नई दिल्ली: भारत ने कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने और उपभोक्ताओं को कम लागत पर बिजली प्रदान करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके जरिए साल 2030 तक 500 गीगावॉट(GW) नवीकरणीय ऊर्जा की प्राप्ति का मिशन तय किया गया है।
PPA के अंतर्गत उपभोक्ताओं को इसकी आपूर्ति करने का रखा प्रावधान
इस संबंध में केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह के मार्गदर्शन में विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा संशोधित दिशा-निर्देश जारी किया गया है। दिशा-निर्देश में थर्मल उत्पादन कंपनियों को खुली बोलियों द्वारा डेवलपर्स के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता स्थापित करने और मौजूदा पीपीए के अंतर्गत उपभोक्ताओं को इसकी आपूर्ति करने का प्रावधान रखा गया है।
जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा का रिप्लेसमेंट नवीकरणीय ऊर्जा से किया जा सकेगा
इससे मौजूदा पीपीए के अंतर्गत जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा का रिप्लेसमेंट नवीकरणीय ऊर्जा से किया जा सकेगा। अब इससे होने वाले लाभ के बारे में बात करें तो नवीकरणीय ऊर्जा की लागत थर्मल ऊर्जा की लागत से कम होती है, इसलिए थर्मल के साथ नवीकरणीय ऊर्जा की बंडलिंग होने से, इससे प्राप्त होने वाले लाभ को उत्पादक और वितरण कंपनियों व अन्य खरीददारों के बीच 50:50 के आधार पर साझा किया जाएगा।
चूंकि नवीकरणीय ऊर्जा को थर्मल ऊर्जा के साथ संतुलित किया जाएगा, इसलिए डिस्कॉम को अब नवीकरणीय ऊर्जा को संतुलित करने के लिए अलग से कोई क्षमता प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी। यह 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन की क्षमता के लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है।
उत्पादक तथा वितरण कंपनियों के लिए फायदेमंद
इस योजना के अंतर्गत वितरण कंपनियां आपूर्ति की गई नवीकरणीय ऊर्जा को अपने नवीकरणीय खरीद दायित्व के लिए गणना करने में सक्षम होगी और यह अतिरिक्त पीपीए के वित्तीय बोझ के बिना होगा। केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से तेजी से ऊर्जा का अवस्थांतरण होगा और यह उत्पादक तथा वितरण कंपनियों दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री के निर्देश के अनुसार, विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय 2030 तक 500 गीगावॉट की प्राप्ति के लिए कुछ अतिरिक्त कदम उठाने के लिए तैयार हैं, जिसके लिए शीघ्र ही आदेश जारी किया जाएगा।