय एक ड्राइंग रूम की तरह साफ होना चाहिए।

सरकार जितना गांधी के खादी और स्वच्छता के विचारो के प्रति प्रतिबद्धता दिखा रही है कि क्या उसी मज़बूती के साथ महात्मा गांधी के राजनैतिक और सामाजिक दर्शन के प्रचार प्रसार को लेकर सजग है? देश की सांस्कर्तिक धरोहर को संजोकर और उसे आगे बढ़ाने को लेकर गांधी जितने ईमानदार थे मोदी सरकार ईमानदारी के साथ उस दिशा में ईमानदार है?

Mahatma Gandhi with Indra Gandhi

महात्मा गांधी धार्मिक सहिष्णुता को आज़ादी का अलख जगाने का एक सशक्त माध्यम मानते थे, उनके साबरमती आश्रम में सुबह की शुरुआत भक्ति प्राथना रघुपति राघव राजा राम, पतिता पवन सीताराम, ईश्वर अल्लाह तेरो नाम से शुरू होती थी, बेहतर होगा कि सरकार स्कूलों में इस भक्ति प्राथना को शुरू करवाकर सर्वधर्म सतभाव में महात्मा गांधी का जो विश्वास था, उस विश्वास को मज़बूत करे..।

गांधी जयंती के मौके पर गांधी के यादों को दिल्ली संग्रहालय में संजो कर रखे गए उनके निजी वास्तुओं की प्रदर्शनी अगर विशेष ट्रेन में रखकर भारत में सुदूर शहरों तक दिखाया जाता है तो युवा पीढ़ी को गांधी के बारे में जानने का एक जिज्ञासा और उत्साह पैदा होगा, इस तरह के प्रयासों से विभिन्न जाती और धार्मिक समुदायों के बीच जो अलगाव बढ़ा है उसे कम करने और पाटने में मदद मिलेगी। मौजूदा नेताओं को देख कर लगता है कि संसद और विधानसभा से लेकर सत्ता में रहने के कारण उनमे गांधी के विचारो को लेकर प्रतिबद्धता में कमी आई है या वो खुद गांधी के विचारों और देश की समृद्ध संस्कृति के आत्मा के विरुद्ध जाकर अपने राजनैतिक महत्वकांक्षा को पूरा करने में लगे है, जैसा कि कांग्रेस नेता और पूर्व राजनयिक शशि थरूर ने कहा- हम देश के भीतर असहिष्णुता, सांप्रदायिक घृणा और अल्पसंख्यक असुरक्षा को बढ़ावा देते हुए, एक साथ खुद को बहुलवाद, सहिष्णुता और गांधीवाद की भूमि के रूप में दुनिया को नहीं बेच सकते। अब समय आ गया है कि मोदी सरकार को पता चले कि वे घर में ‘हेट इन इंडिया’ के प्रचार की उपेक्षा करते हुए विदेशों में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा नहीं दे सकती हैं।

साल 2017 में सबसे अधिक आबादी वाले देशों के ‘प्यू रिसर्च सेंटर’ के विश्लेषण ने भारत को धार्मिक असहिष्णुता के लिए दुनिया में सबसे खराब स्थान दिया। 1.3 बिलियन के देश में, धर्म से संबंधित शत्रुता की घटनाओं ने केवल सीरिया, नाइजीरिया और इराक भारत से पीछे हैं, यानी धार्मिक नफ़रत और हिंसा के मामले में हम विश्व में चौथे नंबर पर हैं, इन सभी जगहों पर सांप्रदायिक हिंसा व्यापक है।

प्यू उन मामलों की जांच करता है जिनमें घृणा अपराध, भीड़ हिंसा, सांप्रदायिक हिंसा, धर्म से संबंधित आतंक, धार्मिक अभ्यास को रोकने के लिए बल प्रयोग, धार्मिक ड्रेस कोड के अनुरूप महिलाओं का उत्पीड़न और धर्मांतरण या धर्मांतरण पर हिंसा शामिल है। फिर क्यों ना गांधी के विरासत को बच्चों तक ले जाए जो कल का भविष्य हैं, महात्मा गांधी की निजी वस्तुएं, उनकी किताब, अखबारों में लिखे गांधी के लेख, पत्रकारो का संग्रह, उनके जीवन पर बने डॉक्यूमेंट्री, चलचित्र का माध्यम से युवा पीढ़ी को वाक़िफ़ कराया जाए, भारत वर्ष में एक विशेष ट्रैन चलाया जा सकता है जिनमे गांधी के सामानों की प्रदर्शनी हो ताकि उसके माध्यम से युवा पीढ़ी सीधे तौर पर गांधी से अपना संवाद स्थापित कर सके और ये फैसला करें कि क्या गांधी के विरासत को बचाना उनके लिए जरूरी है?

Sayad Ruman Shamim Hashmi
Editor in-chief
(NEWZCITIES
)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *