नई दिल्ली: महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे पद संभालने के बाद पहली बार दिल्ली पहुंचे। जहां उन्होंने डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस के साथ गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस दौरान महाराष्ट्र में बनने वाली नई सरकार पर तीनों नेताओं के बीच चर्चा हुई। शिंदे खेमे के एक दर्जन से ज्यादा लोगों को मंत्री बनाया जा सकता हैं। उद्धव सरकार के वर्तमान 8 मंत्री शिंदे के साथ उनके विद्रोह में शामिल हुए थे। ऐसे में इन सभी को एक बार फिर मंत्री बनाया जा सकता हैं।
वहीं, CM शिंदे की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के लिए शनिवार शाम का समय रखा गया हैं। शिंदे को पुणे में आषाढ़ी एकादशी पूजा में शामिल होना हैं। इसलिए वे शनिवार को ही पुणे रवाना होंगे।
राष्ट्रपति कोविंद से भी मिले थे दोनों नेता:
शनिवार सुबह एकनाथ और देवेंद्र फडणवीस ने बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की। शुक्रवार को ही दोनों नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मुलाकात की थी। एकनाथ और देवेंद्र ने राष्ट्रपति भवन पहुंचकर रामनाथ कोविंद सहित बाकी नेताओं को भी भगवान विट्ठल की मूर्तियां दीं।
बीजेपी को गृह, वित्त और राजस्व विभाग मिलने की संभावना:
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने सोमवार को 164-99 के अंतर से फ्लोर टेस्ट जीता था, जिससे उनकी सरकार का बहुमत साबित हुआ और राज्य के मुख्यमंत्री और शिवसेना के नेता के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई। नई सरकार में मंत्रियों एवं उनके विभागों का बंटवारा होना हैं। शिंदे सरकार में करीब 54 मंत्री बनाए जा सकते हैं।
बीजेपी के कोटे से 25 और शिंदे गुट से 13 विधायकों को मंत्रीमंडल शामिल किया जा सकता हैं। इसके बाद बची हुई बाकी सीटों पर निर्दलीय विधायकों को मंत्री पद की जिम्मेदारी दी जा सकती हैं।
सूत्रों की मानें तो कैबिनेट विस्तार से पहले संख्या के साथ-साथ विभाग पर भी मंथन जारी हैं। बीजेपी गृह, वित्त और राजस्व जैसे बड़े विभाग अपने पास रख सकती हैं, जबकि शहरी विकास और पथ निर्माण विभाग शिवसेना के शिंदे गुट को दिया जा सकता हैं। माना जा रहा हैं कि विभागों का बंटवारा महाविकास अघाड़ी फॉर्मूले पर संभव है, जिसमें उद्धव की सरकार में NCP-कांग्रेस ने हैवी विभाग अपने पास रखे थे।
11 जुलाई के बाद नए मंत्रियों का शपथ-ग्रहण:
सुप्रीम कोर्ट में 11 जुलाई को शिवसेना के 16 बागी विधायकों की सदस्यता पर सुनवाई होनी है। अगर, सुप्रीम कोर्ट का फैसला बागी विधायकों के पक्ष में आया तो कैबिनेट विस्तार 11 के बाद कभी भी हो सकता है। फैसला पक्ष में नहीं आने की स्थिति में विस्तार का मामला टल सकता है।