नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने यूएपीए के सेक्शन-3 के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे जुड़े संगठनों पर बैन लगा दिया हैं। गृह मंत्रालय ने पीएफआई के काले कारनामे गिनाते हुए बताया हैं कि इसके सदस्य आतंकी गतिविधियों में संलिप्त हैं और विदेशों से फंडिंग लेकर यह संगठन देश में अस्थिरता, हिंसा और भय का माहौल बनाने का काम कर रहा हैं। दो दिनों की बड़ी छापेमारी में पीएफआई के 300 से ज्यादा कार्यकर्ता और पदाधिकारी गिरफ्तार किए गए।
क्या हैं प्रतिबंध के मायने
सरकार के प्रतिबंध के बाद अब पीएफआई विरोध प्रदर्शन, सम्मेलन, कॉन्फ्रेंस, डोनेशन एक्सरसाइज या फिर किसी तरह का प्रकाशन नहीं कर सकेगा। इस संगठन द्वारा की जाने वाली हर गतिविधि गैरकानूनी मानी जाएगी। इसके अलावा कोई भी व्यक्ति अगर इन संगठनों से जुड़ा हुआ पाया जाता हैं तो एजेंसियां और स्थानीय पुलिस तत्काल कार्रवाई कर सकती हैं।
एजेंसी ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया हैं उनपर भी UAPA के तहत केस दर्ज किया गया हैं। इसके अलावा आने वाले दिनों में और भी कई लोगों पर कार्रवाई होगी। इसके अलावा मामले के जानकार लोगों का कहना हैं कि पीएफआई से जुड़े लोगों पर ट्रैवल बैन लगाया जा सकता हैं। इसके असावा बैंक अकाउंट और संपत्तियों को भी सीज किया जा सकता हैं। सरकार ने स्पष्ट कहा हैं कि पीएफआई के संबंध प्रतिबंधित संगठन सिमी से भी हैं। अलावा इसके आईएसआईएस और बांग्लादेश के आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश से भी लिंक हैं।
जेबीएम को साल 2019 में बैन कर दिया गया था। इसके आतंकी पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड, कर्नाटक और अन्य राज्यों तक फैले हुए थे। इन राज्यों में आतंकी गतिविधियां चलाई जाती थीं और फंड इकट्ठा करने की कोशिश होती थी। कई जगहों पर ट्रेनिंग भी होती थी। साल 2014 में बर्दवान में बड़ी कार्रवाई हुई थी और जेबीएम के 50 से ज्यादा सदस्य गिरफ्तार किए गए थे। अलावा इसके 100 से ज्यादा बम भी बरामद किए गए थे।
साल 2017 में तैयार हो गया था डोजियर
एनआईए ने साल 2017 में ही पीएफआई का डोजियर तैयार कर लिया था। सूत्रों के हवाले से डोजियर में कहा गया था कि पीएफआई के 50 हजार से ज्यादा नियमित सदस्य हैं और केरल में इसके समर्थकों की संख्या लगभग डेढ़ लाख हैं। अलावा इसके हर साल इसमें पांच फीसदी का इजाफा हो रहा हैं। ये कैडर लोगों को कट्टरपंथ की ओर मोड़ने की पूरी कोशिश करते हैं। एक सीनियर एनआईए अधिकारी ने कहा था कि पीएफआई की पहुंच 22 राज्यों तक हैं।