नई दिल्ली: कोरोना (Corona) के नए मामले में तेजी के साथ बढ़ोतरी दर्ज की गई है। बीते 236 दिनों में कोरोना के 11 हजार से भी ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। कोरोना मामलों को लेकर स्वास्थ्य विभाग की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। इस बीच एक और नए वैरिएंट के सामने आने की बात कही जा रही है। मीडिया खबरों के मुताबिक नया वैरिएंट काफी खतरनाक माना जा रहा है। इस वैरिएंट का नाम आर्कटुरस है। इसे ओमिक्रॉन का एक सब-वैरिएंट कहा जा रहा है। आर्कटुरस क्रैकेन वैरिएंट की तुलना में 1.2 गुना ज्यादा संक्रामक है।
टोक्यो विश्वविद्यालय के रिसर्च में खुलासा
स्वास्थ्य एक्सपर्ट के मुताबिक कोरोना का नया वैरिएंट XBB.1.16 पिछले महीने के मुकाबले 13 फीसदी की स्पीड में लोगों को बीमार कर रहा है। वहीं, टोक्यो विश्वविद्यालय के एक स्टडी से यह पता चलता है कि आर्कटुरस क्रैकन संस्करण की तुलना में 1.2 अधिक संक्रामक है, जिसे ओमिक्रॉन एक्सबीबी 1.5 नाम दिया गया था। सुकून की बात यह है कि इससे लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ रहे हैं।
WHO ने क्या कहा?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि लगातार बढ़ रहे केस पहले ही चिंता का विषय है। वहीं, नए वैरिएंट का सामने आना और परेशानी बढ़ा सकता है। आर्कटुरस पर निगाह रख रहीं डब्ल्यूएचओ की डॉ. मारिया वैन केरखोव ने बताया कि कोरोना का नया वैरिएंट हाल के ही महीनों में ज्यादा फैला है। हालांकि, यह लोगों को गंभीर रूप से बीमार नहीं कर रहा है।
स्पाइक प्रोटीन के आधार पर लग सकता है पता
उन्होंने कहा कि अगर इस वैरिएंट से कोई प्रभावित होता है तो उसे आसानी से पता लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के नए वैरिएंट आर्कटुरस का पता लगाने के लिए एक लैब है, जिसमें स्पाइक प्रोटीन के आधार पर इसका आसानी से पता लगाया जा सकता है। डॉ. केरखोव ने कहा कि XBB.1.16 अन्य देशों में पाया गया है पर भारत में इसके मामले सबसे ज्यादा हैं।
जनवरी में इससे जुड़ा पहला मामला सामने आया था
कोरोना के नए वैरिएंट आर्कटुरस का पहला मामला जनवरी में सामने आया था। यह अमेरिका, सिंगापुर और कई देशों में पाया गया था। डॉक्टर वैने ने बताया कि जब वैरिएंट पर जांच की गई तो सामने आया की सबसे ज्यादा मामले भारत में आ रहे हैं।