बीमारी के इलाज के लिए अब दिल्ली या मुंबई जाने की जरूरत नहीं..

Now there is no need to go to Delhi or Mumbai for the treatment of the disease

देवघर/नई दिल्ली: आज से कुछ साल पहले तक किसी भी बड़ी बीमारी के इलाज के लिए लोग दिल्ली या मुंबई जैसे बड़े शहरों का ही रूख करते थे। लेकिन पिछले कुछ सालों में इस चलन में बदलाव आया है। अब लोगों को उनके शहर या राज्य के आस-पास ही सस्ती और बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल रही है। देश में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दिया जा रहा है, पैरामेडिकल कॉलेज से लेकर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल्स, यहां तक की एम्स की भी संख्या में वृद्धि हुई है। आज से देश में एक और एम्स कार्यात्मक हो जाएगा। दरअसल पीएम मोदी ने झारखंड स्थित देवघर एम्स में इन-पेशेंट डिपार्टमेंट और ऑपरेशन थिएटर सेवाओं का करेंगे लोकार्पण। देवघर एम्स से पूरे झारखंड, बिहार व बंगाल के एक दर्जन से अधिक जिलों के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिलेगी।

देवघर एम्स की खासियत

देवघर एम्स में मिलेगी 200 तरह की जांच की सुविधा होगी

देवघर एम्स के 250 बेड के अस्पताल और दो ऑपरेशन थिएटर होंगे, हालांकि अस्पताल में अभी इमरजेंसी सुविधा बहाल नहीं हो पाएगी। केवल रूटीन ऑपरेशन ही हो सकेंगे।

एम्स के अस्पताल में एडमिट होने वाले मरीज को 2 हजार रुपए भर्ती शुल्क के रूप में जमा करने होंगे। 25 रुपये प्रति मरीज बेड चार्ज शुल्क लगेगा। जबकि भर्ती शुल्क से मरीज के होने वाले मेडिकल टेस्ट भी की जाएगी।

मरीजों को शुरू से भोजन की सुविधा दी जायेगी। सभी बेड में सेंट्रलाइज ऑक्सीजन पाइप है।

मरीजों के इलाज के लिए 100 से ज्यादा डॉक्टर रहेंगे।

पीएम मोदी ने रखी नींव, अब कर रहे उद्घाटन

देवघर एम्स के निर्माण कार्य ने यह दिखा दिया है कि केंद्र सरकार गरीबों, वंचितों को समुचित इलाज को लेकर प्रतिबद्ध है। इस एम्स की नींव पीएम मोदी ने 25 मई 2018 को रखी थी और चार साल बाद वे इसका उद्घाटन कर रहे हैं। यानि साफ है कि केंद्र रकार परियोजनाएं केवल फीता काटने वाले रिवाज और कागजों तक सीमित नहीं है, बल्कि घोषणा से लेकर उनके निर्माण और फिर उसे उसके अंजाम तक पहुंचाने तक वचनबद्ध है यानि संकल्प से सिद्धि तक।

देश में बढ़ी AIIMS की संख्या

देवघर एम्स के अलावा भी देश के कई हिस्सों में इस तरह के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानि एम्स के निर्माण का कार्य चल रहा है। हम कह सकते हैं कि देश में पिछले 7-8 सालों में सबसे ज्यादा काम स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुआ है। साल 2014 के बाद से ही देश में स्वास्थ्य सेवा के विस्तार के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत देश में करीब 22 नए एम्स के लिए स्वीकृति दी है। 2014 से पहले केवल 07 एम्स थे। पिछले 08 वर्षों के दौरान, 16 एम्स को अनुमोदित किया गया है। इन 16 एम्स में से 10 नए एम्स में एमबीबीएस की कक्षाएं और ओपीडी सेवाएं शुरू हो गई हैं। 06 एम्स में सीमित आईपीडी सेवाएं भी चालू की गई हैं। एम्स देवघर क्षेत्र के लिए सुपर स्पेशियलिटी स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने और डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का एक बड़ा पूल बनाने के दोहरे उद्देश्य की पूर्ति करेगा।

हाल ही में पीएम मोदी ने कहा था कि हमारे लिए विकास का मतलब चमक दमक नहीं, बल्कि गरीब, दलित, वंचित, पिछड़े, आदिवासी माता, बहनों और सबका सशक्तिकरण है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के लिए काम करना है। केंद्र सरकार का मानना है कि परियोजनाओं की घोषणाएं केवल चुनाव के लिए नहीं बल्कि लोगों के विकास के लिए होनी चाहिए। यही वजह है कि आज देश चिकित्सा के क्षेत्र में कई बड़ी उपलब्धि हासिल कर चुका है।

सभी को सस्ता इलाज मुहैया कराना

सरकार के प्रयास से अब देश में गरीबों को आसानी से और सस्ता इलाज मुहैया होगा। केवल इतना ही नहीं केंद्र सरकार का लक्ष्य देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का है। वर्तमान में देश में 562 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें से 286 सरकारी क्षेत्र में हैं, जबकि 276 निजी क्षेत्र में हैं। अन्य 175 मेडिकल कॉलेज भी विकास की प्रक्रिया में हैं। 2013-14 में 52,000 एमबीबीएस सीटों के मुकाबले अब 84,000 यूजी सीटें हैं। कई चिकित्सा आयोग भी स्थापित किए जा रहे हैं। देश में लगभग 1,50,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं।

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