Cold Wave: ठण्ड बढ़ रही हैं, सुबह में सुस्ती, दोपहर थोड़ा गुनगुनी

Cold Wave: Cold is increasing, lethargy in the morning

नई दिल्ली: देर से ही सही, ठण्ड अब बढ़ रही है, धीरे- धीरे। सुबह बड़ी अलसाई- सी लगती है। जैसे उसे किसी ने नींद से जगा दिया हो। देर तक सूरज गुम रहता है। लोग ठण्ड (Cold Wave) से राहत पाने के लिए धूप के एक टुकड़े की तलाश में रहते हैं, जो दूर कहीं बादलों के महल में सोया पड़ा रहता है। सूरज महाराज जब प्रकट होते हैं, तब भी तेज नहीं, गुनगुने – से लगते हैं, जैसे किसी बात का बुरा लग गया हो! गुमशुदा-गुमशुदा दिखाई देते हैं।

दोपहर में धूप खाने को मन करता हैं। शाम होते- होते सूरज फिर वही अलसाई सूरत के साथ विदाई मांग रहा होता है। ठण्ड की हिम्मत देखो-सूरज को दुत्कार रही होती है। क्योंकि सूरज के ओझल होते ही ठण्ड को अपना राज क़ायम करने की पड़ी रहती है।… और वो राज क़ायम हो ही जाता है। लोग दुबक जाते हैं। घरों में, रज़ाइयों में या गर्म कपड़ों में।गाँवों में अलाव जल उठते हैं और उन अलावों पर होती हैं दुनियाभर के घटनाक्रम की समीक्षा। जैसे कि- मोदी जी को ये नहीं करना था। राहुल गांधी को वो नहीं करना था। इस बार किसकी सरकार आएगी? इसकी रहेगी तो अच्छा रहेगा। उसकी सरकार आएगी तो और भी अच्छा! ये पुतिन को समझ में ही नहीं आता! जाने किस मिट्टी का बना हुआ है। दुनियाभर में पेट्रोल- डीज़ल महंगा हो रहा है। बाक़ी सामान की भी मुश्किल हो रही है लेकिन भाई है कि युद्ध ख़त्म करने का नाम ही नहीं लेता।

Fog train were cancel & many were running late

ठण्ड के बढ़ते ही किसानों के मुंह पर मुस्कान आ गई है। उनके गेहूं- चने अब टनके हो जाएँगे। दाना मोटा बैठेगा। ठण्ड तगड़ी नहीं पड़ती तो गेहूं में बालियां भले ही आ जातीं पर दाना पतला ही रह जाता, कम भी। यही, हाल चने का भी होना था। अब प्रधानमंत्री मोटा अनाज खाने को कह रहे हैं तो किसानों के लिए चना उगाना तो ज़्यादा महत्वपूर्ण हो ही जाता हैं। सो उगा रहे हैं। दो-तीन साल से भाव जो अच्छा मिल रहा हैं?

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