महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये की वसूली करने के आरोप वाले केस में सीबीआई ने उनके वकील को हिरासत में लिया है. संदिग्ध को मुंबई से हिरासत में लिया गया है. सूत्रों के मुताबिक वकील का नाम आनंद दागा है. उनपर अंतर्राष्ट्रीय कागजात लीक करने का आरोप है. जो अनिल देशमुख के लोगों में बांटा गया है. इसी आरोप को लेकर उन्हें पकड़ा गया है. जानकारी के मुताबिक यह वकील पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के लिए काम करता था.
कथित तौर पर पिछले सप्ताह अनिल देशमुख मामले में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को कई सोशल मीडिया और मैसेंजर प्लेटफॉर्म पर शेयर किया गया था. यह रिपोर्ट बाद में मीडिया में भी आई. सूत्रों के मुताबिक दागा को मंगलवार शाम को सीबीआई ने पकड़ा है.
वहीं एनसीपी ने सीबीआई पर अनिल देशमुख के दामाद को गलत तरीके से कस्टडी में लेने का आरोप लगाया है. एनसीपी प्रवक्ता एवं राज्य के मंत्री नवाब मलिक ने संवाददाताओं से कहा कि उसको कस्टडी में लेने से पहले किसी भी नियम या कार्यवाही का पालन नहीं किया गया. वह वर्ली स्थित अपने आवास से परिवार सहित बाहर निकल रहे थे. तभी अचानक 10-12 लोग आए और उन्होंने कस्टडी में ले लिया. क्या यह कानून का शासन है या शासकों का कानून है?
कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि अनिल देशमुख के दामाद और वकील को सीबीआई ने अपनी कस्टडी में ले लिया है. हालांकि अभी सीबीआई ने स्पष्ट किया है कि उनके दामाद को नहीं पकड़ा गया है. सिर्फ उनके वकील को पकड़ा गया है. वकील आनंद दागा से पूछताछ की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक पूछताछ के बाद अनिल देशमुख के दामाद को छोड़ दिया गया है.
कांग्रेस ने रविवार को दावा किया था कि सीबीआई जांच अधिकारी ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये की वसूली करने के आरोपों में उनकी कोई भूमिका नहीं पायी और उन्होंने जांच बंद कर दी थी लेकिन केंद्रीय एजेंसी ने एक ‘साजिश’ के तहत रिपोर्ट ‘रद्द’ कर दी. देशमुख पर ये आरोप मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने लगाए हैं.
इस साल 24 अप्रैल को भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोपों में देशमुख तथा कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गयी. सीबीआई ने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए प्रारंभिक जांच की थी जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गयी.
सिंह ने आरोप लगाया था कि देशमुख ने कुछ पुलिस अधिकारियों से मुंबई में बार तथा रेस्त्रां से हर महीने 100 करोड़ रुपये एकत्रित करने के लिए कहा था. देशमुख ने प्रारंभिक जांच के बाद अप्रैल में इस्तीफा दे दिया था लेकिन आरोपों से इनकार किया था.