नई दिल्ली (Report- अभिषेक तिवारी): भारत ने भारतीय वायु सेना (IAF) की विरासत AVRO बेड़े को बदलने के लिए 56 एयरबस C295 विमानों के अधिग्रहण को औपचारिक शक्ल दे दी है। यह निजी क्षेत्र में पहला ‘मेक इन इंडिया’ एयरोस्पेस प्रोजेक्ट है, जिसमें एक सम्पूर्ण औद्योगिक ईकोसिस्टम का पूर्ण विकास शामिल है। इसमें निर्माण से लेकर असेंबली, परीक्षण जैसी सारी प्रकिर्याओ और रखरखाव शामिल है।
समझौते के तहत, एयरबस को स्पेन के सेविले से उड़ान भर कर भारत लाया जाएगा, ऐसे 16 विमानों की डिलीवरी भारत को होगी। बाद के 40 विमानों का निर्माण और संयोजन भारत में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (टीएएसएल) द्वारा दोनों कंपनियों के बीच एक औद्योगिक साझेदारी के हिस्से के तौर पर किया जाएगा। अनुबंध लागू होने के चार साल बाद पहले 16 विमानों की डिलीवरी की जाएगी। सभी IAF C295s को परिवहन संस्थान को सौंप दिया जाएगा और फिर इसे एक स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट से लैस किया जाएगा।
एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के सीईओ माइकल शॉएलहॉर्न ने कहा, “यह अनुबंध भारत के एयरोस्पेस ईकोसिस्टम के लिए एक माइलस्टोन साबित होगा। इस निवेश से आने वाले 10 वर्षों में 15,000 नौकरियां और 10,000 नौकरिआ अप्रत्यक्ष रूप लोगों को मिलेगी।
“सी295 के एक नए ऑपरेटर के रूप में भारत के जुड़ने से, न केवल परिचालन पहलुओं पर बल्कि औद्योगिक और तकनीकी विकास के छेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा।
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुकरण सिंह ने कहा कि यह टाटा के लिए गर्व का क्षण है और भारतीय सैन्य निर्माण छेत्र के लिए एक मील का पत्थर है। पहली बार, एक भारतीय निजी कंपनी पूरी तरह से एक विमान का निर्माण करेगी। यह प्रयास विश्व स्तर पर यह दिखाता है की भारत रक्षा निर्माण के छेत्र में पूरी तरह से तैयार है.साथ ही निर्माता के तौर पर टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स की क्षमताओं को भी ज़ाहिर करता है।”
गौरतलब है की ये प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ का हिस्सा है, C-295 एयरबस निर्माण और औद्योगिक भागेदारी के साथ ही कंपनी निर्माण और सर्विसिंग की अपनी पूरी टेक्नोलॉजी और संयंत्र मशीन भारत में स्थापित करेगा जिसमें टाटा और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड जैसी प्रमुख रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों भी शामिल हैं। C295 का उपयोग 71 सैनिकों या 50 पैराट्रूपर्स के सामरिक परिवहन के लिए और उन स्थानों पर रसद संचालन के लिए किया जाता है जहाँ भारी विमानों के लिए उड़ान भरना और छोटे हवाईपट्टी उतरना जोखिम भरा होता हैं।
यह पैराट्रूप्स सैनिक सामानो को एयरड्रॉप भी कर सकता है, और इसका इस्तेमाल ज़ख़मीओं या चिकित्सा दल लाने लेजाने के लिए भी किया जा सकता है, जैसा कि COVID-19 संकट के दौरान दिखा साथ ही इस विमान से विशेष मिशन के साथ-साथ आपदा और समुद्री गश्ती के काम को भी अंजाम दे सकता है। इसके साथ ही IAF दुनिया भर में 35 वां C295 ऑपरेटर बन गया है,, इस कार्यक्रम के साथ ही भारत में C295 विमान की संख्या 278 पहुंच गया है , जिनमें से 200 पहले से ही संचालन में हैं और हाफ मिलियन से ज़्यादा उड़ान-घंटे का रिकॉर्ड क़ायम कर चुका है।