चंडीगढ़: पंजाब कांग्रेस में सियासी भूचाल एक बार फिर से शुरू हो गया है। 40 विधायकों के मोर्चा खोलने के बाद कैपटन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे के बाद उनके मंत्रीमंडल ने भी इस्तीफा सौंप दिया। वह 20 विधायकों और अधिकतर पंजाब के सांसदों के साथ राजभवन पहुंचे हैं। राजभवन के बाहर मीडिया को संबोधित करते हुए कैपटन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में तीसरी बार यह हुआ है। इससे वह अपमानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुबह ही इस्तीफा देने का फैसला कर लिया था और इसकी जानकारी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी दे दी थी।
कैप्टन ने पत्रकारों से मुखातिब होते हुए कहा कि मैंने सुबह ही फैसला कर लिया था और सुबह मैंने हाईकमान को इस बारे में बता दिया था। हाईकमान को अब जिस पर भरोसा हो, उसे मुख्यमंत्री बना दें। उन्होंने साफ कहा कि बार बार मेरी फजीहत की गई। दो माह तीन बार विधायकों की बैठक बुलाई गई। सरकार चलाने को मुझ पर संदेह किया गया। मुझे अपमानित महसूस हुआ। अब मैं अपने समर्थकों से बातचीत कर भविष्य की रणनीति बनाऊंगा। हालांकि उन्होंने साफ किया कि वे कांग्रेस पार्टी में ही हैं। बीजेपी में जाने के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली।
पंजाब कांग्रेस में कई माह से मचा घमासान कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे तक जा पहुंचा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अब पंजाब में कांग्रेस के दो बड़े चेहरे मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे हैं। अगर कैप्टन के ही हिंदू चेहरे के फॉर्मूले पर कांग्रेस काम करेगी तो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को पंजाब का नया मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। वहीं अगर कांग्रेस ने सिख चेहरे को प्राथमिकता दी तो नवजोत सिंह सिद्धू का नाम सबसे आगे है। इस सबके बीच पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने की चर्चा चल रही है।