प्रियंका के ‘मददगार’ बने योगी

Yogi became Priyanka's helper!

प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस पार्टी का महामंत्री बनाया गया और पश्चिम उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी की ज़िम्मेदारी सौपी गई तब कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ये उम्मीद जगी कि प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी को मज़बूत करने में कामयाब रहेंगी लेकिन कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में अभी तक अपना जनाधार बढ़ाने और कार्यकर्ताओं की फ़ौज खड़ा करने में विफल ही साबित हुई है। राज्य में हाल में सम्पन्न हुए पंचायत चुनाव में पार्टी प्रदर्शन ख़राब रहा है, साल 1989 से यूपी में सत्ता से बाहर कांग्रेस प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में खोई हुई राजनीतिक जमीन को वापस पाने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन हलिया पंचायत चुनाव में कांग्रेस पार्टी सिर्फ 61 सीटों तक सीमित रही। उत्तरप्रदेश में पार्टी के कई असरदार नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया, कांग्रेस के सहारनपुर ज़िले में अपनी ख़ास पहचान रखने वाले नेता इमरान मसूद ने भी हाल ही में बयान दिया कि राज्य में बीजेपी को सिर्फ समाज पार्टी ही हरा सकती है।

कांग्रेस की पतली हालत को देखते हुए राज्य के उपमुख्य मंत्री और बीजेपी नेता केशव प्रसाद मौर्य ने तंज़ कस्ते हुए कहा था कि कांग्रेस पार्टी राज्य में अपना वजूद खो चुकी है, उस तंज़ का जवाब देते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा था कि यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि उत्तर प्रदेश में किस पार्टी ने अपना वजूद खो दिया है, तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी की घटना ने कांग्रेस को मुसीबत के भंवर से बाहर निकाल दिया और प्रियंका गांधी की राजनितिक योग्यता पर सवाल खड़ा कर रहे लोगो के मुंह पर लगाम लगा दिया, लखीमपुर खीरी में हुई चार किसानों की मौत पर जब प्रियंका संवेदना प्रकट करने पीड़ित के परिवार से मिलने जा रही थी तो मुख्यमंत्री योगी ने उन्हें हिरासत में लेकर ना सिर्फ यूपी बल्कि देश के राजनितिक पटल पर स्थापित कर दिया। कांग्रेस का राजनितिक वजूद ख़त्म होने का भविष्यवाणी करने वाले केशव प्रसाद मौर्य अब खुद का राजनितिक वजूद बचाने में लगे होंगे, क्योंकि ख़बर के मुताबिक़ योगी के आंख की किरकिरी बने मौर्य को लखीमपुर कांड के बहाने साइड लाइन करने में लगे है, क्योंकि किसान जिस हैलीपैड पर डेरा डाले थे स्वामी प्रसाद मौर्य का हेलीकॉप्टर वहीं उतरने वाला था और वहीं हिंसा की घटना का प्रथम कारक बना।

60 घंटे से ज़्यादा हिरासत और गिरफ़्तारी के दौरान प्रियंका गांधी ने कई निजी न्यूज़ चैनल्स को इंटरव्यू दिए, मोबाइल से वीडियो बना कर प्रधानमंत्री मोदी से सवाल पूछा और अस्थाई जेल बना सीतापुर का पुलिस गेस्ट हाउस के बाहर खड़े कांग्रेस कार्यकर्ताओं से फ़ोन पर बातचीत की, इस बीच गिरफ़्तारी के समय प्रियंका गांधी की पुलिस से बहस का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चूका था, मामला बिगड़ता देख मुक्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब प्रियंका गांधी को रिहा किया तो तब तक प्रियंका खुद को जनता की नज़रों में विश्वशनीय नेता के तौर स्थापित कर चुकी थी और कांग्रेस कार्यकर्ताओ में एक नया जोश का संचार कर दिय था, योगी के इस क़दम ने स्वामी प्रसाद मौर्य की कांग्रेस के बारे में की गई भविष्यवाणी को नाकार दिया है, जो काम प्रियंका गांधी के राजनितिक सलाहकार और उनकी सोशल मीडिया टीम नहीं कर सकी वो काम योगी आदित्यनाथ ने कर दिया, प्रियंका गांधी ने साल भर पहले ये कहा था कि अब कांग्रेस का नेतृत्व गैर गांधी परिवार को करना चाहिए और जिसका मौन समर्थन कांग्रेस के कई बड़े नेता और कार्यकर्ताओं ने किया था आज वो सभी प्रियंका के इर्द-गिर्द खड़े हैं और प्रियंका गांधी एक कद्दावर नेता बन कर खड़ी हैं, लखीमपुर खीरी कांड ने प्रियंका गांधी को एक बड़े नेता के तौर पर ठीक वैसे ही पुनः स्थापित किया है, जैसा कि वर्ष 1977 में चुनाव हार चुकी उनकी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी को बिहार के बेलछी कांड ने राजनीति में दोबारा से ज़िंदा कर दिया था, बाढ़ में हाथी पर बैठकर कड़कती बिजली और उफनती नदी को रात के अंधेरे में पार कर इंदिरा गांधी पहुंची थी बेलछी जहां 11 लोगो की हत्या कर दी गई थी, पीड़ित परिवार और ख़ौफ़ज़दा ग्रामवासी उनका इंतज़ार कर रहे थे, प्रियंका गांधी भी अपने भाई राहुल गांधी के साथ रात को लखीमपुर खीरी पहुंचीं और पीड़ित किसान और पत्रकार के परिवार के सदस्यों से मिलकर संवेदना प्रकट की, इस मामले में प्रियंका से अखिलेश कुमार यादव और दूसरे नेता पिछड़ते नज़र आए, लखीमपुर खीरी के घटना पर अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी का बढ़ता कद आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को चुनावी समर में एक मज़बूत पार्टी के तौर पर खड़ा करने में मददगार साबित होगी, प्रियंका गांधी को क़ैद करना योगी आदित्यनाथ के लिए एक चुनौती भरा फैसला था, अगर धार्मिक और जातिगत समीकरण तोड़ते हुए पार्टी कार्कर्ता और आम मतदाता प्रियंका गांधी के समर्थन में खड़ा हो जाता है तो ये योगी के कुर्सी के लिए ख़तरा साबित होगा और वहीं सिर्फ़ अखिलेश यादव और मायावती का वोट बैंक छिटक कर कांग्रेस के तरफ़ जाता है तो योगी फायदे में रहेंगे, ये दोनों परिस्थिति पैदा होने का जो कारण बना है वो हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पुलिस को ये फ़रमान की प्रियंका गांधी वाड्रा को कैद कर लिया जाए।

Sayad Ruman Shamim Hashmi
Editor in-chief
(NewzCities)

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