‘विश्व मधुमेह दिवस’ यानी ‘World Diabetes Day’ प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर को मनाया जाता है। यह विभिन्न सरकारी संस्थान, शैक्षणिक और पेशेवर संगठनों द्वारा मनाया जाता है। इस अवसर पर सरकार द्वारा सोशल मीडिया के जरिए मधुमेह के जोखिम कारकों, स्वस्थ जीवन शैली और शीघ्र पहचान की आवश्यकता के बारे में जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। आइए अब विस्तार से समझते हैं कि मधुमेह क्या है और इससे बचाव के लिए ‘विश्व मधुमेह दिवस’ की शुरुआत कब, कैसे और किसने की…?
मधुमेह क्या है?
मधुमेह एक क्रोनिक रोग है, जिसमें व्यक्ति की रक्त शर्करा उच्च यानि हाइपरग्लेसीमिया हो जाती है या शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता हैं या शरीर इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करता है। इंसुलिन अग्न्याशय द्वारा उत्पादित हार्मोन है। यह ऊर्जा बनाने के लिए शरीर की कोशिकाओं द्वारा उपयोग किए जाने के लिए ग्लूकोज (कार्बोहाइड्रेट खाद्य पदार्थ को ग्लूकोज में विभाजित करता है) में मदद करता है। लंबी अवधि में हाइपरग्लेसेमिया शरीर की क्षति और विभिन्न अंगों एवं ऊतकों की विफलता के साथ जुड़ा है।
डायबिटीज से बचाव के लिए रोजाना व्यायाम करें और हेल्दी खाना खाएं। अगर आप एक्सरसाइज के लिए समय निकाल सकते हैं तो रोजाना कम से कम 30-40 मिनट घर पर ही कसरत करें। ज्यादा से ज्यादा पैदल चलें, जॉगिंग करें, एक ही जगह पर न बैठें। रोजाना कम से कम 10 ग्लास पानी पीना सभी के लिए जरूरी है।
नशा करने से बचें
सिगरेट और शराब की लत कैंसर, डायबिटीज और हार्ट संबंधी बीमारियों को जन्म दे सकती है। अगर आप सिगरेट और शराब या इनमें से किसी एक की भी लत में है तो ये आपके शरीर को बीमारियों का घर बनाने के लिए काफी है।
क्या कहती है NFHS की रिपोर्ट ?
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 (2015-16) की रिपोर्ट के अनुसार जनपद में 15 से 49 साल के आयुवर्ग के 3.7 प्रतिशत पुरुषों में 140 से 160 मिलीग्राम के बीच और 2.8 प्रतिशत पुरुषों में 160 मिलीग्राम से ऊपर शुगर की मात्रा है। दूसरी तरफ 15 से 49 साल की आयुवर्ग की महिलाओं में 3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जो हाई डायबिटीज की शिकार हैं। इन महिलाओं में शुगर की मात्रा 140 से 160 मिलीग्राम के बीच पाई गई है जबकि 160 मिलीग्राम से अधिक शुगर की मात्रा से ग्रसित महिलाओं की संख्या 3.2% है। लगातार शुगर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जो कि चिंता का विषय है।
क्या कहती है IDF रिपोर्ट ?
आईडीएफ की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर मधुमेह का प्रभाव लगातार तेजी से बढ़ता जा रहा है। साल 2021 में 537 मिलियन वयस्कों में हर 10 में से 1 व्यक्ति मधुमेह के साथ जीवन जी रहा है। यह संख्या और अधिक बढ़ने की उम्मीद है जो साल 2030 तक 643 मिलियन और 2045 तक 783 मिलियन होने की संभावना है। मधुमेह से पीड़ित लगभग 2 में से 1 वयस्क (44%) का निदान नहीं होता जिनकी कुल संख्या 240 मिलियन बताई जाती है।
टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित हर 4 में से 3 से अधिक लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों के रहने वाले हैं। 541 मिलियन वयस्कों में टाइप 2 मधुमेह होने का खतरा बढ़ा है। वहीं 1.2 मिलियन से अधिक बच्चे और किशोर (0-19 वर्ष) टाइप-1 मधुमेह के साथ जिंदगी जी रहे हैं।
आईडीएफ की रिपोर्ट बताती है कि मधुमेह के कारण 2021 में 6.7 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई। वहीं 2021 में कम से कम $966 बिलियन स्वास्थ्य व्यय के लिए मधुमेह जिम्मेदार रहा जो कि स्वास्थ्य देखभाल पर होने वाले वैश्विक कुल खर्च का 9 फीसदी है।